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Dussehra 2021: इस साल कई महायोग के बीच दशहरा, ये है पूजन और रावण दहन का उत्तम समय

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Published : Oct 8, 2021, 10:50 PM IST

Updated : Oct 14, 2021, 7:17 PM IST

इस बार विजयादशमी (vijayadashmi) का पर्व 15 अक्टूबर को मनाई जाएगी. इस दिन भगवान राम ने राक्षसराज रावण का वध किया था.

विजयादशमी का पर्व
विजयादशमी का पर्व

रायपुर: असत्य पर सत्य की जीत अधर्म पर धर्म की जीत और अन्याय पर न्याय की जीत का महापर्व विजयादशमी (Vijayadashami) है. इसे दशहरा और महिषासुर मर्दिनी के रूप में भी मनाया जाता है. इस बार 15 अक्टूबर को विजयादशमी या दशहरे के रूप में यह पर्व मनाया जाएगा.

विजयादशमी का पर्व

राम ने किया था रावण का वध

दशहरा (Dussehra) के शुभ दिन मर्यादा पुरुषोत्तम रामचंद्र ने राक्षसराज रावण का वध किया था. रावण ने छल और कपट से माता सीता का हरण किया था. उसे ढूंढते हुए ययाति वंशज धर्म निष्ठ भगवान रामचंद्र ने वानरों की सेना के साथ लंका की ओर कूच किया और अपने महान पराक्रम प्रवीणता संगठन क्षमता और युद्ध कौशल से रावण जैसे शक्तिशाली राजा को महायुद्ध में परास्त किया. इस उपलक्ष्य में 15 अक्टूबर को विजयादशमी या दशहरे का पर्व इस बार मनाया जाएगा.

बन रहा है सुयोग
विजयादशमी के दिन श्रवण नक्षत्र शूल योग और मकर राशि का सुयोग बन रहा है. अस्त्र शस्त्रों को गंगाजल से धोकर तिलक लगाया जाता है और उनकी पूजा की जाती है. यह पर्व धर्म,सत्य, नीति और संस्कारों की विजय का महापर्व है. आज ही के दिन राक्षस महिषासुर का दुर्गा माता ने वध किया था और माता महिषासुर मर्दिनी कहलाई थी.

इस दिन अलग-अलग जगहों पर रामलीला का समापन कर रावण का वध होता है. कई जगहों पर रावण के साथ कुंभकरण और मेघनाथ का भी पुतला दहन किया जाता है. रावण वध के पश्चात पुरुष जब घर लौटते हैं तो माताएं और बहनें विजय की थाली के साथ सोन पत्र देकर उनका स्वागत करती है और लोग एक दूसरे को स्वर्ण पत्र देकर विजय भाव जागृत करते हैं. यह संपूर्ण दिवस आनंद उत्सव, उमंग जीत और विजय का प्रतीक है.

रायपुर: असत्य पर सत्य की जीत अधर्म पर धर्म की जीत और अन्याय पर न्याय की जीत का महापर्व विजयादशमी (Vijayadashami) है. इसे दशहरा और महिषासुर मर्दिनी के रूप में भी मनाया जाता है. इस बार 15 अक्टूबर को विजयादशमी या दशहरे के रूप में यह पर्व मनाया जाएगा.

विजयादशमी का पर्व

राम ने किया था रावण का वध

दशहरा (Dussehra) के शुभ दिन मर्यादा पुरुषोत्तम रामचंद्र ने राक्षसराज रावण का वध किया था. रावण ने छल और कपट से माता सीता का हरण किया था. उसे ढूंढते हुए ययाति वंशज धर्म निष्ठ भगवान रामचंद्र ने वानरों की सेना के साथ लंका की ओर कूच किया और अपने महान पराक्रम प्रवीणता संगठन क्षमता और युद्ध कौशल से रावण जैसे शक्तिशाली राजा को महायुद्ध में परास्त किया. इस उपलक्ष्य में 15 अक्टूबर को विजयादशमी या दशहरे का पर्व इस बार मनाया जाएगा.

बन रहा है सुयोग
विजयादशमी के दिन श्रवण नक्षत्र शूल योग और मकर राशि का सुयोग बन रहा है. अस्त्र शस्त्रों को गंगाजल से धोकर तिलक लगाया जाता है और उनकी पूजा की जाती है. यह पर्व धर्म,सत्य, नीति और संस्कारों की विजय का महापर्व है. आज ही के दिन राक्षस महिषासुर का दुर्गा माता ने वध किया था और माता महिषासुर मर्दिनी कहलाई थी.

इस दिन अलग-अलग जगहों पर रामलीला का समापन कर रावण का वध होता है. कई जगहों पर रावण के साथ कुंभकरण और मेघनाथ का भी पुतला दहन किया जाता है. रावण वध के पश्चात पुरुष जब घर लौटते हैं तो माताएं और बहनें विजय की थाली के साथ सोन पत्र देकर उनका स्वागत करती है और लोग एक दूसरे को स्वर्ण पत्र देकर विजय भाव जागृत करते हैं. यह संपूर्ण दिवस आनंद उत्सव, उमंग जीत और विजय का प्रतीक है.

Last Updated : Oct 14, 2021, 7:17 PM IST
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