ETV Bharat / state

EXCLUSIVE: शादी के लिए लड़कियों की उम्र सीमा में बदलाव पर क्या कहते हैं एक्सपर्ट

author img

By

Published : Sep 13, 2020, 10:49 PM IST

chhattisgarh-experts-opinion
बेटियों की शादी की उम्र सीमा में बदलाव पर राय !

लड़कियों की विवाह की न्यूनतम आयु 18 साल से बढ़ा कर 21 साल करने की केंद्र सरकार की तैयारी पर ETV भारत ने गायनोकोलॉजिस्ट आशा जैन और साहित्यकार डॉक्टर सुभद्रा राठौर से खास बातचीत की है. एक्सपर्ट ने लड़कियों के जीवन में इससे पड़ने वाले प्रभाव के बारे में भी हमारे साथ जानकारी साझा की है.

रायपुर: केंद्र सरकार लड़कियों की विवाह की न्यूनतम आयु 18 साल से बढ़ा कर 21 साल करने की तैयारी कर रही है. इस मसले पर ETV भारत ने डॉक्टर्स और एक्सपर्ट से चर्चा कर समझना चाहा कि इस फैसले का लड़कियों के समाजिक, मानसिक और शारीरिक स्थिति पर क्या असर होगा. ETV भारत ने गायनोकोलॉजिस्ट आशा जैन और साहित्यकार डॉक्टर सुभद्रा राठौर से खास बातचीत की है. जिसमें दोनों ही एक्सपर्ट ने केंद्र सरकार के फैसले को सही बताया है. एक्सपर्ट ने लड़कियों के जीवन में इससे पड़ने वाले प्रभाव के बारे में भी हमारे साथ जानकारी साझा की है.

गायनोकोलॉजिस्ट आशा जैन की राय

भारत में लड़कों के लिए शादी करने की न्यूनतम उम्र 21 और लड़कियों के लिए 18 वर्ष है. बाल विवाह रोकथाम कानून 2006 के तहत इससे कम उम्र में शादी गैरकानूनी है. ऐसा करने पर 2 साल की सजा और 1 लाख रुपए का जुर्माना हो सकता है. अब सरकार लड़कियों के लिए शादी की न्यूनतम उम्र की सीमा बढ़ाकर 21 वर्ष करने पर विचार कर रही है. सितंबर महीने में शुरू होने वाले मानसून सत्र में केंद्र सरकार लड़कियों की शादी की उम्र को बढ़ाने को लेकर बिल ला सकती है.

पढ़ें: SPECIAL:परीक्षा का बदला पैटर्न, घर बैठे छात्र देंगे परीक्षा

गायनोकोलॉजिस्ट आशा जैन की राय

गायनोकोलॉजिस्ट आशा जैन का कहना है कि सरकार का फैसला वक्त की मांग है. आज ज्यादातर लड़कियां जो थोड़ा पढ़ लिख लेती हैं या काम करने लगती है. वह 23 या 24 साल के बाद ही शादी करती हैं. यह फैसला जन भावना का सम्मान है. लड़कियों की हड्डियों की और शरीर की पूरी ग्रोथ 24 और 25 साल की उम्र तक होती हैं. फिलहाल लड़कियों की शादी 18 साल में की जा रही है. ऐसे में 25 साल तक दो या तीन बच्चों की मां बन जाती है. ऐसे में उनकी हड्डियों का जो घनत्व है वह पूरा नहीं होता. बच्चों के विकास में भी परेशानियां होती है. महिलाएं कमजोर होने लगती है. ऐसे में सरकार के फैसले का साकारात्मक असर देखने को मिलेगा. उनका कहना है कि शिशु मृत्यु दर और मातृत्व मृत्यु दर में भी सुधार होगा.

पढ़ें: मिनपा मुठभेड़:बस्तर आईजी ने किया 23 नक्सलियों के मारे जाने का खुलासा

साहित्यकार डॉक्टर सुभद्रा राठौर की राय

साहित्यकार सुभद्रा राठौर एक प्रोफेसर के तौर पर कार्यरत हैं. उन्होंने कहा कि सरकार कोई भी फैसला बड़े परिवर्तन को लेकर होता है. फिलहाल स्थितियां बदल गई है. समाज 21 वीं सदी में पहुंच चुका है. लड़कियां करियर बनाने की ओर बढ़ रहीं हैं. ऐसे में उन्हे समय देना जरूरी है. अब लड़कियां रसोई तक सिमट कर नहीं रहना चाहती हैं. प्रोफेसर कहती हैं कि रसोई का काम असान नहीं है. साथ ही किचन का काम महत्वपूर्ण भी है. लेकिन अब लड़कियां इसके अलावा भी बहुत कुछ करना चाहती हैं. शादी की उम्र 21 होने पर उन्हें अपनी जिंदगी के फैसले लेने में और समय मिल पाएगा.

साहित्यकार डॉक्टर सुभद्रा राठौर की राय

साहित्यकार सुभद्रा राठौर ने फैसले के दूसरे पहलू पर भी बात की है. उन्होंने कहा कि इस फैसले का दूसरा पक्ष ये भी है कि लड़कियां 21 की उम्र में सभी फैसले लेने लायक होंगी. नियम बनने के साथ ही 21 से पहले शादी को अपराध माना जाएगा. ऐसे में समाज बंध जाएगा. उनका कहना है कि इस फैसले से डिंक(डबल इनकम नो किड्स) की सोच को भी बढ़ावा मिलेगा. शादी में देरी को भी बढ़ावा मिल सकता है. जिससे प्रजनन दर पर असर पड़ेगा.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.