Congress Session in Raipur: रायपुर में जिस माला से सोनिया राहुल का हुआ स्वागत, जानिए उसका बैगा जनजाति से क्या है कनेक्शन !

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Published : Feb 27, 2023, 5:47 PM IST

Congress Session in Raipur

Congress National Convention छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के राष्ट्रीय महाधिवेशन का रविवार को समापन तो हो गया है, लेकिन इसे लेकर कई तरह की चर्चाएं बरकरार हैं. अधिवेशन के लिए पहुंचे कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के स्वागत सत्कार में कोई कमी नहीं रही. इस बीच जो चीज सबसे ज्यादा चर्चा में रही, वह है बीरन माला. नेताओं के स्वागत में इसे ही पहनाया गया था.

बीरन माला का बैगा जनजाति से है कनेक्शन

रायपुर: अधिवेशन के बाद सोशल मीडिया से लेकर आम जनता के बीच चर्चा जोरों पर रही कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने स्वागत के लिए जिस माला को पहनाया वह कौन सी माला है. कोई इसे सोने की माला होने का दावा कर रहा था तो विशेष धातु का माला बता रहा था. लोगों की उत्सुकता इसलिए भी थी कि जिस माला से कांग्रेस के दिग्गज नेताओं का स्वागत किया गया, वह कोई साधारण तो हो नहीं सकती. लोगों की जिज्ञासा को देखते हुए ईटीवी भारत ने इस खासा माला को लेकर जानकारी जुटाई.

बैगा जनजाति का है विशेष आभूषण: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राष्ट्रीय अधिवेशन के दौरान मेहमानों के स्वागत के लिए जिस हार का इस्तेमाल किया, उसे छत्तीसगढ़ की विशेष पिछड़ी बैगा जनजाति बनाती है. उनके बीच इसे बीरन माला के नाम से जाना जाता है. आदिवासी आत्मीय स्वागत के लिए बीरन माला का इस्तेमाल करते हैं. यह माला बेहद मेहनत से तैयार किया जाता है और यह बैगा जनजाति का विशेष आभूषण भी है.

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एक माला तैयार करने में लगता है 3 दिन का समय: बैगा जनजाति समाज के प्रदेश अध्यक्ष इतवारी राम मछिया ने बताया कि "बीरन माला बैगा जनजाति का विशेष आभूषण है. यह माला बेशकीमती होती है. एक बीरन माला को तैयार करने में लगभग 3 दिन का समय लगता है. इसलिए इसकी कीमत नहीं आंकी जा सकती. इसे विशेष कार्यक्रमों में इस्तेमाल किया जाता है.


ऐसे तैयार की जाती है बीरन माला: इतवारी राम मछिया ने बताया "बीरन माला को बैगा समाज के विशेष पिछड़ी जनजाति बनाती है. यह 2 प्रकार के सामान से बनता है. पहला है खिरसाली नाम का पेड़ और दूसरा है सूतकहर घास. बीरन माला किरसाली पेड़ की डंगाल और सूतकहर घास से तैयार किया जाता है.


बीरन माला से जुड़ी है बैगा जनजाति की आस्था: इतवारी राम मछिया के मुताबिक "बीरन माला से बैगा जनजाति की आस्था जुड़ी हुई है. हमारे पूर्वज बीरन माला बनाते समय गीत गाकर इसे तैयार करते थे. अब भी यह परंपरा चल रही है. ऐसी मान्यता है कि इस माला को धारण करने से शांति मिलती है और जो विपदा या संकट आने वाला होता है वह दूर हो जाता है. बीरन माला बनाने में खिरसाली पेड़ और सूतकहर घास का इस्तेमाल होता है, जो एक प्रकार की जड़ी बूटी भी है. इसलिए इसका महत्व बहुत अधिक है."


हमारी संस्कृति को मिल रहा बढ़ावा: कांग्रेस अधिवेशन में बीरन माला से नेताओं के स्वागत को लेकर इतवारी राम मछिया ने कहा कि "बैगा जनजाति के लोगों में बेहद खुशी है. जिस तरह से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने विशेष पिछड़ी बैगा जनजाति की संस्कृति और बीरन माला का इस्तेमाल कर मेहमानों का स्वागत किया, उससे हमारी संस्कृति को भी बढ़ावा मिला. बीरन माला को सिर्फ बैगा जनजाति के लोग बनाते हैं. हमारे इस माले को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिल रही है. इसके लिए बैगा समाज मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का धन्यवाद करते हैं."


कांग्रेस के राष्ट्रीय महाधिवेशन में कैसे पहुंची बीरन माला: इतवारी राम मछिया ने ईटीवी भारत को बताया कि "कुछ दिनों पहले मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और वन मंत्री मोहम्मद अकबर पंडरिया विधायक ममता चंद्राकर के बेटी के विवाह में आए थे. उस दौरान बीरन माला पहना कर मुख्यमंत्री और वन मंत्री का स्वागत किया गया. सीएम बघेल ने बीरन माला उपलब्ध कराने की बात कही. मैंने हमारे समाज से लोगों से 200 से अधिक माला जुटाई और 23 फरवरी को मंत्री के घर वह माला पहुंचा दी. 24 फरवरी को जब मुख्यमंत्री मेहमानों का बीरन माला से स्वागत कर रहे थे, उसे देखकर हमारे समाज के लोगों को बहुत खुशी मिली."

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