ETV Bharat / state

Vishwakarma Puja 2023: मनेंद्रगढ़ के पतले नदी के किनारे विराजमान भगवान विश्वकर्मा, आदिवासी समाज के लोग करते हैं पूजा

author img

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Sep 17, 2023, 8:38 PM IST

Lord Vishwakarma sitting on banks of Patle river
पतले नदी के तट पर विराजमान भगवान विश्वकर्मा

Vishwakarma Puja 2023: मनेन्द्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर के पतले नदी के तट पर भगवान विश्वकर्मा विराजमान हैं. यहां हर साल आदिवासी समाज के लोग खास विधि विधान से भगवान विश्वकर्मा की पूजा अर्चना करते हैं. कहते हैं कि यहां हर भक्त की मुराद पूरी होती है.

आदिवासी समाज ने की विश्वकर्मा भगवान की पूजा

मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर: भरतपुर के अंतर्गत पड़ने वाला जनकपुर आदिवासी क्षेत्र है. यहां हर साल पतले नदी के तट पर विश्वकर्मा पूजा आदिवासियों की ओर से मनाई जाती है. नदी किनारे भगवान विश्वकर्मा जी का मंदिर है. साथ ही यहां भगवान शिव का भी मंदिर है. आदिवासी समाज के लोग कई वर्षों से यहां भगवान विश्वकर्मा की पूजा करते आ रहे हैं. बता दें कि सृष्टि रचयिता भगवान ब्रह्म के सातवें पुत्र विश्वकर्मा जी हैं. विश्वकर्मा पूजा के दिन भगवान विश्वकर्मा का जन्मोत्सव मनाया जाता है. पूरे देश में इसे बड़े ही धूमधाम से मनाया जा रहा है.

निर्माण के देवता हैं विश्वकर्मा: धार्मिक ग्रंथों के अनुसार जब ब्रह्माजी ने सृष्टि की रचना की तो इसके निर्माण कार्य की जिम्मेदारी भगवान विश्वकर्मा को दी थी. विश्वकर्मा जी को यंत्रों का देवता भी माना जाता है. हिंदू मान्यताओं के अनुसार प्राचीन काल में देवी-देवताओं के महल और अस्त्र-शस्त्र भगवान विश्वकर्मा ने ही बनाए थे. इसलिए इन्हें वास्तुकार और निर्माण का देवता भी कहा जाता है.

पूजा के बाद भंडारे का भी होता है आयोजन: दुरुस्त वनांचल क्षेत्र जनकपुर भरतपुर में आदिवासियों की ओर से यहां विश्वकर्मा पूजा अलग तरीके से और खास परंपरा के साथ मनाया जाता है. यहां पूजा करने आए श्रद्धालु शिवकुमार बैगा का कहना है कि "पहले हमारे पिताजी यहां आकर पूजा किया करते थे. अब उनके नहीं रहने पर हम लोग इस मंदिर में पूजा-पाठ करते हैं. यहां आकर हम जो भी मन्नत मांगते हैं, वह मन्नतें पूरी होती है. हर साल यहां भगवान विश्वकर्मा जी की पूजा की जाती है. इस दिन भंडारे का भी आयोजन किया जाता है."

पतले नदी के किनारे पथ पर खुले स्थान में विश्वकर्मा भगवान विराजमान हैं. बगल में ही शिवजी का भी मंदिर है. यहां आने वाले हर लोगों की मनोकामना पूरी होती है. यहां शंकर जी की और विश्वकर्मा भगवान की पूजा करने से सभी मनोकामना पूरी होती है. 60-70 सालों से विश्वकर्मा भगवान और भगवान शिव खुले आसमान के नीचे पतले नदी के तट पर विराजमान हैं. -ललित कुमार बैगा, श्रद्धालु

Engineer Day Special: विश्व के पहले इंजीनियर थे भगवान विश्वकर्मा, इनके आशीर्वाद से पूरा होता है निर्माण काम
Vishwakarma Puja 2022: यहां होती है चलती ट्रेन में भगवान विश्वकर्मा की पूजा, जानिए क्या है परंपरा
कोरिया में धूमधाम से की गई विश्वकर्मा भगवान की पूजा

होती है हर मनोकामना पूरी: इस बारे में पुजारी मंगल कुशवाह ने ईटीवी भारत से कहा कि, "यह मंदिर बहुत ही पुराना है. 70 वर्ष से नदी के तट पर शिवजी और विश्वकर्मा भगवान विराजमान हैं. पहले तो यहां बड़े-बुजुर्ग भी पूजा करने पहुंचते थे. हालांकि अब बच्चे भी पूजा करने पहुंच रहे हैं." यहां पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की मानें तो यहां आकर पूजा करने वालों की हर मनोकामना पूरी होती है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.