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Hindu Marriage Muhurat 2022: फरवरी से मई तक शादियों के मुहूर्त, कौन से मुहूर्त होंगे खास आइए जानते हैं

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Published : Feb 2, 2022, 10:37 PM IST

Hindu Marriage Muhurat 2022: विवाह संस्कार सनातन परंपरा में एक बहुत ही निर्णायक संस्कार माना गया है. यह जीवन को नई दिशा, नए आयाम प्रदान करता है. विवाह संस्कार जीवन में बदलाव उन्नति और व्यक्ति को सामाजिक रूप से जोड़ने का कार्य करता है.

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शादियों के मुहूर्त

रायपुर: इस साल फरवरी में गुप्त नवरात्रि की बसंत पंचमी, श्री पंचमी, सरस्वती पंचमी के शुभ दिन से विवाह का मुहूर्त प्रारंभ होने जा रहा (Hindu Marriage Muhurat 2022 ) है. गुप्त नवरात्रि अपने आप में एक शक्तिशाली पर्व माना गया है. आज के शुभ दिन कोई भी कार्य करना शुभ होता है. बसंत पंचमी, सरस्वती पंचमी अक्षय मुहूर्त माने गए हैं. इस दिन सर्वाधिक विवाह होते हैं. यह विवाह सफल माने जाते हैं.

पंडित विनीत शर्मा

ज्योतिष एवं वास्तु शास्त्री पंडित विनीत शर्मा ने बताया कि 6 फरवरी गुप्त नवरात्रि की षष्ठी शीतला षष्ठी सर्वार्थ सिद्धि योग में रवि योग के प्रभाव से यह मुहूर्त भी विवाह के लिए बहुत ही मंगलकारी है. 10 फरवरी गुरुवार का दिन भी गुप्त नवरात्रि की नवमी तिथि को रवि योग, अहोरात्र और रोहिणी नक्षत्र में गुरुवार के शुभ संयोग से अच्छा है. 18 फरवरी 2022 फाल्गुन कृष्ण पक्ष की द्वितीय तिथि प्रारंभ के शुभ मुहूर्त पर विवाह का सुंदर संयोग बन रहा है. यह मुहूर्त अखंड अक्षय और सर्वाधिक पुण्य काल वाले हैं. इन मुहूर्तो में मांगलिक कार्य करना परम शुभ माना जाता है.

विवाह में गौ माता और हल्दी का विशेष महत्व

विवाह संस्कार में गौ दान का विशेष महत्व होता है. मंडपाच्छादन करने के पूर्व गौ माता को भरपूर भोजन प्रसाद खली घास खिलाकर विवाह कार्य को प्रारंभ करना चाहिए. गायों को नए वस्त्र पहनाकर भी इस कार्य को प्रारंभ किया जाता है. संपूर्ण विवाह प्रसंग में गौमाता और हल्दी का विशेष महत्व माना गया है.

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15 मार्च से 15 अप्रैल तक खरमास, विवाह जैसे शुभ कार्यों पर रोक

15 मार्च से 15 अप्रैल के बीच सूर्य का आगमन मीन राशि में हो जाता है इसलिए मांगलिक कार्य पूरी तरह से वर्जित रहते हैं. इसमें कोई मांगलिक कार्य नहीं किया जाता. यह खरमास भी कहलाता है. इसके बाद 16 अप्रैल 2022, 20 अप्रैल 2022, 21 अप्रैल 2022, 23 अप्रैल 2022 और 24 अप्रैल 2022 को सूर्य के उच्च भाव में होने की वजह से अत्यंत शुभ मुहूर्त हैं. इस विशेष काल में गुरु ग्रह भी अतिचारी होकर स्वयं की राशि में आ जाएंगे, इसलिए यह विवाह के सर्वोत्तम मुहूर्त माने गए हैं.

सनातन काल से अक्षय तृतीया को अबूझ मुहूर्त माना गया

सनातन काल से अक्षय तृतीया को विवाह का अक्षय मुहूर्त माना गया है. इस साल अक्षय तृतीया 3 मई को पड़ रही है. इसे अबूझ मुहूर्त भी कहते हैं. परशुराम जयंती, बद्री केदारनाथ यात्रा प्रारंभ, त्रेतायुगादि और कल्पादि के मनोहर योग में अक्षय तृतीया का पावन पर्व आ रहा है. इस दिन चंद्रमा और सूर्य उच्च राशि में विराजमान रहते हैं. रोहिणी नक्षत्र, शोभन योग, मातंग योग, वृषभ राशि के सुंदर संयोग में अक्षय तृतीया को संपूर्ण भारतवर्ष में सबसे ज्यादा विवाह किए जाते हैं. सभी शुभ कार्य, व्यापार प्रारंभ करने के लिए भी इसे सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त माना गया है.

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