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Baalveer Children Day Special 2021: यंगेस्ट माउंटेनियर रित्विका और कंदर्प ने बनाया कीर्तिमान, छू लिया Everest

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Published : Nov 15, 2021, 10:12 AM IST

Gwalior Youngest Mountaineer
यंगेस्ट माउंटेनियर रित्विका और कंदर्प

Gwalior के दो बच्चों Ritwika और Kandarp ने सबसे कम उम्र में माउंट एवरेस्ट के आधार शिविर यानी बेस कैंप तक पहुंचने का रिकॉर्ड (mountanieers) बनाया है. कंदर्प ने पांच साल और रित्विका ने आठ साल की उम्र में Mount Everest की 5380 मीटर की ऊंचाई पर स्थित base camp पर पहुंचने का कारनामा कर दिखाया. रित्विका और कंदर्प ये कारनामा करने वाले सबसे कम उम्र के भाई-बहन बन हैं. (Ritwika and Kandarp reached Everest base camp)

ग्वालियर/रायपुर जिस उम्र में बच्चे खिलौनों से खेलते हैं या आज के बच्चे टैब-मोबाइल पर गेम्स खेलने में बिजी रहते हैं, उस उम्र में ग्वालियर के भाई-बहन कंदर्प और रित्विका (Ritwika and Kandarp ) दुनिया के सबसे ऊंचे पहाड़ माउंट एवरेस्ट पर पहुंच गए. ये दोनों सबसे कम उम्र के बच्चे हैं, (mountanieers)जो पांच हजार मीटर से ज्यादा ऊंचाई पर पहुंचे हैं.

यंगेस्ट माउंटेनियर रित्विका और कंदर्प

baalveer children day special 2021: नन्हें कदमों से Everest फतेह

जिस उम्र में बच्चे ठीक तरह से दौड़ भी नहीं पाते, उस उम्र में ग्वालियर के रहने भाई-बहन रित्विका और कंदर्प ने माउंट एवरेस्ट को नाम दिया. दोनों नन्हें पर्वतारोहियों ने नेपाल की माउंट एवरेस्ट चोटी और काला पत्थर पर फतह हासिल कर विश्व रिकॉर्ड बना दिया. दोनों भाई बहन ने माउंट एवरेस्ट बेस और काला पत्थर पर पहुंचकर विजय घोष के साथ भारतीय ध्वज फहराकर देश के यंगेस्ट माउंटेनियर (Mount Everest )होने का खिताब हासिल किया.(Ritwika and Kandarp reached Everest base camp) विश्व रिकॉर्ड बनाते समय रित्विका की उम्र 8 साल और उसके भाई कंदर्प की उम्र 5 साल थी. इस ऐतिहासिक उपलब्धि के लिए नेपाल के उपराष्ट्रपति और नेपाल स्थित भारतीय दूतावास की राजदूत ने इन्हें सम्मानित किया. सबसे खास बात यह है कि इन दोनों भाई बहन के कोच उनके पिता ही थे.

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youngest mountaineers: रित्विका को बचपन से था पहाड़ नापने का जुनून

छोटी उम्र में रित्विका और कंदर्प ने एडवेंचर स्पोर्ट्स में कदम रख दिया था. (youngest mountaineers of India) दोनों के लिए एडवेंचर स्पोर्ट्स जुनून बन गया. दोनों कोहिनूर की पहचान करने वाले इनके पिता ने इन्हें तैयारी कराना शुरू कर दिया .बच्चों के पिता भी एडवेंचर स्पोर्ट्स के कोच रह चुके हैं. इसलिए बच्चों के हुनर को इन्होंने सही समय पर पहचान लिया. पिता ने रित्विका और कंदर्प का कोच बनकर कड़ी मेहनत करवाई.

youngest mountaineers: टफ ट्रेनिंग से हासिल किया मुकाम

पिता भूपेंद्र शर्मा का कहना है कि बचपन में ही वे दोनों को ग्वालियर किले पर ले जाकर ट्रेनिंग देते थे.अपने पिता की मदद से रित्विका ने 2 साल की उम्र में ग्वालियर किले पर Rock Climbing और रैपलिंग की तैयारी करना शुरू कर दिया था.(World record of Ritwika and Kandarp) जब रित्विका 5 साल की हुई, तो पिता उसे लेह लद्दाख में वर्ल्ड मोटरेबल पास ऑफ वर्ड ले गए. जिसकी ऊंचाई 18 हजार 340 फीट है. वहां पर रित्विका की शारीरिक क्षमता का पता लगा और उसके बाद उसके पिता कई बार उसे ऊंची पहाड़ियों पर ले गए.

baalveer children day special 2021: रित्विका ने 8 साल में, कंदर्प ने 5 साल में नाप दिया एवरेस्ट

रित्विका और कंदर्प ने अलग अलग विश्व रिकॉर्ड हासिल किया था. रित्विका ने 8 साल की उम्र में 18 हजार 200 फीट ऊंचे काला पत्थर और माउंट एवरेस्ट बेस कैंप को फतेह किया और देश की यंगेस्ट गर्ल माउंटेनियर होने का गौरव हासिल किया. इसके साथ ही कंदर्प ने 5 साल 4 महीने की की उम्र में 2014 के रिकॉर्ड को धराशाई कर दिया. कंदर्प से पहले दिल्ली के हर्षित सेमित्र ने 5 वर्ष 11 महीने की उम्र में यह रिकॉर्ड बनाया था. माउंट एवरेस्ट के आधार शिविर पर इन दोनों भाई बहिन के साथ इनके माता-पिता भी मौजूद रहे. रित्विका और कंदर्प ईटीवी ने बताया कि ये सब हमारे पिता की मेहनत की दम पर हुआ है. बचपन से ही वे हमें प्रेरित करते रहे.

youngest mountaineers: चढ़ाई से पहले आया था भूकंप

रित्विका और कंदर्प के छोटी उम्र में बड़े कमाल को देखकर नेपाल के उपराष्ट्रपति और नेपाल में स्थित दूतावास में भारत के राजदूत ने इनके लिए सम्मान समारोह रखा.जब इन दोनों भाई बहनों ने काला पत्थर और माउंट एवरेस्ट बेस पर चढ़ाई की, उससे पहले वहां भूकंप से हजारों टन वजन के भूखंड रास्ता रोके खड़े थे. इसके बावजूद भारत स्काउट एंड गाइड के एडवेंचर ओपन दल के 5 साल के कंदर्प और 8 साल की रित्विका शर्मा ने जोश और जुनून के साथ चढ़ाई पूरी की.

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baalveer children day special 2021: स्काई डाइविंग के अगला टारगेट

रित्विका को बचपन से ही घुड़सवारी का भी शौक रहा है. उसके माता पिता भी घुड़सवारी के चैंपियन हैं. एक साल में वो भी घुड़सवारी की चैंपियन बन गई. हॉर्स राइडिंग के हुनर को देखते उसे गाला उत्कृष्ट खेल रत्न, अदम्य साहस और ध्यान चंद समेत कई अवार्ड मिले. रित्विका तैराकी में भी महारत हासिल कर चुकी हैं. वह बंगाल की खाड़ी में अंडमान के खुले समुद्र में स्कूबा डाइविंग करके यंगेस्ट स्कूबा डाइवर का विश्व रिकॉर्ड भी अपने नाम कर चुकी हैं.

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