ETV Bharat / state

शासकीय विभागों में फर्जी जाति प्रमाण पत्र का खेल

author img

By

Published : Apr 4, 2021, 12:08 PM IST

Many official employees working in government departments of Chhattisgarh through fake caste certificates
शासकीय विभागों में फर्जी जाति प्रमाण पत्र का खेल

फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर उच्च पदों पर बने शासकीय सेवकों के खिलाफ छत्तीसगढ़ में अब तक किसी भी तरह की कार्रवाई नहीं हुई है. जबकि खुद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ऐसे अधिकारियों-कर्मचारियों को बर्खास्त करने के निर्देश दिए थे.

रायपुर: छत्तीसगढ़ में फर्जी दस्तावेज के आधार पर कई शासकीय विभागों में सैकड़ों अधिकारी और कर्मचारी पिछले कई सालों से नौकरी करते आ रहे हैं. ऐसा नहीं है कि इन अधिकारियों-कर्मचारियों को नौकरी से निकालने और इनके खिलाफ कार्रवाई करने सरकार ने निर्देश नहीं दिए हैं. सरकार के बार-बार निर्देश के बावजूद विभिन्न विभागों में उच्च पद पर बैठे अधिकारी इन फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नौकरी करने वाले अधिकारी और कर्मचारियों पर मेहरबान है. यही वजह है कि सरकार के आदेश को धता बताते हुए फर्जी दस्तावेजों के जरिए नौकरी पाने वाले अधिकारी-कर्मचारी पिछले कई सालों से काम करते आ रहे हैं.

फर्जी जाति प्रमाण पत्र का खेल

आदिम जाति और अनुसूचित जाति विकास विभाग के उच्च स्तरीय प्रमाणीकरण छानबीन समिति ने फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी कर रहे ढाई सौ अधिकारी कर्मचारियों को चिन्हित किया है. विभाग से मिले दस्तावेजों की आकंड़ों पर नजर डाले तो साल 2001 में 1, 2002 में 4, 2004 में 2, 2005 में 10, 2006 में 5, 2007 से 21, 2008 से 8, 2009 से 6 और 2010 में 6 मामले सामने आए है. साल 2011 से लेकर साल 2020 तक 186 प्रकरण फर्जी है.

758 प्रकरणों की शिकायत

नवंबर 2020 में मिली जानकारी के मुताबिक उच्च स्तरीय प्रमाणीकरण, छानबीन समिति रायपुर को साल 2000 से लेकर 2020 तक फर्जी जाति प्रमाणपत्र की कुल 758 शिकायतें मिली. जांच के बाद इनमें से 267 प्रकरणों में जाति प्रमाण पत्र फर्जी पाए गए हैं. जिसे संबंधित विभागों को कार्रवाई के लिए भेजा गया है.

इन विभागों के कर्मचारियों के जाति प्रमाणपत्र मिले फर्जी

स्कूल शिक्षा विभाग44
पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग15
सामान्य प्रशासन विभाग14
जल संसाधन विभाग14
कृषि विभाग14
ग्रामोद्योग विभाग12
आदिमजाति और अनुसूचित जाति विभाग8
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग8
राजस्व विभाग7
गृह विभाग7
उर्जा विभाग7
पशुधन विभाग व मछलीपालन विभाग6
नगरीय प्रशासन विभाग5
वन विभाग5
महिला एवं बाल विकास विभाग4
वाणिज्य एवं उद्योग विभाग 4
सहकारिता विभाग3
उच्च शिक्षा विभाग3
लोक निर्माण विभाग 2
योजना आर्थिक एवं सांख्यिकी विभाग2
कौशल विकास, तकनीकी शिक्षा एवं रोजगार विभाग 5
लोक स्वास्थ्य परिवार कल्याण एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग9


इन विभागों में एक-एक प्रकरण :

वाणिज्यकर विभाग1
खेल एवं युवा कल्याण विभाग1
समाज कल्याण विभाग1
मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय1
जनसम्पर्क विभाग1
आवास एवं पर्यावरण विभाग 1


कुछ को किया जा चुका है नौकरी से पृथक

इनमें से संबंधित विभागों की तरफ से कुछ अधिकारियों और कर्मचारियों को पहले ही नौकरी से पृथक कर दिया गया है. जिनकी संख्या नाम मात्र की है. आज भी लगभग ढाई सौ से ज्यादा अधिकारी-कर्मचारी फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी पर बने हुए हैं.

यह है प्रमुख नाम

इनमें प्रमोटेड IAS अपार आयुक्त रायपुर आनंद मसीह, अनुराग लाल, संयुक्त कलेक्टर शंकर लाल डगला और उनके बेटे सुरेश कुमार डगला, संयुक्त आयुक्त भुवाल सिंह, SDM सुनील मैत्री, उपायुक्त सीएस कोट्रीवार, ऑडिटर रामाश्रय सिंह, असिस्टेंट सर्जन डॉ. आर के सिंह, संयुक्त संचालक क्रिस्टीना सी एस लाल, CEO राधेश्याम मेहरा, सहित ढाई सौ अधिकारियों-कर्मचारियों की जाति प्रमाण पत्र फर्जी सिद्ध भी हो चुकी हैं.

नौकरी से बर्खास्त करने पर दिसंबर 2020 को जारी किया गया था परिपत्र

इसके ठीक विपरीत सामान्य प्रशासन के सचिव डॉ. कमलप्रीत सिंह की तरफ से जारी 5 दिसम्बर 2020 को जारी परिपत्र कहता हैं कि इन फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर शासन के उच्च पदों में नौकरी पाने वाले अधिकारीयों-कर्मचारीयों की सेवाओं को तत्काल खत्म करने के लिए शासन के समस्त विभाग, अध्यक्ष राजस्व मंडल बिलासपुर, समस्त संभागीय आयुक्त, विभागाध्यक्ष, जिलों के कलेक्टर्स और मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत के नाम समय – समय पर पत्र जारी करते रहे हैं. बावजूद इसके इन दोषी अधिकारीयों-कर्मचारियों को बर्खास्त करने की बजाय संरक्षण देने में लगे हुए हैं.

संबंधित विभाग को तत्काल सूचित करने दिए गए थे निर्देश

सामान्य प्रशासन के सचिव डॉ. कमलप्रीत सिंह के जारी पत्र में उल्लेख है कि पहले भी विभाग की तरफ से जारी परिपत्र क्रमांक एफ 13–16/2015 आ.प्र./1 –3, 26 अक्टूबर 2019 समसंख्यक परिपत्र 30 नवम्बर 2019 का हवाला देकर निर्देशित किया है कि ऐसे शासकीय सेवकों की सेवाएं तत्काल खत्म किया जाना है. जिनकी जाति प्रमाण पत्र छानबीन समिति की तरफ से फर्जी और गलत पाये गये हैं. इस प्रकरण पर विभाग के निर्देशों पर क्या कार्रवाई हुई. इसकी जानकारी तत्काल आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास विभाग को कराने के लिए कहा था. लेकिन इस पर भी अधिकरियों की तरफ से उदासीनता बरती जा रही हैं.

सीएम बघेल ने भी बर्खास्त करने की कही थी बात

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी करने वालों को तत्काल बर्खास्त करने की निर्देश दिए हैं.

इस वजह से कार्रवाई अटकी

फर्जी जाति प्रमाणपत्र के अधिकांश प्रकरण उच्च न्यायालय में विचाराधीन है. विगत दो सालों में 75 प्रकरण फर्जी, गलत पाए गए हैं. इन प्रकरणों में उच्च न्यायालय से स्थगन आदेश प्राप्ति के बाद कई अधिकारी, कर्मचारी अभी भी महत्वपूर्ण पदोंं पर कार्यरत हैं.

कोर्ट के मामलों पर तत्काल विधिक कार्रवाई करने के दिए थे निर्देश

सामान्य प्रशासन विभाग ने यह भी कहा है कि सेवा समाप्ति के पहले प्रशासकीय विभाग की तरफ से हाई कोर्ट में कैविएट दायर किया जाए. जिन प्रकरणों में हाईकोर्ट का स्थगन मिला हो उनमे सामान्य प्रशासन विभाग के निर्देशानुसार विधि विभाग की तरफ से समीक्षा की जाएं और प्रशासकीय विभाग की तरफ से भी स्थगन समाप्त करने की कार्रवाई तत्परता से की जा सके.

कार्रवाई के नाम पर कागजों का कई सालों से हो रहा है दान-प्रदान

दूसरी तरफ शासन स्तर पर बीस साल बीत जाने के बाद भी अब तक दोषी अधिकारियों-कर्मचारियों पर सिर्फ कार्रवाई और दिखावे के नाम पत्रों का आदान – प्रदान किया जा रहा है. इससे साफ जाहिर है कि या तो सरकार के आदेश दिखावटी है या सरकार कार्रवाई करना ही नहीं चाहती.

नौकरी से बर्खास्त और FIR दर्ज कराने की मांग

छत्तीसगढ़ तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष विजय झा का कहना है कि प्रदेश बने 20 साल हो गए. बावजूद इसके मंत्रालय से लेकर कई प्रमुख विभागों में महत्वपूर्ण पदों पर फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर कई अधिकारी और कर्मचारी काम कर रहे हैं. जिन्हें निकालने अब तक बड़े स्तर पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है. झा का कहना है कि फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी करने वालों की वजह से जो उसके सही हकदार है उन्हें नौकरी नहीं मिल पा रही है. ऐसे में उन्होंने राज्य सरकार से मांग की है कि इस मामले को गंभीरता से लेते हुए तत्काल कार्रवाई की जाए.

मानव अधिकार आयोग भी ले मामले में संज्ञान

विजय झा का यह भी कहना है कि फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर उच्च पदों में बैठे अधिकारी जिसे दंडाधिकारी भी कहा जाता है धारा 151 सहित अन्य मामलों में लोगों को जेल भेज रहे हैं. कुछ को जमानत दे रहे हैं. यह मानव अधिकार का हनन है. इस मामले में मानवाधिकार आयोग को फ्री संज्ञान लेना चाहिए.

सामान्य प्रशासन विभाग ने विभिन्न विभागों में फर्जी जाति प्रमाण पत्र में नौकरी कर रहे लोगों की सेवाएं और महत्वपूर्ण पदों से पृथक किये जाने संबधी पत्र जारी किया हैं. अब देखने वाली बात है कि सरकार इन अधिकारियों को कब तक नौकरी से बाहर करती हैं या फिर आगे भी वे इसी तरह नौकरी करते रहेंगे.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.