रायपुर में ओबीसी वर्ग का राष्ट्रीय अधिवेशन, 52 फीसदी आरक्षण की मांग

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Published : Nov 20, 2022, 11:43 PM IST

National convention of OBC

National convention of OBC रविवार को राजधानी रायपुर के कर्माधाम प्रांगण में आरएल चंदापुरी की 99वीं जयंती पर पिछड़ा वर्ग का राष्ट्रीय अधिवेशन आयोजित किया गया. ओबीसी को उनके आबादी के अनुसार सभी क्षेत्रों में 52% आरक्षण और सुरक्षा कानून की मांग भी जोर पकड़ रही है.

रायपुर: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के स्टैंड पर देश भर में जातिगत जनगणना की मांग तेज हो गई है. ओबीसी को उनके आबादी के अनुसार सभी क्षेत्रों में 52% आरक्षण व सुरक्षा कानून की मांग भी जोर पकड़ रही है. रविवार को राजधानी रायपुर के कर्माधाम प्रांगण में आरएल चंदापुरी की 99वीं जयंती पर पिछड़ा वर्ग का राष्ट्रीय अधिवेशन आयोजित (National convention of OBC was organized in Raipur) किया गया. जिसमें हजारों नवयुवकों का जनसैलाब उमड़ पड़ा. देश के विभिन्न राज्यों के राजनैतिक चिंतकों विचारकों और संगठनों के प्रबुद्ध संचालकों ने भी आरएल चंदापुरी के बताए रास्ते पर चलते पिछड़े वर्ग को आगे लाने की बात कही. National convention of OBC

रायपुर में ओबीसी वर्ग का राष्ट्रीय अधिवेशन
बिहार के ग्रामीण विकास मंत्री ने समारोह का किया उदघाटन: समारोह के मुख्य अतिथि, बिहार सरकार के ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार थे. उन्होंने भारतव्यापी पिछड़ा वर्ग आंदोलन के सूत्रधार आरएल चंदापुरी के चित्र पर माल्यार्पण किया. उन्होंने राष्ट्रीय अधिवेशन का उदघाटन किया. उन्होंने उन्हें महान चिंतक व क्रांतिकारी योद्धा बताते हुए कहा कि "त्यागमूर्ति चंदापुरी ने 8 मार्च 1948 को डॉ आंबेडकर से मुलाकात कर पिछड़ी जाति शब्द को सर्वप्रथम पिछड़ा वर्ग में परिभाषित किया, डॉ आंबेडकर ने पिछड़ा वर्ग शब्द को जोड़कर 340वी धारा का समावेश संविधान में किया था.""OBC आबादी के अनुसार संवैधानिक अधिकार पाने का हकदार": श्रवण कुमार ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, डॉ आंबेडकर व त्यागमूर्ति चंदापुरी के संघर्षों, नीतियों व सिद्धांतों का हवाला देते हुए केन्द्र व राज्य सरकार से जातिगत जनगणना शुरु कराने पर बल दिया. उन्होंने ओबीसी के आरक्षण में रोस्टर पद्धति और निकाय चुनाव में पिछड़ों को आरक्षण की व्यवस्था को बहाल करने पर बिहार मॉडल को लागू करने पर भी बल दिया. उन्होंने छत्तीसगढ़ में ओबीसी को 27% आरक्षण की जगह 14% आरक्षण को असंवैधानिक बताते हुए कहा कि "पिछड़ा वर्ग आबादी के अनुसार संवैधानिक अधिकार पाने का हकदार है. जिससे उन्हें वंचित किया जा रहा है." उन्होंने आगे कहा कि "पिछड़ा वर्ग संघ ने वंचित-पिछड़ों व गरीबों के हित में नीतीश स्टैंड को देशव्यापी आंदोलन का रूप दे दिया है, जिसकी जितनी भी प्रशंसा की जाए वह कम है."

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ओबीसी की गणना कराने के आदेश के बावजूद जनगणना न होना गलत: अधिवेशन की अध्यक्षता कर रहे संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष इन्द्र कुमार सिंह चंदापुरी ने कहा कि "एनडीए 1 की सरकार द्वारा 2021 की जनगणना में ओबीसी की गणना कराने के आदेश दिया गया था. लेकिन यह नहीं किया गया जो काफी गलत है. उन्होंने कहा कि "आजादी के 75 वर्षों के बाद भी देश में पिछड़े वर्गों की स्थिति मरणासन्न अवस्था में है. जिसकी जानकारी मैने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को दी है और वे भी इससे वाकिफ हैं. अब संघ चुप नहीं बैठेगा. यदि शीघ्र पिछड़ा वर्गों को उनके आबादी के अनुसार 52% आरक्षण नहीं दिया गया, तो हम लोग सड़क पर उतरकर आंदोलन करेंगे."

संगठित होकर आने वाले संघर्ष के लिए तैयार रहने की अपील: इंद्र कुमार सिंह चंदापुरी ने कहा कि "पिछड़े, वंचित व गरीब की समस्या ही राष्ट्रीय समस्या है. जब तक उनका प्रतिनिधित्व आबादी के अनुसार नहीं किया जाता, तब तक देश की तस्वीर बदलने वाली नहीं है. संघ ने सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक व राजनीतिक दासता के खिलाफ विगत 27 जून 2022 को 14 सूत्रीय सुझावों पर अमल करने की मांग रखी थी. किंतु इस दिशा में अब तक कुछ नहीं किया गया है. जो चिंता का विषय है." उन्होंने आरक्षण की लड़ाई के लिए सभी को तैयार रहने की अपील की है.

छत्तीसगढ़ में ओबीसी को 27% आरक्षण, राज्य का सबसे ज्वलंत मुद्दा": संघ के राष्ट्रीय महासचिव और ओबीसी संयोजन समिति छग के संस्थापक शत्रुहन सिंह साहू ने कहा कि "आज देश में और छत्तीसगढ़ प्रदेश में संस्थानों द्वारा तकनीकी व गैर कानूनी अड़चनें पैदा कर पिछड़े वर्गों के विकास व उनके संवैधानिक अधिकारों का हनन किया जा रहा है." साहू ने कहा कि "छत्तीसगढ़ में ओबीसी को 27% आरक्षण अब तक न लागू होना, राज्य का सबसे ज्वलंत मुद्दा है. प्रदेश की 54% आबादी इस संवैधानिक निर्णय का इंतजार कर रही है."

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