रायपुर: छत्तीसगढ़ में वन्यजीवों के साथ वन विभाग की ओर से की जा रही बर्बरता पूर्ण कार्रवाई के विरुद्ध रायपुर के पशु प्रेमी नितिन सिंघवी ने वन मंत्री मोहम्मद अकबर को पत्र लिखकर वन्यजीवों के साथ की जा रही क्रूरता तत्काल बंद करवाने की मांग की है.
भालू को जेसीबी से रेस्क्यू करने का प्रयास
सिंघवी ने पत्र में खुलासा किया कि 21 दिसंबर को रायगढ़ में एक स्वस्थ्य जंगली मादा भालू को जेसीबी से उठाने का प्रयास किया था. बाद में उसे ट्रेंकुलाइज कर बिलासपुर के कानन पेंडारी जू में लाया गया. जहां प्रोटोकॉल के विरुद्ध उसे लोहे के पिंजरे में रखा गया है. चर्चा के मुताबिक मादा को जेसीबी से आंतरिक चोटें आई है और उसे उचित इलाज नहीं मिल पा रहा है.
प्रेग्नेंसी की स्टेज में हथनी का परिवहन
वन विभाग पर हाथियों के साथ किए जा रहे अत्याचार पर रोक लगाने की मांग करते हुए सिंघवी ने पत्र में लिखा है. भारत सरकार पर्यावरण एवं वन मंत्रालय की गाइडलाइंस फॉर केयर एंड मैनेजमेंट ऑफ कैपटिव एलीफेंट में स्पष्ट रूप से निर्देशित है कि मादा हथनी को एडवांस प्रेग्नेंसी की स्टेज में ट्रक में ट्रांसपोर्ट नहीं किया जा सकता. इसके बाद भी सोमवार को बलरामपुर के रेवतपुर से योगलक्ष्मी नामक मादा हथिनी को एडवांस प्रेग्नेंसी के स्टेज में ट्रक में ट्रांसपोर्ट कर तमोर पिंगला रेस्क्यू सेंटर भेजा गया और वहां पहुंचते से ही उसने मादा शावक को जन्म दिया.
इसके बाद गंगा हाथिनी को तमोर पिंगला रेस्क्यू सेंटर से बलरामपुर के रेवतपुर तक 70 किलोमीटर पैदल चलाया गया था. जबकि उपरोक्त गाइडलाइंस के अनुसार गर्भवती हथिनी को लम्बी दूरी नहीं चलाया जा सकता. गाइडलाइंस के अनुसार एक स्वस्थ्य और सामान्य हाथी को भी 1 दिन में 30 किलोमीटर से ज्यादा नहीं चलाया जा सकता. रेवतपुर पहुंचते ही गंगा ने भी मादा शावक को जन्म दिया है.
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सिंघवी ने पत्र में लिखा है कि वन्यजीव प्रेमियों की राय में वन विभाग कोई भी कार्य वन्य प्राणियों के कल्याण के लिए नहीं कर पा रहा है, इसलिए सुनिश्चित करवाएं कि अगर वन विभाग वन्य जीवों के कल्याण का कार्य नहीं कर सकता तो कम से कम उनका बुरा तो न करे.