रायपुरः साल का पहला त्यौहार मकर संक्रांति अबकी बार 14 जनवरी को पड़ रहा है. हिन्दुओं के प्रमुख त्यौहारों में एक मकर संक्रांति वर्ष का पहला त्यौहार (Effect of Corona on Makar Sankranti in Raipur) होता है. यही कारण है कि लोग इसे बड़े धूमधाम से मनाते हैं. ये त्यौहार धान कटाई के समय मनाया जाता है. ये वो वक्त होता है जब नया धान, नयी सब्जी और फल की उपज होती है. इस त्यौहार में इन सभी नये खाद्य सामग्रियों का खास महत्व होता है. लेकिन पिछले दो वर्षों से कोरोना संक्रमण के कारण ये त्यौहार भी फीका पड़ सा गया है. इस बार भी बढ़ते कोरोना संक्रमण की वजह से लोगों में उत्साह की कमी देखने को मिल रही है.
मकर संक्रांति में तिल के लड्डू, नारियल के लड्डू खाने के साथ-साथ पतंग उड़ाने की परम्परा है. मकर संक्रांति के समय दुकानों में रंग-बिरंगे पतंगों की भरमार होती है. युवा ही नहीं बल्कि बुजुर्ग भी मकर संक्रांति के दिन पतंग उड़ाते हैं. इस बार भी रायपुर में पतंग (Raipur kite market) की कीमत 5 रुपए से लेकर ₹1500 तक है. हालांकि कोरोना के कारण बाजारों से रौनक गायब है. लोगों में इस बार पतंगबाजी को लेकर कोई खास उत्साह नहीं देखने को मिल रहा है.
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बढ़ते संक्रमण में फीका पड़ा पतंगबाजी का क्रेज
छत्तीसगढ़ में लगातार बढ़ते संक्रमण के कारण इस बार मकर संक्रांति का मजा फीका हो (Effect of Corona on Makar Sankranti ) गया है. पिछले साल भी कोरोना ने मकर संक्रांति के त्योहार को फीका किया था, इस बार भी यही हाल है. दुकानें तो सज चुकी हैं लेकिन ग्राहकी काफी कम है. अभी छोटे-छोटे बच्चे ही दुकान में पतंग और मांझा के लिए नजर आ रहे है. वहीं, दुकानों में भी कपड़ा , प्लास्टिक और कागज के अलग-अलग तरीकों के पतंग मौजूद हैं लेकिन ग्राहकी अच्छी नहीं है. अभी मकर संक्रांति को 2 दिन बाकी है. ऐसे में दुकानदार उम्मीद लगा रहे हैं कि 2 दिन में अच्छी खरीदी हो.
ईटीवी भारत ने ऐसे ही कुछ दुकानदारों और ग्राहकों से बात कि आईए जान तो उन्होंने क्या कहा...
बारिश ने भी पतंगबाजी का मजा किया फीका
ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान दुकानदारों ने बताया कि दुकानों में पतंग बहुत सारे हैं. मकर सक्रांति के दिन बड़े, बूढ़े, बच्चे सभी काफी उत्साह से पतंग उड़ाते हैं लेकिन इस बार कहीं ना कहीं कोरोना ने त्यौहार में खलल डाला है. पिछले साल भी यही हुआ था. दुकानों में कागज, प्लास्टिक और कपड़े के बहुत सारे पतंग हैं. बच्चे उत्साह में पतंग खरीद रहे हैं, लेकिन जो बड़े लोग हैं, वह अभी भी दुकान नहीं आ रहे हैं. पिछले कुछ सालों से पतंग का क्रेज थोड़ा कम हुआ है. रायपुर में तीन बड़ी दुकानें हैं, जो पिछले 25-30 सालों से पतंग बेचती हैं. मकर संक्रांति के समय और दशहरा के समय खूब पतंग खरीदे जाते हैं, लेकिन पिछले 3 सालों से पतंग के व्यापार में काफी गिरावट आई है. वहीं, लोगों में भी उत्साह कम हुआ है. ऐसे में हमारा कारोबार काफी प्रभावित हुआ है.
बच्चों के लिए कार्टून कैरेक्टर के पतंग
ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान एक ग्राहक ने बताया कि दुकानों में पतंगों की कई वेरायटी है. लेकिन काफी कम ग्राहक दुकानों में नजर आ रहे हैं. ज्यादातर बच्चे ही दुकानों में नजर आ रहे हैं, बच्चों के लिए भी दुकानों में अलग-अलग कार्टून कैरेक्टर्स के पतंग है. हालांकि पिछले दो सालों में पतंगबाजी का क्रेज कम सा हो गया है.
मोबाइल और टेलीविजन की वजह से पतंगबाजी से दूर होते बच्चे
पतंग एक्सपर्ट ने बताया कि मुझे 30 साल हो गए हैं, पतंग बनाते बेचते और उड़ाते हुए. पहले लोगों में पतंग का क्रेज काफी रहता था. पहले टीवी-मोबाइल नहीं रहता था. मकर सक्रांति के समय परिवार के साथ समय बिताने के लिए लोग पतंग उड़ाया करते थे. पहले अगर आप आसमान में देखेंगे तो जहां देखेंगे और जिधर देखेंगे सिर्फ पतंग ही उड़ते हुए दिखाई देती थी. परिवार के साथ समय बिताने का भी बहुत अच्छा मौका रहता था, लेकिन पिछले एक दशक से पतंगबाजी का क्रेज कम हुआ है. मोबाइल और टेलीविजन के वजह से लोग घरों में रहते हैं. मोबाइल ने बच्चों को और ज्यादा बिगाड़ दिया है. बहुत सारे ऐसे बच्चे हैं जिनको आज पता ही नहीं कि पतंग क्या होती है. और उसे कैसे उड़ाया जाता है. हालांकि कुछ बच्चे और बड़े ऐसे भी हैं जो आज भी शौकिया तौर पर पतंग उड़ाते हैं लेकिन उनकी संख्या लगातार घटती चली जा रही है.