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स्वतंत्रता दिवस पर जानिए कैसे भारतीय संविधान की प्रस्तावना बनी संविधान की आत्मा

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Published : Aug 14, 2022, 7:19 PM IST

Indian Constitution
भारतीय संविधान

भारतीय संविधान 26 जनवरी को लागू हुआ था. आजादी के अमृत महोत्सव संविधान के प्रस्तावना के बारे में ईटीवी भारत आपको बताने जा रहा है. आपको यह जानना चाहिए कैसे संविधान की प्रस्तावना संविधान की आत्मा बनी.

रायपुर: 26 जनवरी 1950 को हमारे देश का संविधान लागू हुआ था. भारत के संविधान के बारे में कहा जाता है कि ये विश्व का सबसे बड़ा लिखित संविधान है. लेकिन इस विस्तृत संविधान की झलक इसकी उद्देश्यिका में देखने को मिल जाती है. संविधा की प्रस्तावना से संविधान के मूल स्वरुप का पता चलता है. प्रस्तावना में यह स्पष्ट लिखित है कि देश में किसे सबसे ज्यादा महत्व दिया जाएगा. भारत में न्याय, स्वतंत्रता, समानता, व्यक्ति की गरिमा, राष्ट्र की एकता और अखंडता और बंधुत्व को महत्व दिया जाएगा. स्वतंत्रता दिवस के मौके पर हम इसी उद्देश्यिका यानी प्रस्तावना के बारे में बात करेंगे. आखिर ये संविधान में शामिल कैसे हुई. कब हुई.. इसमें समाहित शब्दों का अर्थ क्या है..

प्रस्तावना संविधान का हिस्सा कैसे बनी: संविधान सभा द्वारा संविधान का निर्माण किया गया. संविधान सभा में जवाहरलाल नेहरू ने 13 दिसंबर 1946 को एक उद्देशिका पेश की थी. जिसमें बताया गया था कि किस प्रकार का संविधान तैयार किया जाना है. इसी उद्देशिका से जुड़ा हुआ जो प्रस्ताव था वह संविधान निर्माण के अंतिम चरण 'प्रस्तावना' के रूप में संविधान में शामिल किया गया. इसी कारण प्रस्तावना को उद्देशिका के नाम से भी जाना जाता है.

संविधान में प्रस्तावना कहां से ली गई: भारतीय संविधान में प्रस्तावना का विचार अमेरिका के संविधान से लिया गया है. वहीं प्रस्तावना की भाषा को ऑस्ट्रेलिया संविधान से लिया गया है. प्रस्तावना की शुरुआत 'हम भारत के लोग' से शुरू होती है और '26 नवंबर 1949 अंगीकृत' पर समाप्त होती है.

प्रस्तावना में संशोधन: 1976 में 42 वें संविधान संशोधन अधिनियम के द्वारा प्रस्तावना में संशोधन किया गया था. जिसमें तीन नए शब्द- समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष और अखंडता को जोड़ा गया था. अब तक प्रस्तावना में केवल एक ही बार संसोधन हुआ है.

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संविधान के स्रोत: संविधान के स्रोत 'हम भारत के लोग'यानी भारत की जनता. भारत के लोग ही वो शक्ति हैं जो संविधान को शक्ति प्रदान करती है.

स्वरूप: प्रस्तावना में जो प्रारंभिक पांच शब्द हैं...संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक, गणराज्य. आपको बता दें कि ये पांच शब्द हमारे संविधान के स्वरूप को दर्शाते हैं. प्रस्तावना के अंतिम शब्द वह इसके उद्देश्य को दर्शाते हैं.

संविधान की प्रस्तावना में जिन तत्वों को शामिल किया गया वह इस प्रकार हैं.

  • न्याय
  • स्वतंत्रता
  • समता
  • व्यक्ति की गरिमा
  • राष्ट्र की एकता, अखंडता
  • बंधुता
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