महासमुंद: कोरोना वायरस के कारण देश भर में लॉकडाउन कर दिया गया है. जिसका असर हर तरफ देखने को मिल रहा है. महासमुंद में बहने वाली महानदी में किसान सालों से फलों की खेती करते आ रहे हैं. लेकिन इस बार लॉकडाउन ने इनकी सारी मेहनत पर पानी फेर दिया है. किसानों के उगाए हुए तरबूज, कलिंदर और खीरे बाड़ी में ही पड़े सड़ रहे हैं.
यहां के फलों की मांग महासमुंद में ही नहीं बल्कि दूसरे जिलों में भी है. साथ ही देश-विदेश में इसकी मांग है. यहां से यह तरबूज राज्य के दूसरे जिलों के साथ-साथ देश बंगाल, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश जैसे कई राज्यों में जाता है. साथ ही अमेरिका और आस्ट्रेलिया जैसे देशों में भी इन फलों की डिमांड रहती है.
![farmers unable to sell fruits](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/6814302_img-1.jpg)
मंडियों तक नहीं पहुंचा पा रहे फल
मौसम की मार के साथ लॉकडाउन ने भी इन फलों की बिक्री पर रोक लगा दी है. किसी तरह का साधन नहीं होने से ये फल मंडियों तक नहीं पहुंच पा रहे हैं. नतीजन सारे फल बाड़ियों में ही पड़े-पड़ सड़ रहे हैं.
किसानों को नुकसान
फलों की बिक्री न होने से किसानों की स्थिति बहुत ही खराब हो गई है. इस महानदी के तट पर लगभग 80 एकड़ रकबे में खेती होती है. किसानों की माने तो हर साल 1 करोड़ 25 लाख का बिजनेस होता है. लेकिन इस बार मौसम और करोना की मार से इन किसानों की स्थिति बड़ी ही दुखदाई हो गई है. बता दें कि इस नदी से घोड़ारी, बेलसोंडा, मुरैना, बरबसपुर ,नांदगांव गांव के किसानों का जीवन यापन होता है. यह गर्मी के शुरुआत में ही लगभग 1 लाख से अधिक का तरबूज ,खरबूजा बेच डालते थे. अब अप्रैल खत्म होने का है और ये अब तक महज 10 हजार का का फल बेच पाए हैं.
![farmers unable to sell fruits](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/6814302_img-4.jpg)
सरकार से मदद की मांग
इन गरीब किसानों की सरकार से गुजारिश है, कि सरकार इनकी मदद करें. जो नुकसान इन्हें हुआ है उसकी, भरपाई सरकार करे. किसान शासन-प्रशासन से मदद की आस लगाए बैठे हैं.