छत्तीसगढ़ में क्यों बढ़ रही सामूहिक आत्महत्या की घटनाएं ?

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Published : May 20, 2022, 1:07 AM IST

incidents of suicides increasing in Chhattisgarh

छत्तीसगढ़ में सामूहिक आत्महत्या की घटनाएं तेजी से बढीं हैं. आखिर सामूहिक आत्महत्या की वजह क्या है. इसे रोकने के लिए किस तरह के प्रयास किए जाने चाहिए. इसे जानने के लिए पढ़िए ये खास रिपोर्ट

रायपुर: अब तक आत्महत्या की घटनाएं देखने और सुनने को मिलती थी लेकिन पिछले कुछ समय से सामूहिक आत्महत्या की घटनाएं भी देखने को मिल रही है. आखिर ऐसी क्या वजह है, क्यों सामूहिक आत्महत्या की घटनाएं बढ़ रहीं हैं.

इन घटनाओं को किस तरह से रोका जा सकता है. इन घटनाओं को रोकने में किस तरह से पुलिस प्रशासन भी प्रयास कर रहा है. यह ऐसे सवाल हैं जिसका जवाब जानने की जिज्ञासा सभी को है. अचानक से ऐसा क्या हो रहा है कि अब एक-दो नहीं बल्कि चार चार लोग या फिर पूरा का पूरा परिवार आत्महत्या कर रहा है. इन सवालों का जवाब जानने की कोशिश की ईटीवी भारत ने. इसके लिए हमने जहां एक और मनोचिकित्सक से बात की, वहीं पुलिस अधिकारी से भी चर्चा की और उनसे जानना चाहा कि ऐसी कौन सी परिस्थिति है कि लोग आत्महत्या या फिर सामूहिक आत्महत्या कर रहे हैं और उसे रोकने के लिए किस तरह के प्रयास किए जा सकते हैं.

छत्तीसगढ़ में क्यों बढ़ रहे सुसाइड केस
सामूहिक आत्महत्या की कुछ घटनाओं पर एक नजर तिल्दा सामूहिक आत्महत्या मामला: रायपुर के तिल्दा क्षेत्र में कुछ दिन पूर्व ही सामूहिक आत्महत्या का मामला प्रकाश में आया था. जहां पूरे परिवार की मौत के पीछे व्यापारी की पत्नी का हाथ बताया गया. महिला ने पहले अपने हाथों से बच्चों का गला घोटकर हत्या कर दी थी. इसके बाद पति की हथौड़े से मारकर जान ले ली थी, बाद में उस महिला ने खुद भी फांसी लगा ली.

कांकेर सामूहिक आत्महत्या मामला: हाल ही में कांकेर में भी एक सामूहिक आत्महत्या का मामला सामने आया था. जिसमें एक ही परिवार के 4 लोगों की मौत हुई थी. पति और पत्नी और उनके दो मासूम बच्चों का शव कांकेर के एक लॉज में मिला था. एक कमरे में पति-पत्नी का शव लटका मिला था. तो वहीं पास में ही 2 बच्चों के शव बिस्तर पर मिले थे.

मां ने 5 बेटियों के साथ ट्रेन के सामने कूदकर की थी सामूहिक आत्महत्या: लगभग 1 साल पहले भी महासमुंद में एक ऐसा ही सामूहिक आत्महत्या का मामला सामने आया था. जहां एक मां ने अपने 5 बच्चों के साथ ट्रेन के सामने कूदकर आत्महत्या कर ली थी. इस दौरान कुल 6 लोगों की मौत हो गई थी.

आत्महत्या के आंकड़ों पर एक नजर

रायपुर में सबसे ज्यादा लोगों ने की आत्महत्या :डायल 112 से मिले आंकड़ों के अनुसार 1 सितंबर 2018 से लेकर 30 अप्रैल 2022 तक 4033 लोगों ने आत्महत्या की है. सबसे ज्यादा आत्महत्या के मामले रायपुर में देखने को मिले हैं. रायपुर में 902 लोगों ने आत्महत्या की है. जबकि दुर्ग और बिलासपुर में क्रमशः 769 और 612 लोगों के द्वारा आत्महत्या की गई है.

डायल 112 ने हजारों लोगों की बचाई जान: वहीं आत्महत्या का प्रयास करने वाले लोगों की संख्या 19836 है . आत्महत्या के प्रयास के मामले में भी रायपुर में सबसे ज्यादा प्रकरण देखने को मिले हैं. रायपुर में 3213 लोगों के द्वारा आत्महत्या का प्रयास किया गया है. जबकि बिलासपुर में 3036, दुर्ग में 2603 और जांजगीर चांपा में 2078 लोगों के द्वारा आत्महत्या की कोशिश की गई है. इसके अलावा भी अन्य कई ऐसे जिले हैं जहां 100 या 100 से अधिक लोगों के द्वारा आत्महत्या की कोशिश की गई है.

यह आंकड़ा डायल 112 से प्राप्त हुए हैं. इसके अलावा भी कई थानों और अन्य जगहों पर भी आत्महत्या या फिर सामूहिक आत्महत्या के मामले दर्ज हैं. इन आत्महत्या एवं सामूहिक आत्महत्या के पीछे कई तरह के कारण हो सकते हैं आखिर ऐसी क्या वजह है कि लोग एक के बाद एक आत्महत्या ही नहीं बल्कि सामूहिक आत्महत्या कर रहे हैं. आइए जानते हैं.

लोगों के जीवन में लगातार बढ़ रहा था तनाव :आत्महत्या एवं सामूहिक आत्महत्या को लेकर जब मानसिक रोग विशेषज्ञ डॉक्टर सुरभि दुबे से बात की गई तो उनका कहना था कि" लगातार लोगों के जीवन में तनाव आता जा रहा है, विभिन्न कारणों से लोग काफी तनाव में होते जा रहे हैं पारिवारिक जिम्मेदारी बढ़ती जा रही है, ऐसे में यदि परिवार का कोई एक सदस्य मानसिक रूप से परेशान होता है तो उसका प्रभाव पूरे परिवार पर पड़ता है"

इसलिए कर रहे हैं सामूहिक आत्महत्या: डॉ सुरभि दुबे बताती है कि इस तरह के मानसिक रोगियों को डर रहता है कि उन्हें सोसाइटी के बाकी लोग सहयोग नहीं करेंगे. ये लोग अपने आप को काफी नीचे समझने लगते हैं और इस वजह से आत्महत्या या फिर सामूहिक आत्महत्या जैसे कदम उठाते हैं. आत्महत्या करने के बाद कहीं उनका परिवार आर्थिक या फिर अन्य किसी वजह से परेशानियों का सामना ना करें इसलिए भी सामूहिक आत्महत्या जैसे कदम उठाए जा रहे हैं. डॉक्टर संगीता पीटर्स बताती है कि इन आत्महत्या या फिर सामूहिक आत्महत्या की वजह यह भी है कि पिछले कुछ समय में कोरोना काल की वजह से कई लोगों की नौकरी छूट गई है व्यवसाय धंधा पानी बंद हो गया है , जिस वजह से भी लोग आर्थिक तंगी से गुजर रहे हैं. ऐसे में उन्हें लगता है कि आत्महत्या करने से सारी समस्या का समाधान हो जाएगा यह इन परेशानियों से निपटने का आसान तरीका है जबकि ऐसा नहीं है. डायल 112 की एसपी डॉ संगीता पीटर्स कहती हैं कि, कई बार तनाव या फिर कुछ निराशा की वजह से भी लोग इस तरह का आत्मघाती कदम उठाते हैं

आत्महत्या की खबरें भी लोगों को करती हैं प्रेरित:डॉ सुरभि दुबे का कहना है कि इसके अलावा यह बात भी सामने आ रही है कि आत्महत्या की घटनाएं होने के बाद उसे जिस तरह से मीडिया के द्वारा प्रसारित किया जाता है. उससे भी लोगों को लगता है कि सामूहिक आत्महत्या करके सारी समस्याओं से निजात मिल जाएगा और उस वजह से भी यह लोग इस तरह का आत्मघाती कदम उठाते हैं. इनके द्वारा पहले बच्चों की हत्या की जाती है और उसके बाद पति-पत्नी खुदकुशी कर लेते है. डॉ सुरभि दुबे बताती है कि महिलाएं आत्महत्या के मामले में जहर पीना या फांसी लगाना जैसे कदम उठाती है. वहीं पुरुष वर्ग दूसरे तरीके से आत्महत्या करते हैं. इन सब में जहर पीना सबसे ज्यादा आसान तरीका हो गया है।

केरल में भी बढ़ी ऐसी घटनाएं: डॉ सुरभि दुबे ने बताया कि ऐसा नहीं है कि इस तरह की घटनाएं सिर्फ छत्तीसगढ़ में भी देखने को मिल रही है इसके अलावा केरल सहित देश के अन्य राज्यों में भी ऐसी घटनाएं देखने को मिल रही है।


एसपी संगीता पीटर्स से ईटीवी ने की बात: आत्महत्या या फिर सामूहिक आत्महत्या जैसी घटनाओं को रोकने के लिए डायल 112 के द्वारा भी लगातार प्रयास किए जा रहे हैं. ईटीवी भारत ने डायल 112 के एसपी डॉक्टर संगीता पीटर्स से बात की. इस दौरान डॉ संगीता ने बताया कि जैसे हमारे पास आत्महत्या से संबंधित कोई सूचना आती है तो तत्काल उपलब्ध वाहन को मौके पर भेज दिया जाता है. उसमें हमारे जवान या फिर अधिकारी मौजूद रहते हैं वह आत्महत्या करने वाले लोगों से बात करते हैं उन्हें समझाते हैं. उन्हें हर संभव मदद पहुंचाने का आश्वासन देते हैं इस समझाइश के बाद कई लोगों ने आत्महत्या करने का विचार छोड़ दिया है.

आत्महत्या रोकने की नहीं मिली है ट्रेनिंग फिर भी कर रहे हैं बेहतर काम: जो जवान या फिर पुलिसकर्मी मौके पर पहुंचते हैं उन्हें किसी तरह की विशेष ट्रेनिंग दी गई है कि इस तरह की परिस्थिति से कैसे निपटें. इस सवाल के जवाब में एसपी संगीता पीटर्स ने कहा कि यह एक सामान्य प्रक्रिया है कि कोई अधिक तनाव में व्यक्ति है उसे किस तरह से सांत्वना दी जाए. उसे किस तरह से बाहर लाया जाए, उसे समझाइश दी जाए , अलग से कोई ट्रेनिंग नहीं दी जाती है लेकिन हमारे जवानों को ऐसी लगातार परिस्थितियों का सामना करते करते अनुभव हो चुका है. वे इस तरह की परिस्थितियों को आसानी से हैंडल कर रहे हैं.एसपी डॉ संगीता पीटर्स ने कहा कि हम लोग बिल्कुल फॉलोअप लेते हैं यदि कोई आत्महत्या करने की कोशिश करता है तो उससे ओर उसके परिवार से संपर्क किया जाता है. और उन्हें आत्महत्या या फिर सामूहिक आत्महत्या न करने के लिए समझाया जाता है.




मानसिक रोगियों के उपचार की नहीं है उचित व्यवस्था: रायपुर, बिलासपुर जैसे कुछ बड़े शहरों को छोड़ दिया जाए तो अधिकतर शहरों में मानसिक रोगियों के उपचार की सुविधा नहीं है. जिस वजह से भी इस तरह के मानसिक रोगियों से निपटने में परेशानी आ रही है. जानकारी के मुताबिक प्रदेश के अन्य जिलों में भी मानसिक रोग से ग्रसित मरीजों को उपचार के लिए रायपुर, बिलासपुर सहित कुछ अन्य गिने-चुने शहरों में ही लाया जाता है. इस वजह से कई बार मानसिक रोगियों को समय पर उपचार नहीं मिल पाया है और न हीं उनकी सही तरीके से काउंसलिंग हो पाती है. इसका भी कहीं ना कहीं प्रभाव मानसिक रोगियों पर पड़ता है यह भी एक वजह हो सकती आत्महत्या एवं सामूहिक आत्महत्या की.

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