रायगढ़: छत्तीसगढ़ में मानसून की दस्तक के साथ ही बारिश ने इलाके को तरबतर कर दिया है, लेकिन बेसब्री से बारिश का इंतजार कर रहे किसान इस साल ज्यादा खुश नहीं दिख रहे हैं. किसानों को अब भी अपने खेतों और फसलों की चिंता सता रही है. बुआई का समय आ गया है और अब तक किसानों को जैविक और रासायनिक खाद नहीं मिल पाया है. किसानों ने ETV भारत के माध्यम से शासन से राहत की मांग की है.
बिन बीज और खाद कैसे करें खेती?
कोरोना वायरस संक्रमण और लॉकडाउन की वजह से पहले ही किसानों को भारी नुकसान झेलना पड़ा है. उन्होंने बताया कि, 'इस साल अच्छी बारिश की संभावना थी, जिससे फसल भी अच्छी होने की उम्मीद थी, लेकिन न खाद है न बीज. ऐसे में क्या करें.' किसानों ने बताया कि, 'अगर सीजन के बाद खेती करेंगे तो इसका नुकसान होगा, यदि बिना खाद के ही खेती करते हैं, तो भी फसल पर्याप्त पोषण की कमी के कारण खराब हो जाएगी'.
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खाद और हाइब्रिड बीज पर निर्भर किसान
किसानों का कहना है कि अब पारंपरिक खेती का दौर नहीं रहा है, वे अब रासायनिक खाद और हाइब्रिड बीजों पर निर्भर हो गए हैं. ऐसे में मानसून के साथ खेती नहीं होती है तो यह उनके लिए नुकसानदायक होगा. बारिश के बाद अगर शासन खाद और बीज की व्यवस्था करता भी है तो उनके किसी काम का नहीं होगा. किसानों का कहना है कि कृषि विभाग को बार-बार खाद और बीज की जानकारी दी जा रही है, लेकिन विभाग के अधिकारियों के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही है. उन्हें मजबूरन व्यापारियों से ज्यादा दाम पर रसायन खरीदना पड़ेगा.
शासन से किया निवेदन
किसानों ने शासन से निवेदन किया है कि जल्द ही इस समस्या का समाधान किया जाए, जिससे उनको राहत मिले. मानसून के साथ ही फसल की बुआई की शुरुआत होती है और तभी फसलों को तैयार होने के लिए पर्याप्त समय मिलता है.
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कितनी हुई धान खरीदी
रायगढ़ जिले में साल 2019-20 की धान खरीदी के लिए 123 धान खरीदी केंद्र बने थे, जिसमें धान बेचने के लिए 94 हजार 661 किसान पंजीकृत हुए थे. इसमें से 90 हजार 239 किसानों ने अपना धान समितियों में बेचा था. रायगढ़ जिले में 48 लाख 30 हजार 846 क्विंटल धान की खरीदी हुई थी, जबकि 2028-19 के धान खरीदी में 46 लाख 55 हजार 514 क्विंटल खरीदी हुई थी. 2019-20 में पिछले साल की तुलना में 1 लाख 75 हजार 332 क्विंटल अधिक धान की खरीदी हुई है.