ETV Bharat / state

SPECIAL: 'न रोका-न छेका', फिर काहे का 'रोका-छेका'

author img

By

Published : Jul 11, 2020, 10:51 PM IST

रोका-छेका अभियान को सफल बनाने के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने जनता से अपील भी की थी, लेकिन अब यह अभियान ठंडा पड़ता नजर आ रहा है. जहां एक ओर गांव में इस योजना को लेकर किसान रुचि नहीं दिखा रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर शहरों में भी यह अभियान सफल होता नहीं दिख रहा है.

condition of roka cheka campaign in chhattisgarh
रोका छेका अभियान का बुरा हाल

रायपुर: राज्य सरकार ने फसलों की सुरक्षा और किसानों की आय को बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए हैं, उसी में कृषि की पुरातन परंपरा रोका-छेका अभियान भी शामिल है. इसकी शुरुआत मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 19 जून को की थी. इस अभियान के तहत पकड़े गए मवेशियों को कांजी हाउस और गौठानों में रखने का आदेश है. रोका-छेका अभियान की शुरुआत काफी तामझाम के साथ की गई थी, लेकिन भूपेश सरकार के रोका-छेका अभियान का पालन नहीं किया जा रहा है. इसे लेकर भाजपा ने कांग्रेस पर निशाना साधा है. भाजपा अब इस अभियान को असफल बता रही है.

फेल हो रहा है रोका-छेका अभियान?

सरकार का दावा था कि इस अभियान के शुरू होने से जहां एक ओर किसानों के जीवन में काफी बदलाव आएगा, तो वहीं दूसरी ओर पशु धन का सदुपयोग होगा. लोग अपने पशुओं को खुले में नहीं छोड़ेंगे शहरों में भी सड़कों पर घूमते पशुओं की वजह से हो रहे हादसों में कुछ हद तक कमी आएगी.

क्या है 'रोका-छेका'
रोका-छेका पुराने समय से ग्रामीण परिवेश का हिस्सा रहा है. खरीफ फसल की बुवाई के बाद फसल की सुरक्षा के लिए पशुधन को गौशाला में रखने की प्रथा रही है ताकि मवेशी खेतों में न जाए और फसल सुरक्षित रहे. मवेशियों को संरक्षित करना फसलों को मवेशियों से बचाना और गोबर से कुदरती खाद बनाना इसका मकसद है. साथ ही शहरों में भी पशुपालक अपने मवेशियों को खुले में न छोड़ें इसके लिए भी रोका-छेका अभियान के तहत व्यवस्था की गई है, क्योंकि सड़कों पर घूमते मवेशियों की वजह से कई बार बड़े हादसे भी हो जाते हैं, जिसमें जनधन की हानि होती है.

पढ़ें: SPECIAL:गौधन न्याय योजना से बरसेगा धन, लोगों ने की तारीफ

गौठनों के लिए 40 हजार रुपये जारी
पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने रोका-छेका के लिए गौठान प्रबंधन समिति को कुल 8.86 करोड़ रुपये जारी किए हैं. सरकार की महत्वकांक्षी नरवा, गरुवा, घुरवा बाड़ी योजना के तहत संचालित हर गौठान को 40 हजार रुपये दिए गए हैं. यह राशि खुले में घूमने वाले मवेशियों के नियंत्रण और व्यवस्थापन में खर्च की जाएगी. विभाग की ओर से 2 हजार 215 गौठानों को प्रथम किश्त के रूप में अनुदान राशि दी गई है.

फेल हो रहा रोका-छेका अभियान
रोका-छेका अभियान को सफल बनाने के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने जनता से अपील भी की थी, लेकिन अब यह अभियान ठंडा पड़ता नजर आ रहा है. जहां एक ओर गांव में इस योजना को लेकर किसान रुचि नहीं दिखा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर शहरों में भी यह योजना सफल होती नजर नहीं आ रही है. आज भी सड़कों पर मवेशी खुलेआम घूमते देखे जा सकते हैं.

सड़कों पर मवेशियों का जमावड़ा
यदि रायपुर की बात की जाए तो यहां रोका-छेका अभियान शुरू होने के बाद लोगों को उम्मीद थी कि शायद अब सड़कों पर मवेशियों का जमावड़ा नहीं लगेगा, लेकिन शासन प्रशासन की उदासीनता के चलते यह अभियान दम तोड़ते नजर आ रहा है. आज भी सड़कों पर मवेशी बेधड़क घूम रहे हैं. शहरों में सड़कों पर घूमने वाले मवेशियों को पकड़ने और उन्हें गौठान या फिर कांजी हाउस पहुंचाने की जवाबदेही नगर निगम की है. रायपुर नगर निगम सीमा में चार कांजी हाउस है. जिसमें वर्तमान में लगभग 600 मवेशी रखे गए हैं एक जानकारी के मुताबिक पिछले कुछ दिनों में नगर निगम द्वारा लगभग 1300 मवेशियों को सड़क पर से पकड़ा गया था और बाद में लगभग 1000 पशुपालकों ने संकल्प पत्र भरकर निगम को दिया है. जिसके बाद मवेशी उन्हें सौंप दिए गए हैं.

निगम नहीं दिखा रहा रुची
निगम अमला रोका-छेका अभियान में रुचि नहीं दिखा रहा है. अभियान की शुरुआत में निगम अमले द्वारा रोज सड़कों पर घूम रहे पशुओं को पकड़ कर गौठान या फिर कांजी हाउस भेज दिया जाता था, लेकिन अब निगम के द्वारा खानापूर्ति के लिए कभी कभार ही सड़कों पर घूम रहे पशुओं को पकड़ा जाता है.

स्थाई व्यवस्था की जरूरत

रायपुर नगर निगम के एमआईसी मेंबर सुंदर जोगी का कहना है कि रायपुर में नगर निगम की ओर से जोनवार रोका-छेका अभियान चलाया जा रहा है. जिसके तहत सड़कों पर घूम रहे मवेशियों को पकड़कर कांजी हाउस ले जाया जाता है. जहां पशुपालक अपने पशुओं को छुड़ाने पहुंचते हैं तो उनसे एक शपथ पत्र भरवाया जाता है. जिसमें पशुपालक निगम को लिख कर देते हैं कि वह दोबारा अपने पशुओं को इस तरह खुले में नहीं छोड़ेंगे. इसके बाद नियम के तहत पशुओं को पालकों को सौंप दिया जाता है. जोगी ने कहा कि मवेशियों के लिए स्थाई व्यवस्था नहीं की गई है जिस वजह से रोका-छेका अभियान चरमरा गया है.

सही ढंग से नहीं हो रहा क्रियान्वयन

भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता सच्चिदानंद उपासने का कहना है कि कांग्रेस सरकार योजनाएं तो बना लेती है, लेकिन धरातल पर इसका सही ढंग से क्रियान्वयन नहीं किया जाता है. यह सारी योजनाएं कागजों में ही सिमटकर रह जाती है. उन्हीं योजनाओं में अब रोका-छेका भी शामिल हो गया है. कांग्रेस सरकार ने रोका-छेका अभियान तो शुरू कर दिया है, लेकिन अब तक कांजी हाउस की व्यवस्था को दुरुस्त नहीं किया है.

पढ़ें: Special: पशुओं को लग रहा टीका, कोरोनाकाल में पशुपालक सतर्क

गोबर को लेकर झगड़े शुरू
उपासने ने कहा कि गोबर को लेकर भी गांव में विवाद और झगड़े शुरू हो गए हैं, क्योंकि अधिकतर महिलाएं गांव में इस गोबर का छेना बनाकर या अन्य किसी तरीके से उपयोग कर पैसे कमाती थी, लेकिन अब उन्हें पैसे नहीं मिलेंगे क्योंकि सरकार जो दर निर्धारित करने जा रही है वह काफी कम है.

विरोध करना भाजपा का काम
भाजपा के इन आरोपों पर पलटवार करते हुए कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता सुशील आनंद शुक्ला का कहना है कि अब भाजपा के पास कुछ भी कहने को नहीं रह गया है और यहीं कारण है कि जब सरकार कोई नई योजना लाती है तो वह उसके विरोध में उतर आती है. भाजपा को यहीं नहीं पता कि अब कांजी हाउस व्यवस्था को समाप्त कर दिया गया है और उसकी जगह गौठान ने ले ली है. उन्होंने पूर्व की भाजपा सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि पिछले 15 साल में भाजपा ने कांजी हाउस की जमीनों पर बेजा कब्जा किया है. यहां तक कि कुछ जमीनों पर तो भाजपा ने बहुमंजिला इमारतें भी खड़ी कर दी है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.