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रेलवे परिसर में थूकने वालों के लिए एक्शन प्लन तैयार, रेलवे लाया बायोडिग्रेडेबल 'पीकदान'

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Published : Oct 10, 2021, 6:42 PM IST

Updated : Oct 10, 2021, 7:22 PM IST

सार्वजनिक रूप (Publicly) से थूकने की आदत (Spitting habit) एक बड़ी समस्या है और इस खतरे से निपटने के लिए रेलवे एक हरित नवाचार को बढ़ावा दे रहा है. रेलवे लाया बायोडिग्रेडेबल 'पीकदान'

spitting in railway premises
रेलवे परिसर में थूकने वाले

रायपुर: कड़े प्रावधानों के बावजूद कोविड-19 महामारी के दौरान सार्वजनिक रूप से थूकने की आदत एक बड़ी समस्या है और इस खतरे से निपटने के लिए रेलवे एक हरित नवाचार को बढ़ावा दे रहा है. एक अनुमान के मुताबिक, भारतीय रेलवे अपने परिसरों में विशेषकर पान और तंबाकू खाने वालों की ओर से थूकने के कारण होने वाले दाग-धब्बों और निशानों को साफ करने के लिए सालाना लगभग 1,200 करोड़ रुपए और बहुत सारा पानी खर्च करता है.

ऐसे में यात्रियों को रेलवे परिसर (Railway Premises) में थूकने से रोकने के लिए 42 स्टेशनों पर वेंडिंग मशीन या कियोस्क (Vending Machine or Kiosk) लगाए जा रहे हैं, जो पांच रुपए से लेकर 10 रुपए तक के स्पिटून पाउच (पाउच वाला पीकदान) देंगे. रेलवे के तीन जोन-पश्चिम, उत्तर और मध्य- ने इसके लिए एक स्टार्टअप ईजीस्पिट ​(Startup EasySpit) को ठेका दिया है. इन पीकदान पाउच (Spittoon Pouch) को आसानी से जेब में रखा जा सकता है और इनकी मदद से यात्री बिना किसी दाग ​​के जब भी और और जहां चाहें थूक सकते हैं.

Last Updated : Oct 10, 2021, 7:22 PM IST
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