ED statement on Chhattisgarh coal levy scam: छत्तीसगढ़ कोयला लेवी स्कैम पर ईडी का बयान, नौकरशाहों पर हावी लेवी घोटाले का सरगना सूर्यकांत तिवारी

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Published : Feb 1, 2023, 7:56 PM IST

ED statement on Chhattisgarh coal levy scam

छत्तीसगढ़ कोयला लेवी घोटाला में ED ने अपने आरोप पत्र में दावा किया है कि सौम्या चौरसिया के साथ संबंध के कारण किंगपिन सूर्यकांत तिवारी ने राज्य की नौकरशाही में अपनी दखल अंदाजी की है.सौम्या चौरसिया सीएम भूपेश बघेल के ऑफिस में उपसचिव के पद थीं. ईडी ने सोमवार को रायपुर की एक विशेष अदालत में दायर अपनी दूसरी अभियोजन शिकायत में कहा कि एजेंसी की जांच में यह भी पाया गया कि तीन आईपीएस अधिकारी कोयला व्यापारी सूर्यकांत तिवारी के अधीन काम कर रहे थे और उनसे और चौरसिया से अवैध निर्देश ले रहे थे.

रायपुर: ईडी की जांच एक कथित घोटाले से संबंधित है जिसमें वरिष्ठ नौकरशाहों, व्यापारियों, राजनेताओं और बिचौलियों से जुड़े एक कार्टेल की मदद से छत्तीसगढ़ में परिवहन किए गए प्रत्येक टन कोयले के लिए 25 रुपये की अवैध उगाही की जा रही थी. पूरक अभियोजन शिकायत में कहा गया है कि सूर्यकांत तिवारी ने सौम्या चौरसिया से जिला स्तर के आईएएस/आईपीएस अधिकारियों को अनौपचारिक निर्देश दिए.यानी सूर्यकांत तिवारी जिले के अधिकारियों को नियंत्रित करने लगे थे. जिसके कारण कोयला परिवहन से 25 रुपए प्रतिटन और आयरन बॉल्स परिवहन से 100 रुपए प्रतिटन की अवैध उगाही की गई.इन सभी बातों का जिक्र 55 सौ पेज के चालान में है.

आरोपी सूर्यकांत तिवारी ने इकट्ठा किया पैसा : ईडी की चार्जशीट में दावा किया गया है कि जबरन वसूली का सारा पैसा सूर्यकांत तिवारी के एक सिंडिकेट ने इकट्ठा किया था. लेकिन वह घोटाले का अंतिम लाभार्थी नहीं था. उसने बेनामी संपत्ति खरीदने के लिए बड़ी मात्रा में धन का उपयोग किया. धन का बड़ा हिस्सा चौरसिया को स्थानांतरित कर दिया गया.इस पैसे को राजनीतिक गतिविधियों और दूसरे कामों में खर्च किया गया.

कोल लेवी घोटाले में अफसर से व्यापारी तक सब लिप्त : चार्जशीट में चौरसिया, उनके भाई अनुराग चौरसिया, सूर्यकांत तिवारी के भाई रजनीकांत तिवारी और मां कैलाश तिवारी, खनन अधिकारी एसएस नाग और संदीप कुमार नायक और एक राजेश चौधरी को आरोपी बनाया गया है. मामले में पहली अभियोजन शिकायत रायपुर में विशेष पीएमएलए (धन शोधन निवारण अधिनियम) अदालत में पिछले साल 9 दिसंबर को दायर की गई थी. जिसमें आईएएस अधिकारी समीर विश्नोई, व्यवसायी सुनील अग्रवाल, सूर्यकांत तिवारी और उनके चाचा लक्ष्मीकांत तिवारी को गिरफ्तार किया गया था.ये सभी इस मामले में पहले आरोपी बनाए गए थे.

डायरियों में दर्ज की गई लेन देन की जानकारी : सूर्यकांत तिवारी ने कथित तौर पर करोड़ों रुपए की काली कमाई इकट्ठा की सौम्या चौरसिया के करीबी मनीष उपाध्याय को नकद भुगतान के संबंध में डायरियों में भी उल्लेख है.जिसे ईडी ने जब्त किया है.सूर्यकांत तिवारी के रिश्तेदार ने इस पूरे मामले में पैसों के ट्रांसपोर्टेशन का काम किया. सूर्यकांत के रिश्तेदार ही पैसों के लेन देन का पूरा हिसाब किताब रखते थे.

सौम्या चौरसिया पर करोड़ों रुपए लेने का आरोप : चार्जशीट में दावा किया गया है कि जब्त डायरियों के विश्लेषण से पता चलता है कि चौरसिया ने तिवारी के अवैध जबरन वसूली से 30 करोड़ रुपये से अधिक प्राप्त किए थे.एजेंसी की जांच ने स्थापित किया है कि चौरसिया और उसके परिवार ने उस अवधि के दौरान अचल संपत्ति अर्जित की जो लेवी घोटाले से मेल खाती थी. जांच में पाया गया कि सूर्यकांत तिवारी और उनके सहयोगियों ने पिछले दो वर्षों में छत्तीसगढ़ में कोयला ट्रांसपोर्टरों और अन्य व्यापारियों से अवैध रूप से लगभग 540 करोड़ रुपये वसूले है.

कहां कहां बांटे गए पैसे : डायरियों में दर्ज प्रविष्टियों से पता चलता है कि जबरन वसूली गई. कुल धनराशि में से 170 करोड़ रुपये कथित तौर पर बेनामी संपत्तियों (किसी व्यक्ति द्वारा खरीदी गई संपत्तियां, उसके नाम से नहीं) की खरीद के लिए इस्तेमाल की गई थी. जिसमें अचल संपत्तियां और कोयला वाशरी शामिल हैं. 36 करोड़ रुपये कथित तौर पर बेनामी संपत्तियों को खरीदने के लिए इस्तेमाल किया गया था. उपाध्याय के माध्यम से चौरसिया, एक वरिष्ठ राजनेता को 52 करोड़ रुपये, छत्तीसगढ़ में कुछ विधायकों को 4 करोड़ रुपये, पूर्व विधायकों और राजनेताओं को 6 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया था.

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सूर्यकांत तिवारी ऑपरेट करता था सिंडिकेट : ईडी ने इस संबंध में अब तक राज्य में तैनात तीन आईपीएस अधिकारियों के बयान दर्ज किए और वे "एक निजी व्यवसायी सूर्यकांत तिवारी के अधीनस्थ" के रूप में कार्य करते पाए गए. ये सभी कथित रूप से सूर्यकांत तिवारी और सौम्या चौरसिया से अवैध निर्देश ले रहे थे. वहीं चौरसिया और तिवारी के वकील फैजल रिजवी ने संवाददाताओं से कहा कि ईडी ने जो उनके मुवक्किलों पर आरोप लगाए हैं वो निराधार और राजनीति से प्रेरित हैं. मनी लॉन्ड्रिंग का मामला आयकर विभाग की एक शिकायत से उपजा है, जिसे जून 2022 में विभाग की छापेमारी के बाद दर्ज किया गया था.

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