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Chhattisgarh : विधानसभा चुनाव में ओबीसी क्यों हैं गेमचेंजर, कांग्रेस और बीजेपी दोनों की है नजर

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Published : Apr 1, 2023, 3:03 PM IST

Updated : Apr 1, 2023, 7:53 PM IST

छत्तीसगढ़ की राजनीति में अन्य पिछड़ा वर्ग की भूमिका दिन ब दिन बढ़ती जा रही है. इस राज्य में पहले आदिवासियों का दबदबा था. लेकिन अब ऐसा नहीं रह गया. चाहे विधानसभा हो या लोकसभा, हर सीट पर ओबीसी वर्ग का प्रभाव देखने को मिल रहा है. यही वजह है कि दोनों प्रमुख पार्टियां इन्हें साधने में जी जान से जुट गईं हैं.Chhattisgarh latest news

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कांग्रेस और बीजेपी की ओबीसी पर नजर

विधानसभा चुनाव में ओबीसी क्यों हैं गेमचेंजर

रायपुर : छत्तीसगढ़ में कुछ महीनों के बाद चुनाव होने हैं. इसलिए कांग्रेस और बीजेपी प्रदेश में खेमेबंदी करने में जुट गई हैं. दोनों ही पार्टियां इस बार अन्य पिछड़ा वर्ग के वोटर्स को साधने में लगी हैं, जिसके लिए कई तरह की तैयारी की जा रही है. एक तरफ जहां सरकार आरक्षण और योजनाएं लाकर ओबीसी को साध रही है, वहीं दूसरी तरफ बीजेपी पार्टी के बड़े पदों पर ओबीसी कैटगेरी के जनप्रतिनिधियों को बिठाकर संदेश देने की कोशिश कर रही है.

राहुल पर कार्रवाई को लेकर बीजेपी का रुख : राहुल गांधी की संसद सदस्यता रद्द होने को लेकर कांग्रेस हंगामा खड़ा किए है. वहीं दूसरी ओर बीजेपी का मानना है कि राहुल गांधी ने ओबीसी वर्ग का अपमान किया था. इसलिए कोर्ट ने उन्हें सजा दी है. इसके लिए बीजेपी हर उस माध्यम का इस्तेमाल कर रही है, जहां जनता मौजूद रहती है.


आरक्षण के मुद्दे पर कांग्रेस का दांव : एक तरफ बीजेपी है जो राहुल गांधी की सदस्यता रद्द होने के बाद इसे ओबीसी से जुड़ा मामला बता रही है. वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस है जो आरक्षण संशोधन विधेयक लागू नहीं होने का कारण बीजेपी को बता रही है. कांग्रेस ने 27 परसेंट ओबीसी आरक्षण का प्रावधान किया है, लेकिन बिल राजभवन में अटका है, जिसे लेकर कई बार कांग्रेस ने इसे बीजेपी की साजिश करार दिया.

क्यों महत्वपूर्ण है पिछड़ा वर्ग : छत्तीसगढ़ की कुल जनसंख्या में पिछड़ा वर्ग की आबादी 42 प्रतिशत है. छत्तीसगढ़ में अन्य पिछड़ा वर्ग की संख्या लगभग 1 करोड़ 26 लाख है. प्रदेश के कई विधानसभा सीटों पर ओबीसी वर्ग निर्णायक भूमिका में है. ऐसे में चुनाव के नजरिए से ओबीसी वर्ग महत्वपूर्ण स्थान रखता है. छत्तीसगढ़ में 90 विधानसभा सीटों में 22 विधायक अन्य पिछड़ा वर्ग से ही आते हैं. मौजूदा सरकार में कांग्रेस के 18 विधायक ओबीसी वर्ग से हैं.

एसटी-एससी आरक्षित सीटों पर भी ओबीसी वोटर का प्रभाव: छत्तीसगढ़ में 90 विधानसभा सीटों में कुल 39 सीटें एसटी-एससी वर्ग के लिए आरक्षित हैं. अनुसूचित जनजाति के लिए 29 सीटें और अनुसूचित जाति के लिए 10 सीटें आरक्षित हैं. प्रदेश में ओबीसी की जनसंख्या ज्यादा होने के कारण इन सीटों पर भी ओबीसी वर्ग का प्रभाव है. इसलिए दोनों ही पार्टियां इस बार ओबीसी वर्ग को साधकर जीत सुनिश्चित करना चाह रही हैं.

लोकसभा की पांच सीटें ओबीसी की: छत्तीसगढ़ की 90 विधानसभा सीटों में कुल 22 विधायक ओबीसी वर्ग से आते हैं तो वहीं प्रदेश की 11 लोकसभा सीटों में पांच सांसद ओबीसी वर्ग से हैं. इनमें भारतीय जनता पार्टी से चार सांसद और कांग्रेस पार्टी से एक सांसद हैं.


क्या है राजनीति के जानकारों की राय : इस मामले में वरिष्ठ पत्रकार अनिरुद्ध दुबे का कहना है कि ''छत्तीसगढ़ की जनसंख्या में पिछड़ा वर्ग का बड़ा हिस्सा है. विधानसभा से जब आरक्षण संशोधन विधेयक राजभवन गया, उस दौरान अन्य पिछड़ा वर्ग का डेलिगेशन तत्कालीन राज्यपाल अनुसुइया उइके से मिलने राजभवन गया था. डेलिगेशन का कहना था क्वांटिफाएबल डाटा के अनुसार प्रदेश में पिछड़ा वर्ग की जनसख्या 42.43 प्रतिशत है. लेकिन आरक्षण संशोधन में सिर्फ 27% आरक्षण ही ओबीसी को दिया गया, जो नाकाफी है."

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आरक्षण बढ़ाने की मांग : अनिरुद्ध दुबे के मुताबिक ''ओबीसी डेलिगेशन ने अन्य पिछड़ा वर्ग को 27 फीसदी आरक्षण देने के फैसले को सही नहीं माना था. इसे और भी ज्यादा बढ़ाने की मांग की थी, लेकिन इस मांग के बाद भी इस बिल पर साइन नहीं हुए. पूर्व में छत्तीसगढ़ को आदिवासी बाहुल्य राज्य कहा जाता था. लेकिन अब यह बात सामने आ रही है कि छत्तीसगढ़ आदिवासी बाहुल्य राज्य नहीं है, बल्कि प्रदेश अब अन्य पिछड़ा वर्ग बाहुल्य राज्य है.''

Last Updated : Apr 1, 2023, 7:53 PM IST
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