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नान घोटाला : 'मुख्य अभियुक्तों से ही हलफनामा दिलवाकर भाजपा को बदनाम करने की कोशिश'

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Published : Sep 14, 2019, 9:13 PM IST

Updated : Sep 14, 2019, 11:44 PM IST

नान घोटाले मामले में रमन सिंह सरकार ने ही तब हो रही अनियमितता को संज्ञान में लेकर अभियुक्तों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था.

नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक और प्रदेश अध्यक्ष विक्रम उसेंडी ने शनिवार की शाम मीडिया के सामने नान मामले को लेकर अपनी बातें रखी

रायपुर: नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक और प्रदेश अध्यक्ष विक्रम उसेंडी ने शनिवार की शाम मीडिया के सामने नान मामले को लेकर अपनी बातें रखी. उन्होंने कहा कि नान घोटाले में रमन सरकार ने ही तब हो रही अनियमितता को संज्ञान में लेकर अभियुक्तों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था. तब रमन ने भावुक होकर कहा भी था कि गरीबों के हक पर डाका डालने वालों को बक्शा नहीं जाएगा.

नान घोटाला : 'मुख्य अभियुक्तों से ही हलफनामा दिलवाकर भाजपा को बदनाम करने की कोशिश'

उन्होंने कहा कि ऐसा आदतन अपराधी, जो दो बार में पांच वर्ष से अधिक समय तक जेल होकर आया हो, उससे हलफनामा दिलाकर उसके आधार पर राजनीति करना कांग्रेस का चरित्र ही दिखा रहा है. इसी तरह एक अन्य अभियुक्त के ही आवेदन पर एसआइटी गठित कर देना बिल्कुल गैर कानूनी है.

सभी पात्रों तक भोजन की पहुंच हो

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि पीडीएस योजना लागू करते समय भाजपा सरकार की प्राथमिकता यही थी कि सभी पात्रों तक भोजन की पहुंच हो. बाद में अनियमितता की जानकारी होने पर तब भाजपा सरकार ने अवैध कार्ड निरस्त किये थे. सबसे गौर करने वाली बात यह है कि इस निरस्तीकरण का सबसे ज्यादा विरोध कांग्रेस ने ही किया था, जो आज ज्यादा राशन कार्ड होने की बात पर राजनीति कर रही है. अभी इस मामले की सुनवाई उच्च न्यायालय और जिला न्यायालय में भी चल रहा है. ऐसे समय में मुख्य अभियुक्त से इस तरह का बयान दिलाने का सीधा अर्थ यही है कि निहित स्वार्थी तत्व इस मामले में न्यायायिक प्रक्रिया को प्रभावित करना चाहते हैं. धरमलाल कौशिक ने खक कि हाल के कुछ घटनाक्रमों पर गौर कीजिये, तो मामलों के मुख्य अभियुक्तों से ही हलफनामा दिलवाकर उसे भाजपा को बदनाम करने के लिए उपयोग किया जा रहा है.

मुख्य अभियुक्तों का ही इस्तेमाल भाजपा के खिलाफ

धरमलाल ने कहा कि मंतूराम प्रकरण को देखें और इस प्रकरण को भी. दोनों में मुख्य अभियुक्त का ही इस्तेमाल भाजपा के खिलाफ किया जा रहा है. इन तमाम हलफनामों का कोई भी विधिक औचित्य नहीं है, बस केवल अपनी नाकामी ढंकने और भाजपा को बदनाम करने ऐसे-ऐसे कृत्य किये जा रहे हैं. हालांकि मामला न्यायालय में विचाराधीन होने के कारण केस के मेरिट पर कुछ टिप्पणी करना ठीक नहीं है. अगर सच में कांग्रेस हाल के इन दोनों हलफनामे पर भरोसा करती है, तो भाजपा फिर यह चुनौती देती है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल स्वयं शपथ पत्र देकर इन हलफनामों को प्रमाणित करें, फिर उसे न्यायालय में प्रस्तुत करें.

आप मंतूराम प्रकरण देखें, ऐन दंतेवाडा नामांकन के दिन भीमा मंडावी की हत्या की जांच कर रहे अग्निहोत्री आयोग ने प्रोसिडिंग को डिस्क्लोज करके संदेहियों को क्लीन चिट दे दिया था. और आप अब इस प्रकरण को देखें. इन सभी मामले में यह साबित हो रहा है कि क्योंकि दंतेवाडा उपचुनाव में कांग्रेस के पास बताने को कुछ नहीं है, तो इन्हीं सब हरकतों को अंजाम देकर अपनी खाल बचाना चाह रही है.

पढ़ें :दंतेवाड़ा विधानसभा उपचुनाव: कांग्रेस ने जारी की स्टार प्रचारकों की सूची, देखें लिस्ट

भाजपा के चेहरे पर कालिख पोतने की कोशिश

कौशिक ने कहा कि प्रदेश के साथ किये तमाम वादों को पूरा करने में विफल, शराब, रेत, तबादला आदि में सैकड़ों करोड़ डकार जाने वाले लोग आज भाजपा के चेहरे पर कालिख पोतने की कोशिश निश्चित ही कांग्रेस के लिए ही बूमरैंग साबित होगी, इसमें संदेह नहीं है. जिस तरह लोकसभा चुनाव में मात्र चंद दिनों में ही अठारह प्रतिशत वोट खोकर कांग्रेस ने गिरावट का रिकार्ड बनाया है, उस विफलता की बौखलाहट में अपनी लकीर बड़ी करने के बजाय ऐसे-ऐसे वाहियात और आधारहीन मुद्दे उछालने वाली कांग्रेस को जनता और नियति भी निस्संदेह जवाब देगी, यह हमें भरोसा है.

कांग्रेस सरकार अपने ही उम्मीदों और नहीं उतर रही खरा

उन्होंने कहा कि एक बड़े जनादेश के साथ सत्ता में आयी कांग्रेस सरकार अपने ही उम्मीदों और भ्रष्टाचारों के बोझ से ढहती जा रही है. 9 माह में ही हर मोर्चे पर विफल रहने की बौखलाहट में ऐसे-ऐसे कृत्य इस सरकार द्वारा किये जा रहे हैं, जिससे लोकतंत्र शर्मिन्दा हो रहा है. केवल चुनावी लाभ के लिए सारा विकास कार्यों को छोड़ ऐसे हथकंडे अपनाने वाली कांग्रेस अपने चरित्र के अनुसार ही कार्य कर रही है. इसकी जितनी निंदा की जाय कम है. रमन सिंह के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने पीडीएस के माध्यम से जिस तरह के ऐतिहासिक कार्य किये उस पर हम सबको गर्व है. यहां की चावल वितरण योजना को न केवल संयुक्त राष्ट्र संघ की विभिन्न एजेंसियों से बल्कि दुनियाभर में सराहना मिली है. एक मामले में, तो स्वयं सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ का मॉडल समूचे देश में लागू करने को तब की केंद्र सरकार को कहा था. पहले कांग्रेस सरकार में डायरिया और भूख से मृत्यु होना आम बात थी. यह भाजपा शासन की ही उपलब्धि थी कि लगातार भूख की खबरों के लिए बदनाम रहे प्रदेश में एक भी भूख का मामला दर्ज नहीं हुआ. प्रदेश के आदिवासी जन अपने मुखिया रमन सिंह को ‘चाउर वाले बाबा’ कहने लगे. खाद्य सुरक्षा का छत्तीसगढ़ का नया कानून बना, जिसमें भोजन का अधिकार यहां लोगों को मिला और फिर उसे समूचे देश में लागू किया गया.

इतनी उपलब्धियों के बावजूद यह शर्मनाक बात है कि जिस कांग्रेस ने तब के अविभाजित मध्य प्रदेश और बाद में छत्तीसगढ़ के गरीबों को ऐसी बदहाली में रखा था, बजाय उसे अपनी करतूतों पर शर्मिन्दा होने के उस पवित्र और पुनीत पीडीएस योजना पर ही सवाल उठाये जा रहे हैं. उलटे चोर कोतवाल को डांटे की तर्ज पर प्रदेश और समूचे देश को नोच-खसोट देने वाले पतित कांग्रेसी इस मामले में जनहितकारी कार्य करने वाली भाजपा पर ही सवाल उठा रही है. तब मिली डा. रमन सिंह की लोकप्रियता से अभी तक घबराये कांग्रेसी उनकी छवि को नुकसान पहुंचाने किसी भी हद तक जा रहे हैं.

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(खबर की फीड लाइव यू से भेजी है)

रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक और प्रदेश अध्यक्ष विक्रम उसेंडी ने आज शाम मीडिया से नान मामले को लेकर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि डा. रमन सिंह जी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने पीडीएस के माध्यम से जिस तरह के ऐतिहासिक कार्य किये उस पर समूची हमें को गर्व है. यहां की चावल वितरण योजना को न केवल संयुक्त राष्ट्र संघ की विभिन्न एजेंसियों से अपितु दुनिया भर से सराहना मिली है. एक मामले में तो स्वयं सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ का मॉडल समूचे देश में लागू करने को तब की केंद्र सरकार को कहा था. Body: पहले कांग्रेसी शासन में डायरिया और भूख से मृत्यु होना आम बात थी. यह भाजपा शासन की ही उपलब्धि थी कि लगातार भूख की ख़बरों के लिए बदनाम रहे प्रदेश में एक भी भूख का मामला दर्ज नहीं हुआ. प्रदेश के आदिवासी जन अपने मुखिया डा. रमन सिंह जी को ‘चाउर वाले बाबा’ कहने लगे. खाद्य सुरक्षा का छत्तीसगढ़ का नया क़ानून बना जिसमें भोजन का अधिकार यहां लोगों को मिला और फिर उसे समूचे देश में लागू किया गया.
इतनी उपलब्धियों के बावजूद यह शर्मनाक बात है कि जिस कांग्रेस ने तब के अविभाजित मध्य प्रदेश और बाद में छत्तीसगढ़ के गरीबों को ऐसी बदहाली में रखा था, बजाय उसे अपनी करतूतों पर शर्मिन्दा होने के उस पवित्र और पुनीत पीडीएस योजना पर ही सवाल उठाये जा रहे हैं. उलटे चोर कोतवाल को डांटे की तर्ज़ पर प्रदेश और समूचे देश को नोच-खसोट देने वाले पतित कांग्रेसी इस मामले में जनहितकारी कार्य करने वाली भाजपा पर ही सवाल उठा रही है. तब मिली डा. रमन सिंह की लोकप्रियता से अभी तक घबराये कांग्रेसी उनकी छवि को नुकसान पहुचाने किसी भी हद तक जा रहे हैं. जहां तक नान घोटाले का सवाल है, तो आप सब जानते हैं कि उस मामले में डा. रमन सिंह जी की सरकार ने ही तब हो रही अनियमितता को संज्ञान में लेकर अभियुक्तों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था. तब डा. रमन सिंह जी ने भावुक होकर कहा भी था कि गरीबों के हक़ पर डाका डालने वालों को बक्शा नहीं जाएगा. एक ऐसा आदतन अपराधी, जो दो बार में पांच वर्ष से अधिक समय तक जेल होकर आया हो, उससे हलफ़नामा दिला कर उसके आधार पर राजनीति करना कांग्रेस का चरित्र ही दिखा रहा है। इसी तरह एक अन्य अभियुक्त के ही आवेदन पर एसआइटी गठित कर देना बिल्कुल ग़ैर क़ानूनी है। पीडीएस योजना लागू करते समय भाजपा सरकार की प्राथमिकता यही थी कि सभी पात्रों तक भोजन की पहुँच हो. बाद में अनियमितता की जानकारी होने पर तब भाजपा सरकार ने अवैध कार्ड निरस्त किये थे. सबसे गौर करने वाली बात यह है कि इस निरस्तीकरण का सबसे ज्यादा विरोध कांग्रेस ने ही किया था, जो आज ज्यादा राशन कार्ड होने की बात पर राजनीति कर रही है.
अभी इस मामले की सुनवाई उच्च न्यायालय और जिला न्यायालय में भी चल रहा है. ऐसे समय में मुख्य अभियुक्त से इस तरह का बयान दिलाने का सीधा अर्थ यही है कि निहित स्वार्थी तत्व इस मामले में न्यायायिक प्रक्रिया को प्रभावित करना चाहते हैं. धरमलाल कौशिक ने खक कि हाल के कुछ घटनाक्रमों पर गौर कीजिये तो मामलों के मुख्य अभियुक्तों से ही हलफनामा दिलवा कर उसे भाजपा को बदनाम करने के लिए उपयोग किया जा रहा है. आप मंतूराम प्रकरण को देखें और इस प्रकरण को भी. दोनों में मुख्य अभियुक्त का ही इस्तेमाल भाजपा के खिलाफ किया जा रहा है. इन तमाम हलफनामों का कोई भी विधिक औचित्य नहीं है, बस केवल अपनी नाकामी ढंकने और भाजपा को बदनाम करने ऐसे-ऐसे कृत्य किये जा रहे हैं. हालांकि मामला न्यायालय में विचाराधीन होने के कारण केस के मेरिट पर कुछ टिप्पणी करना ठीक नहीं है. अगर सच में कांग्रेस हाल के इन दोनों हलफनामे पर भरोसा करती है तो भाजपा फिर यह चुनौती देती है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल स्वयं शपथ पत्र देकर इन हलफनामों को प्रमाणित करें, फिर उसे न्यायालय में प्रस्तुत करें.
आप मंतूराम प्रकरण देखें, ऐन दंतेवाडा नामांकन के दिन स्व. भीमा मंडावी की हत्या की जांच कर रहे अग्निहोत्री आयोग ने प्रोसिडिंग को डिस्क्लोज करके संदेहियों को क्लीन चिट दे दिया था. और आप अब इस प्रकरण को देखें. इन सभी मामले में यह साबित हो रहा है कि चुकि दंतेवाडा उपचुनाव में कांग्रेस के पास बताने को कुछ नहीं है, तो इन्हीं सब हरकतों को अंजाम देकर अपनी खाल बचाना चाह रही है.
प्रदेश के साथ किये तमाम वादों को पूरा करने में विफल, शराब, रेत, तबादला आदि में सैकड़ों करोड़ डकार जाने वाले लोग आज डा. भाजपा के धवल चेहरे पर कालिख पोतने की कोशिश निश्चित ही कांग्रेस के लिए ही बूमरैंग साबित होगी, इसमें संदेह नहीं है.
जिस तरह लोकसभा चुनाव में मात्र चंद दिनों में ही अठारह प्रतिशत वोट खो कर कांग्रेस ने गिरावट का रिकार्ड बनाया है, उस विफलता की बौखलाहट में अपनी लकीर बड़ी करने के बजाय ऐसे-ऐसे वाहियात और आधारहीन मुद्दे उछालने वाली कांग्रेस को जनता और नियति भी निस्संदेह जवाब देगी, यह हमें भरोसा है.
एक बड़े जनादेश के साथ सत्ता में आयी कांग्रेस सरकार अपने ही उम्मीदों और भ्रष्टाचारों के बोझ से ढहती जा रही है. 9 माह में ही हर मोर्चे पर विफल रहने की बौखलाहट में ऐसे-ऐसे कृत्य इस सरकार द्वारा किये जा रहे हैं, जिससे लोकतंत्र शर्मिन्दा हो रहा है. केवल चुनावी लाभ के लिए सारा विकास कार्यों को छोड़ ऐसे हथकंडे अपनाने वाली कांग्रेस अपने चरित्र के अनुसार ही कार्य कर रही है. इसकी जितनी निंदा की जाय कम है.

बाईट- धरमलाल कौशिक, नेता प्रतिपक्ष, छग विधानसभा

मयंक ठाकुर, ईटीवी भारत, रायपुरConclusion:
Last Updated : Sep 14, 2019, 11:44 PM IST
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