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Winter में इन बीमारियों से बचने के लिए अपनायें ये खास टिप्स

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Published : Nov 21, 2021, 4:10 PM IST

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बीमारियों से बचने के लिए अपनायें ये खास टिप्स

ठंड (cold) में हल्की सी लापरवाही (Negligence) भारी पड़ सकती है, क्योंकि इस मौसम में ज्यादातर सर्दी (winter) के असर से बचने के लिए लोग भले ही गर्म कपड़े का इस्तेमाल (use warm clothes) कर लें फिर भी ठंड से लड़ने के लिए बॉडी के अंदर गर्मी का होना बेहद जरूरी है. इस संबंध में ईटीवी भारत ने आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ. अरुणा ओझा (Ayurveda Specialist Dr. Aruna Ojha) से जानकारी ली. आइये जानते हैं कि उन्होंने बीमारियों (Diseases) से बचने के लिए क्या टिप्स (Tips) दिए...

रायपुर: सर्दी (winter)का मौसम आते ही बीमारियां (Diseases) लोगों को घेरने लगती है. वहीं, बच्चे और बुजुर्ग खासकर इस मौसम में सर्दी-जुकाम और बुखार के गिरफ्त में जल्द ही आ जाते हैं. इस समय कब किसको सर्दी लग जाए ये कोई नहीं जानता. ठंड (Cold) में हल्की सी लापरवाही (Negligence) भारी पड़ सकती है, क्योंकि इस मौसम में ज्यादातर सर्दी के असर से बचने के लिए लोग भले ही गर्म कपड़े का इस्तेमाल (use warm clothes) कर लें, फिर भी ठंड से लड़ने के लिए बॉडी के अंदर गर्मी का होना बेहद जरूरी है. ठंड के दिनों में होने वाली बीमारी से आप घर बैठे निजात कैसे निजात पा सकते हैं. इस संबंध में ज्यादा जानकारी के लिए ईटीवी भारत ने आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ. अरुणा ओझा (Ayurveda Specialist Dr. Aruna Ojha)से जानकारी ली. आइये जानते हैं कि उन्होंने ठंड में बीमारियों से बचने के लिए क्या टिप्स (Tips)दिए...

आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ. अरुणा ओझा

पौष्टिक आहर और गरम द्रव्य लेना जरूरी

ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान डॉ. अरुणा ओझा ने बताया कि हिंदी महीनों में यदि हम देखें तो हेमंत ऋतु चल रही है. हेमंत और शिशिर ऋतु शीत ऋतु होती है. उस समय कई बीमारियां होती है, जैसे सर्दी- खांसी वाली बीमारियां. ठंड के मौसम में कई बार अस्थमा और सांस की तकलीफें बढ़ जाती है. यदि हम छोटी-छोटी बातों का जैसे खान-पान और रहन-सहन का ध्यान रखें तो इन बीमारियों से बच सकते हैं. शीत ऋतु में हमारा मेटाबॉलिज्म बहुत ही अच्छा रहता है. ऐसे में हमको कोशिश करना चाहिए कि इस समय पोष्टिक आहार जैसे ड्राई फूड्स लेना चाहिए. साथ ही गरम द्रव्य पदार्थ का ग्रहण करना चाहिए. इसके लिए हमें दूध में सुंगठि(सोंठ) और हल्दी डाल कर पी सकते हैं, जिसे हम गोल्डन मिल्क बोलते हैं. गुड़ का प्रयोग दूध के साथ करना चाहिए. इसके अलावा जो ड्राई फ्रूट्स होते हैं. उनका घी डालकर लड्डू बना कर इस्तेमाल कर सकते हैं. विशेष रूप से हमें मौसमी फल और सब्जियों का ग्रहण करना चाहिए, क्योंकि प्रकृति हमको जिस मौसम में चीजें देती हैं, उनका उपयोग करना चाहिए.

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इन मसालों का करें उपयोग

सर्दी कफ वाली व्याधियां होती है. उसके लिए हम सूप में घरों में होने वाले मसले जैसे सोंठ, काली मिर्च, पिपली, दाल चीनी और लवंग का मसाला बनाकर घर में रखना चाहिए. जिसका उपयोग हम चाय और सूप में डालकर कर सकते हैं. इसे काफी हद तक सर्दी, खांसी या इसकी वजह से होने वाले बुखार से बच सकते हैं.

ठंड में बुजुर्गों को सरसों के तेल करना चाहिए मसाज

वहीं, सबसे ज्यादा अर्थराइटिस वाले मरीजों को सबसे ज्यादा घुटने का दर्द, कमर के दर्द या और कई तरह के दर्द रहते हैं वह बढ़ जाते हैं. उस दर्द से बचने के लिए हमको सबसे पहली चीज ध्यान में रखना है कि मौसम ठंडा रहता है. पानी ठंडा रहता है. कई लोग इस मौसम में भी AC और तेज FAN का उपयोग करते हैं, ऐसे में ध्यान देना चाहिए कि खान पान में हम गर्म तासीर का उपयोग कर रहे हैं, तो ठीक वैसे ही रहन-सहन में भी थोड़ी उष्णता होनी चाहिए. इसके लिए हमें तेल का मसाज करना चाहिए. यह शरीर को बहुत ज्यादा पोषण और न्यूट्रिशन देता है. खासकर बुजुर्गों के लिए मसाज जरूरी है. मसाज के लिए सरसों का तेल बहुत उपयोगी होता है. गुनगुने पानी का उपयोग नहाते वक्त करें. बहुत से लोग ज्यादा गर्म पानी का उपयोग करते हैं, जबकि ऐसा न करें. इससे स्कीन की प्रॉब्लम होती है. ठंड में नहाने के बाद शरीर में तेल जरूर लगाना चाहिए.

शरीर का बल या इम्युनिटी बढ़ाने के लिए बेस्ट सीजन

यह सीजन शरीर का बल या इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए बेस्ट सीजन माना जाता है. इस समय शरीर को इतना ज्यादा न्यूट्रिशन और अपनी बॉडी की स्ट्रेंथ को बढ़ा सकते हैं कि साल भर जब गर्मी के मौसम और बारिश के मौसम में जो काल का प्रभाव होता है. उसके कारण बॉडी की स्ट्रेंथ कम होती है. उसे हम इस सीजन में ऐसा करने से मैनेज कर सकते हैं.

प्रतिदिन आहार में लें 5 आंवला

आंवला शरीर की इम्युनिटी बढ़ाने के लिए सबसे बेस्ट है. यह छत्तीसगढ़ में हर जगह मिल जाएगा. यह ठंड के मौसम का फल है. हम कोशिश करें कि ज्यादातर आंवले का प्रयोग करे चाहे चटनी के रूप में हो या उबालकर करें. यदि किसी को आंवला नहीं मिल सकता है तो वह आंवले के मुरब्बे का प्रयोग करें. आयुर्वेद चिकित्सक के तौर पर मेरा मानना है कि प्रतिदिन आहार में 5 आंवला ले. चाहे तो उसे खाने की थाली के रूप में ही कर सकते हैं. यदि वह 5 आंवला खाता है तो उन्हें अलग अलग तरह की 5 बीमारियों से बचा जा सकता है. चाहे वह किडनी की बीमारी हो या एसिडिटी या अन्य.

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