रायपुर: भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी मनाया जाता है. इसे सौभाग्य चतुर्थी भी कहा जाता है. अमृत योग के बीच 19 सितंबर मंगलवार को गणेश चतुर्थी मनाई जाएगी. स्वाति नक्षत्र, वैधृति योग, विश्वकुंभकरण और तुला राशि के चंद्रमा का शुभ संयोग बन रहा है.प्राचीन काल से ही जगह-जगह लंबोदर महाराज को स्थापित कर पूजा अर्चना की जाती है.
गणेश जी ने की थी माता-पिता की परीक्रमा: भगवान गणेश शिवजी के पुत्र हैं. भगवान गणेश ने अपने माता-पिता की परिक्रमा कर ये साबित किया था कि माता-पिता ही संपूर्ण पृथ्वी के समान हैं, ब्रह्मांड के समान है. जगत में सबसे बड़े हैं. इसके बाद भगवान गणेश जी को माता-पिता से यह आशीर्वाद मिला कि सभी पूजन,अनुष्ठान, यज्ञ में सर्वप्रथम भगवान गणेश की पूजा की जाएगी. भगवान गणेश बुद्धि के दाता हैं. भौतिकी, गणित, ज्योतिष लेखा अकाउंट आदि के कारक भगवान गणेश माने जाते हैं. भगवान गणेश बुध ग्रह का प्रतिनिधित्व करते हैं. भगवान गणेश की पूजा से सभी बाधा दूर हो जाती है. इसलिए पूरे उत्साह और उमंग के साथ लोग गणपति की पूजा करते हैं.
गणेश पूजा का शुभ समय: पांच शुभ योग में भगवान गणेश की स्थापना की जाएगी. इनका शुभ मुहूर्त अभिजीत मुहूर्त 19 सितंबर को सुबह 11:36 से लेकर 12:24 तक है. इसके साथ ही वृश्चिक लग्न सुबह 10:09 से लेकर 12:24 तक है. इसके बाद धनु लग्न में दोपहर 12:24 से लेकर दोपहर 2:29 तक शुभ रहेगा. इसके अलावा पूरे दिन भगवान गणेश की स्थापना के लिए शुभ समय है. यह ध्यान रखने वाली बात है कि सूर्यास्त के पहले विधि-विधान से गणेश जी की स्थापना करनी चाहिए. 19 सितंबर को सूर्यास्त 5:59 पर होगा, यानी कि इसके पहले गणेश जी की विधि विधान से स्थापना की जानी चाहिए.
भगवान गणेश जी को मोदक, गजक, बूंदी, बेसन के लड्डू का भोग लगाना चाहिए. यह भोग स्वच्छता से लगाया जाना चाहिए. भगवान को भोग लगाए जाने वाली सामाग्री पूरी तरह से साफ जगह पर होनी चाहिए. भगवान लंबोदर को केला काफी प्रिय है. इन्हें प्रतिदिन केले का भोग जरूर लगाना चाहए. -विनीत शर्मा, पंडित
पंडाल में ऐसे करें गणपति की स्थापना: पंडाल में गणपति की स्थापना के दौरान कई खास बातों का ध्यान रखना चाहिए. वरना बड़ा दोष लगता है. सभी नियमों के साथ विघ्नहर्ता प्रथम पूज्य भगवान गणेश की स्थापना करनी चाहिए. सूर्यास्त के पहले ही भगवान गणेश जी की स्थापना करना श्रेष्ठ माना गया है. यह मुहूर्त 5:59 गणेश चतुर्थी के दिन का है. यानी कि संध्या 5.59 के पूर्व गणेश जी की स्थापना करना शुभ रहेगा. पंडाल में भगवान गणेश जी को स्थापित करने वाले स्थान को गंगाजल से साफ करें.
ऐसे करें सफाई: 16 सितंबर से ही सफाई की जानी चाहिए. संपूर्ण भूभाग पर गौ माता के शुद्ध गोबर से लिपाई की जानी चाहिए. पंडाल में प्रत्येक दिन भगवान गणेश की दो समय पूजा आराधना होनी चाहिए. भगवान गणेश के पंडाल पर किसी भी तरह की जल वर्षा नहीं होनी चाहिए. अर्थात पूरे क्षेत्र को अच्छी तरह से विशालकाय कपड़ों से ढाका जाना चाहिए. पंडाल स्थल इस तरह से बने होने चाहिए ताकि भगवान गणेश की संपूर्ण छवि एक साथ देखी जा सके. पंडाल के भीतर प्रतिदिन पूजा के पहले दोनों समय गंगाजल शुद्ध जल से सफाई की जानी चाहिए. पुराने पुष्पों को विधिविधान से विसर्जित करना चाहिए. विघ्नहर्ता भगवान को दूब की माला जरूर चढ़ानी चाहिए.