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रायपुर में धूमधाम से मना बकरीद का त्योहार, भाईचारे के दिये संदेश

छत्तीसगढ़ सहित रायपुर के ईदगाह भाटा मैदान में मुस्लिम भाईयों ने बकरीद त्योहार पर ईदी की नमाज अदा की गई. मुस्लिम भाइयों ने एक-दूसरे को बधाई दी और भाईचारे का संदेश दिया है.

Bakrid Brotherhood Message
बकरीद भाईचारे का संदेश
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Published : Jul 10, 2022, 3:54 PM IST

रायपुर: इस्लाम धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक बकरीद और ईद उल अजहा का पर्व रविवार को धूमधाम से मनाया गया. बकरीद पर रायपुर के ईदगाह भाटा मैदान में ईदी की नमाज अदा की गई. तमाम मुस्लिम भाइयों ने एक-दूसरे को बधाई दी और भाईचारे का संदेश दिया.

यह भी पढ़ें: आइटम गर्ल वाले बयान पर घिरे अजय च्रंद्राकर, लखमा ने की माफी की मांग

बकरीद पर पदाधिकारी ने दी बधाई: बकरीद को लेकर मुस्लिम समुदाय के राष्ट्रीय पदाधिकारी डॉ. सलीम राज ने कहा कि "मैं तमाम देशवासियों को बकरीद की बधाई देता हूं. आज के दिन अपनी सबसे प्यारी चीज का बलिदान करने का यह त्योहार, हजरत मोहम्मद इब्राहिम ने कहा था कि तालीम की बात कही है और आज इमाम साहब ने भी बताया कि समाज में अगर शिक्षा होगी तो सभी जागरूक होंगे. शिक्षा अगर होगी तो भाईचारा कायम होगा और लोगों के जीवन में शिक्षा का होना भी अत्यधिक महत्वपूर्ण है."

क्यों मनाया जाता है कुर्बानी का यह त्यौहार: मुस्लिम समाज के धर्मगुरु बताते हैं कि जब अल्लाह को हजरत इब्राहिम का इम्तिहान लेना था तो 1 दिन हजरत इब्राहिम को सपना आया कि अल्लाह ने उनसे अपनी सबसे प्यारी चीज को कुर्बान करने का हुक्म दिया है. अल्लाह का यह हुक्म था. लिहाजा हजरत इब्राहिम ने अपने प्यारे इकलौते बेटे हजरत इस्माइल को कुर्बान करने का बड़ा फैसला लिया.

हजरत इब्राहिम ने अपनी आंखों पर पट्टी बांध ली और अपने इकलौते बेटे इस्माइल की गर्दन पर छुरी रख दी, लेकिन इस्माइल की जगह एक दुंबा आ गया. जब हजरत इब्राहीम ने अपनी आंखों से पट्टी हटाई तो उनके बेटे इस्माइल सही सलामत खड़े थे. कहा जाता है कि यह महज एक इम्तिहान था. हजरत इब्राहिम अल्लाह के हुक्म पर अपनी वफादारी दिखाने के लिए अपने बेटे इस्माइल की कुर्बानी देने को तैयार हो गए थे. इस तरह ईद उल अजहा की शुरुआत हुई.

रायपुर: इस्लाम धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक बकरीद और ईद उल अजहा का पर्व रविवार को धूमधाम से मनाया गया. बकरीद पर रायपुर के ईदगाह भाटा मैदान में ईदी की नमाज अदा की गई. तमाम मुस्लिम भाइयों ने एक-दूसरे को बधाई दी और भाईचारे का संदेश दिया.

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बकरीद पर पदाधिकारी ने दी बधाई: बकरीद को लेकर मुस्लिम समुदाय के राष्ट्रीय पदाधिकारी डॉ. सलीम राज ने कहा कि "मैं तमाम देशवासियों को बकरीद की बधाई देता हूं. आज के दिन अपनी सबसे प्यारी चीज का बलिदान करने का यह त्योहार, हजरत मोहम्मद इब्राहिम ने कहा था कि तालीम की बात कही है और आज इमाम साहब ने भी बताया कि समाज में अगर शिक्षा होगी तो सभी जागरूक होंगे. शिक्षा अगर होगी तो भाईचारा कायम होगा और लोगों के जीवन में शिक्षा का होना भी अत्यधिक महत्वपूर्ण है."

क्यों मनाया जाता है कुर्बानी का यह त्यौहार: मुस्लिम समाज के धर्मगुरु बताते हैं कि जब अल्लाह को हजरत इब्राहिम का इम्तिहान लेना था तो 1 दिन हजरत इब्राहिम को सपना आया कि अल्लाह ने उनसे अपनी सबसे प्यारी चीज को कुर्बान करने का हुक्म दिया है. अल्लाह का यह हुक्म था. लिहाजा हजरत इब्राहिम ने अपने प्यारे इकलौते बेटे हजरत इस्माइल को कुर्बान करने का बड़ा फैसला लिया.

हजरत इब्राहिम ने अपनी आंखों पर पट्टी बांध ली और अपने इकलौते बेटे इस्माइल की गर्दन पर छुरी रख दी, लेकिन इस्माइल की जगह एक दुंबा आ गया. जब हजरत इब्राहीम ने अपनी आंखों से पट्टी हटाई तो उनके बेटे इस्माइल सही सलामत खड़े थे. कहा जाता है कि यह महज एक इम्तिहान था. हजरत इब्राहिम अल्लाह के हुक्म पर अपनी वफादारी दिखाने के लिए अपने बेटे इस्माइल की कुर्बानी देने को तैयार हो गए थे. इस तरह ईद उल अजहा की शुरुआत हुई.

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