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पशु प्रेमी ने की वन विभाग के खिलाफ कार्रवाई की मांग, जानें क्या है पूरा मामला

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Published : Dec 26, 2019, 10:24 AM IST

Updated : Dec 26, 2019, 11:03 AM IST

पशु प्रेमी नितिन सिंघवी ने वन मंत्री मोहम्मद अकबर से जानवरों के साथ हो रहे अत्याचारों पर वन विभाग के खिलाफ जांच कर कड़ी कार्रवाई की मांग की है.

Animal lover Nitin Singhvi complains against forest department in raipur
जेसीबी से जिंदा भालू रेस्क्यू करता वन विभाग

रायपुर: छत्तीसगढ़ में वन्यजीवों के साथ वन विभाग की ओर से की जा रही बर्बरता पूर्ण कार्रवाई के विरुद्ध रायपुर के पशु प्रेमी नितिन सिंघवी ने वन मंत्री मोहम्मद अकबर को पत्र लिखकर वन्यजीवों के साथ की जा रही क्रूरता तत्काल बंद करवाने की मांग की है.

पशु प्रेमी ने की वन विभाग के खिलाफ कार्रवाई की मांग

भालू को जेसीबी से रेस्क्यू करने का प्रयास
सिंघवी ने पत्र में खुलासा किया कि 21 दिसंबर को रायगढ़ में एक स्वस्थ्य जंगली मादा भालू को जेसीबी से उठाने का प्रयास किया था. बाद में उसे ट्रेंकुलाइज कर बिलासपुर के कानन पेंडारी जू में लाया गया. जहां प्रोटोकॉल के विरुद्ध उसे लोहे के पिंजरे में रखा गया है. चर्चा के मुताबिक मादा को जेसीबी से आंतरिक चोटें आई है और उसे उचित इलाज नहीं मिल पा रहा है.

प्रेग्नेंसी की स्टेज में हथनी का परिवहन
वन विभाग पर हाथियों के साथ किए जा रहे अत्याचार पर रोक लगाने की मांग करते हुए सिंघवी ने पत्र में लिखा है. भारत सरकार पर्यावरण एवं वन मंत्रालय की गाइडलाइंस फॉर केयर एंड मैनेजमेंट ऑफ कैपटिव एलीफेंट में स्पष्ट रूप से निर्देशित है कि मादा हथनी को एडवांस प्रेग्नेंसी की स्टेज में ट्रक में ट्रांसपोर्ट नहीं किया जा सकता. इसके बाद भी सोमवार को बलरामपुर के रेवतपुर से योगलक्ष्मी नामक मादा हथिनी को एडवांस प्रेग्नेंसी के स्टेज में ट्रक में ट्रांसपोर्ट कर तमोर पिंगला रेस्क्यू सेंटर भेजा गया और वहां पहुंचते से ही उसने मादा शावक को जन्म दिया.

इसके बाद गंगा हाथिनी को तमोर पिंगला रेस्क्यू सेंटर से बलरामपुर के रेवतपुर तक 70 किलोमीटर पैदल चलाया गया था. जबकि उपरोक्त गाइडलाइंस के अनुसार गर्भवती हथिनी को लम्बी दूरी नहीं चलाया जा सकता. गाइडलाइंस के अनुसार एक स्वस्थ्य और सामान्य हाथी को भी 1 दिन में 30 किलोमीटर से ज्यादा नहीं चलाया जा सकता. रेवतपुर पहुंचते ही गंगा ने भी मादा शावक को जन्म दिया है.

पढ़ें-रायगढ़ : पकड़ा गया खूंखार भालू, ग्रामीणों को मिली राहत

सिंघवी ने पत्र में लिखा है कि वन्यजीव प्रेमियों की राय में वन विभाग कोई भी कार्य वन्य प्राणियों के कल्याण के लिए नहीं कर पा रहा है, इसलिए सुनिश्चित करवाएं कि अगर वन विभाग वन्य जीवों के कल्याण का कार्य नहीं कर सकता तो कम से कम उनका बुरा तो न करे.

Intro:वन विभाग वन्य प्राणियों के साथ अत्याचार और क्रूरता बंद करें

रायगढ़ एसडीओ को निलंबित कर अपराधिक प्रकरण दर्ज करवाए…..

वन्यजीव प्रेमी ने लिखा वन मंत्री को पत्र .......

वन विभाग वन्य प्राणियों का कल्याण नहीं कर पा रहा है तो कम से कम उनका बुरा तो ना करे.*

*मादा भालू को जेसीबी से जिंदा उठाने का प्रयास, आंतरिक चोटे आने की आशंकाएं, जीवन के लिए कर रही है संघर्ष:-*

रायपुर। छत्तीसगढ़ में वन्यजीवों के साथ वन विभाग द्वारा की जा रही बर्बरता पूर्ण कार्यवाहियों के विरुद्ध रायपुर के पशु प्रेमी नितिन सिंघवी ने वन मंत्री मोहम्मद अकबर को पत्र लिखकर वन्यजीवों के साथ की जा रही क्रूरता तत्काल बंद करवाने की मांग की है.

।Body:सिंघवी ने पत्र में खुलासा किया कि 21 दिसम्बर को रायगढ़ में एक स्वस्थ जंगली मादा भालू को वहां के एसडीओ ने मानवीयता की सभी हदें पार करते हुए जेसीबी से जिंदा उठाने का प्रयास किया था. बाद में उसे ट्रेंकुलाइज कर बिलासपुर के कानन पेंडारी जू में लाया गया. जहां प्रोटोकॉल के विरुद्ध उसे लोहे के पिंजरे में रखा गया है. चर्चा अनुसार मादा को जेसीबी से आंतरिक चोटे आई है और उसे उचित इलाज नहीं मिल पा रहा है.

*प्रतिबन्ध के बावजूद एडवांस प्रेगनेंसी की स्टेज की मादा हथनी को ट्रक में किया ट्रांसपोर्ट:-*

वन विभाग पर हाथियों के साथ किए जा रहे अत्याचार पर रोक लगाने की मांग करते हुए सिंघवी ने पत्र मे लिखा है कि भारत सरकार पर्यावरण एव वन मंत्रालय की गाइडलाइंस फॉर केयर एंड मैनेजमेंट आफ कैपटिव एलीफेंट में स्पस्ट रूप से निर्देशित कि मादा हथनी को एडवांस प्रेगनेंसी की स्टेज में ट्रक में ट्रांसपोर्ट नहीं किया जायेगा. उसके बावजूद भी सोमवार को बलरामपुर के रेवतपुर से योगलक्ष्मी नामक मादा हथिनी को एडवांस प्रेगनेंसी की स्टेज में ट्रक में ट्रांसपोर्ट कर तमोर पिंगला रेस्क्यू सेंटर भेजा गया और वहां पहुंचते से ही उसने मादा शावक को जन्म दिया.

सात दिन पहले ही योगलक्ष्मी के साथ एडवांस प्रेगनेंसी की गंगा को भी एक दिन में तमोर पिंगला रेस्क्यू सेंटर से बलरामपुर के रेवतपुर 70 किलोमीटर पैदल चलाया गया था. जबकि उपरोक्त गाइडलाइंस के अनुसार प्रेग्नेंट मादा को लम्बी दूरी नहीं चलाया जा सकता. गाइडलाइंस के अनुसार एक स्वस्थ एवं सामान्य हाथी को भी 1 दिन में 30 किलोमीटर से ज्यादा नहीं चलाया जा सकता. रेवतपुर पहुंचते ही गंगा ने भी मादा शावक को जन्म दिया.

इन दोनों एडवांस प्रेगनेंसी की स्टेज की हथनियों को वन विभाग बलरामपुर के जंगलो में बहरादेव नामक हाथी के इलाज के संबंध में ले गया था, जहां लड़ाई की स्थिति उत्पन होने पर बहरादेव दोनों मादा हथनियों को गंभीर रूप से चोटिल कर सकता था. इससे स्पष्ट है कि वन विभाग हाथी के मामले में अनुभवहीन है. दोनों मादा हथनियों की छत्तीसगढ़ में लाने के बाद ही महासमुंद के सिरपुर कैंप में ही मैटिंग हुई और वही प्रेग्नेंट हुई है, उसके बाद भी वन विभाग यह नहीं पता लगा सका कि वे प्रेग्नेंट है कि नहीं?

Conclusion:सिंघवी ने पत्र में लिखा है कि वन्यजीव प्रेमियों की राय में वन विभाग कोई भी कार्य वन्य प्राणियों के कल्याण के लिए नहीं पा रहा है, इसलिए सुनिश्चित करवाएं कि अगर वन विभाग वन्य जीवों के कल्याण का कार्य नहीं कर सकता तो कम से कम उनका बुरा तो ना करे. रायगढ़ भालू के मामले में दोषी एसडीओ को निलंबित कर उसके विरुद्ध वन्यजीव सरक्षण अधिनियम के तहत प्रकरण दर्ज करवाया जाये. भालू को पकड़ने से ले कानन पेंडारी बिलासपुर में सभी प्रोटोकॉल का पालन किया गया कि नहीं इसकी उच्च स्तरीय जाँच करवाई जावे
Last Updated : Dec 26, 2019, 11:03 AM IST
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