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किसान आंदोलन में कंट्रोवर्सी! BJP का अटैक, अन्नदाता को अर्बन नक्सली बोलने पर कांग्रेस भी भड़की

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Published : Dec 14, 2020, 10:38 PM IST

भाजपा ने सवाल उठाया है कि आंदोलन तो किसानों का है लेकिन पर्दे के पीछे कोई और है. टुकड़े-टुकड़े गैंग वालों के पोस्टर किस तरफ इशारा करते हैं, इस बात को समझने की जरूरत है. कांग्रेस ने भी पलटवार कर कहा है कि अन्नदाता को नक्सली कहने पर भाजपा को माफी मांगनी चाहिए.

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कांग्रेस का बयान

रायपुर : किसान आंदोलन को लेकर छत्तीसगढ़ में कांग्रेस और भाजपा के बीच सियासी जंग तेज हो गई है. भाजपा के वरिष्ठ नेता बृजमोहन अग्रवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि आंदोलन तो किसानों का है लेकिन पर्दे के पीछे कोई और है. इस आंदोलन को हाईजैक कर लिया गया है. बृजमोहन अग्रवाल ने सवाल उठाया है कि इस आंदोलन के मंच पर शरजील इमाम, उमर खालिद और सुधा भारद्वाज जैसे लोगों के पोस्टर क्यों लगे थे.

बृजमोहन अग्रवाल ने यह भी कहा कि आंदोलन का रास्ता लोकतंत्र में खुला रहता है. उन्होंने देशभर के किसानों से आग्रह किया कि वो आंदोलन समाप्त करें. 2 या 3 साल बाद ये कानून काम नहीं आया तो आंदोलन करना जायज होगा. बृजमोहन अग्रवाल ने यह भी कहा कि आंदोलन का रास्ता हमेशा खुला है. सरकार के आश्वासन पर भरोसा करना चाहिए.

बृजमोहन का टुकड़े टुकड़े गैंग बयान

पढ़ें : किसानों के आंदोलन में टुकड़े-टुकड़े गैंग के पोस्टर क्यों हैं, ये समझने की जरूरत: बृजमोहन अग्रवाल

किसानों और गरीबों का अपमान

भाजपा नेता के इस बयान पर कांग्रेस भड़क गई है. कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रदेश अध्यक्ष शैलेष नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि भाजपा नेता बृजमोहन अग्रवाल ने किसानों को टुकड़े-टुकड़े गैंग, अर्बन नक्सली और न जाने क्या-क्या कह डाला. कांग्रेस नेता लाल बहादुर शास्त्री ने जय जवान, जय किसान का नारा दिया था. अन्नदाताओं का यह अपमान छत्तीसगढ़ बर्दाश्त नहीं करेगा. भाजपा ने किसानों और गरीबों का अपमान किया है और उसे माफी मांगनी चाहिए.

टुकड़े टुकड़े गैंग बयान पर पलटवार

3 हफ्ते से किसानों का आंदोलन जारी

कृषि कानूनों के खिलाफ करीब 3 हफ्ते से किसानों का आंदोलन जारी है. इस आंदोलन में उस वक्त विवाद हुआ, जब भारतीय किसान यूनियन एकता ने अपने स्टेज पर एक कार्यक्रम किया. इसमें उमर खालिद, शरजील इमाम, सुधा भारद्वाज जैसे एक्टिविस्ट के पोस्टर-बैनर नजर आए. कार्यक्रम टिकरी बॉर्डर से कुछ किलोमीटर की दूरी पर हो रहा था. इन पोस्टर-बैनर के जरिए मांग की जा रही थी कि गिरफ्तार बुद्धिजीवियों और छात्रों को रिहा किया जाए. केंद्र सरकार ने भी इस मामले को उठाया है. भाजपा का कहना है कि इस आंदोलन को हाईजैक कर लिया गया है.

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