रायपुर: आदिवासियों की रक्षा को लेकर हर साल 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस मनाया जाता है. इस दिन को पूरी दुनिया में लोग त्योहार के रूप में मनाते हैं. कोरोना काल में इसे लेकर कोई विशेष आयोजन नहीं हो रहा है लेकिन इस बार विश्व आदिवासी दिवस 2021 की थीम है “किसी को पीछे नहीं छोड़ना: स्वदेशी लोग और एक नए सामाजिक अनुबंध का आह्वान” है. संयुक्त राष्ट्र महासभा ने पहली बार 1994 को अंतर्राष्ट्रीय आदिवासी वर्ष घोषित किया था.
कैसे हुई विश्व आदिवासी दिवस की शुरुआत ?
दुनियाभर में आदिवासी समूह बेरोजगारी, बाल श्रम और अन्य समस्याओं का शिकार हो रहे थे. इसलिए संयुक्त राष्ट्र में आदिवासियों की हालात देखकर यूएनडब्लूजीआईपी (स्वदेशी जनसंख्या पर संयुक्त राष्ट्र कार्य समूह) संगठन बनाने की आवश्यकता पड़ी. दिसंबर 1994 को संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा पहली बार अंतरराष्ट्रीय जनजातीय दिवस मनाने का निर्णय लिया गया और साल 1982 में स्वदेशी जनसंख्या पर संयुक्त राष्ट्र कार्य समूह की पहली बैठक के दिन को विश्व आदिवासी दिवस के रूप में मनाने के लिए चिह्नित किया गया.
विश्व के लगभग 90 से अधिक देशों मे आदिवासी समुदाय के लोग रहते हैं. इसके बावजूद आदिवासी लोगों को अपना अस्तित्व, संस्कृति और सम्मान बचाने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है. आज दुनियाभर में नस्लभेद, रंगभेद, उदारीकरण जैसे कई कारणों की वजह से आदिवासी समुदाय के लोग अपना अस्तितिव और सम्मान बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. यही वजह है कि इनके अस्तित्व की रक्षा के लिए हर साल 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस मनाया जाता है. यह दुनिया की स्वदेशी जनता के बारे में जागरुकता पैदा करने और उनके अधिकारों की रक्षा करने के लिए मनाया जाता है
इस बार विश्व आदिवासी दिवस की थीम
विश्व मे आदिवासी समुदाय की जनसंख्या लगभग 37 करोड़ से ज्यादा है. पूरी दुनिया में करीब 5 हजार अलग अलग आदिवासी समुदाय है. इनकी करीब 7 हजार भाषाएं हैं. इन आदिवासी समाज की प्रगति के लिए हर साल 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस मनाया जाता है. इस बार विश्व आदिवासी दिवस की थीम है किसी को पीछे नहीं छोड़ना, स्वदेशी लोग और एक नए सामाजिक अनुबंध का आह्वान तय किया गया है. आदिवासी लोग प्रकृति की पूजा करते हैं. वह पहाड़ों, नदियों, पेड़ों, पक्षियों और जानवरों की उपासना करते हैं.
वह इस प्रकार अपने प्राकृतिक परिवेश के साथ रहते हैं और उनका पारिस्थितिक ज्ञान बहुत अच्छा है.भारत में आदिवासियों की जनसंख्या कुल आबादी का 8.6% है. उन्हें भारत के संविधान में अनुसूचित जनजाति के रूप में लक्षित किया गया है.भारत के कुछ आदिवासी समूहों में गोंड, मुंडा, हो, बोडो, भील, संथाल, खासी, गारो, ग्रेट अंडमानी, अंगामी, भूटिया, चेंचू, कोडवा, टोडा, मीना, बिरहोर और कई अन्य शामिल हैं.आदिवासी समुदाय से संबंधित लोग अपने घरों, खेतों और पूजा स्थलों पर झंडा लगाते हैं.
सीएम भूपेश बघेल ने दी बधाई
छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल ने विश्व आदिवासी दिवस के मौके पर प्रदेश की जनता को बधाई दी है. मुख्यमंत्री ने आज यहां जारी अपने संदेश में कहा है कि जनजातियों की प्राचीन कला और संस्कृति छत्तीसगढ़ की अनमोल धरोहर है.
राज्य सरकार आदिवासियों की प्राचीनतम परंपरा, संस्कृति और जीवन मूल्यों को सहेजते हुए उनके विकास के लिए लगातार प्रयास कर रही है. गौरतलब है कि प्रदेश में करीब 31 प्रतिशत आबादी आदिवासी समाज की है. इसलिए 9 अगस्त का दिन प्रदेश के लिए बेहद खास है. हर साल यहां कई स्तरों पर आदिवासी समाज द्वारा कार्यक्रमों का आयोजन किए जाते हैं. इस बार आदिवासी दिवस पर प्रदेश में शासकीय अवकाश घोषित किया गया है.
छत्तीसगढ़ में चल रही आदिवासियों के हितों में कई योजनाएं
मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि जनजातियों के विकास और हित को ध्यान में रखते हुए हमारी सरकार ने बीते ढाई साल में कई अहम फैसले लिये हैं. लोहंडीगुड़ा में आदिवासियों की जमीन की वापसी, जेलों में बंद आदिवासियों के मामलों की समीक्षा, जिला खनिज न्यास के पैसों से आदिवासियों के जीवन स्तर में सुधार, बस्तर और सरगुजा में कर्मचारी चयन बोर्ड की स्थापना और यहां आदिवासी विकास प्राधिकरणों में स्थानीय अध्यक्ष की नियुक्ति, 52 वनोपजों की समर्थन मूल्य में खरीदी, आदिवासी क्षेत्रों में नई प्रशासनिक इकाईयों का गठन, नई सडकें, हाट बाजारों तक स्वास्थ्य सुविधाओं को पहुंचाने जैसे प्रयास शामिल हैं.
क्यों मनाया जाता है विश्व आदिवासी दिवस ?
इस दिवस को सबसे पहली बार शुरुआत सयुंक्त राज्य अमेरिका में मनाया गया था. विश्व आदिवासी दिवस आदिवासी समाज के अधिकारों को बढ़ावा देने और उनकी सुरक्षा के लिए यह मनाया जाता है. साथ ही इस दौरान आदिवासियों की मौजूदा हालात, समस्याएं और उनकी उपलब्धियों पर चर्चा होती है. प्रकृति के सबसे करीब रहनेवाले आदिवासी समुदाय ने कई क्षेत्रों में अग्रणी भूमिका निभाई है.