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MCB NEWS : लाचारी बड़ी या सर्टिफिकेट, दिव्यांग महिला को शासन से मदद का इंतजार

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Published : Dec 17, 2022, 7:47 PM IST

disabled woman needs help
दिव्यांग महिला को मदद की दरकार

मनेंद्रगढ़ में पूर्ण रूप से दिव्यांग और फेफड़े की गंभीर बीमारी से ग्रसित महिला प्रशासनिक अनदेखी का शिकार हो रही है. महिला पिछले 6 सालों से बैटरी चलित ट्रायसाइकिल के लिए चक्कर काट रही है.कई बार दिव्यांग शिविरों में जाकर अपनी जरुरत बता चुकी है.लेकिन आज तक महिला को कोई मदद नहीं मिली.अब महिला ने मनेंद्रगढ़ कलेक्टर के सामने मदद की गुहार लगाई है.Divyang woman needs help from government

ट्राइसाइकिल के लिए दिव्यांग महिला का संघर्ष

मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर : दिव्यांग महिला ने ट्राइसाइकिल के लिए हर दरवाजा खटखटाया लेकिन उसे हर जगह निराशा ही हाथ लगी. एमसीबी कलेक्टर के जनदर्शन में भी ट्रायसाइकिल के लिए आवेदन लेकर पहुंची थी, लेकिन यहां भी उसे निराशा हाथ लगी है. पूर्ण रूप से दिव्यांग और फेफड़े की गंभीर बीमारी से ग्रसित महिला पिछले 6 साल से बैटरी चलित ट्राइसिकल के लिए चक्कर काट रही है. इस बार भी वो एमसीबी कलेक्टर के जनदर्शन में ट्राइसाइकिल की उम्मीद लिए पहुंची थी.लेकिन किसी ने भी उसकी नहीं सुनी.Divyang woman needs help from government

क्यों नहीं मिल रही महिला को मदद : ऐसा लगता है कि अब प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल Chief Minister Bhupesh Baghel को स्वयं दिव्यांग महिला की सुध लेनी पड़ेगी, क्योंकि जिले के अफसर मानवीय संवेदनाओं को पूरी तरह से भूल चुके हैं. दिव्यांग होने और फेफड़े की बीमारी से ग्रसित होने की वजह से लकड़ी का सहारा लेकर चल रही मनेंद्रगढ़ में वार्ड क्रमांक 14 निवासी 34 वर्षीय दिव्यांग महिला मीना यादव का दिन अफसरों के चक्कर काटने में बीत रहा है.अफसर उसे सिर्फ इसलिए ट्राइसाइकिल नहीं दे रहे हैं क्योंकि उसके प्रमाण पत्र में 70 फीसदी दिव्यांगता का जिक्र है. बैटरी चलित ट्राइसिकल के लिए 80 फीसदी दिव्यांग होना जरूरी है. एमसीबी कलेक्टर mcb collector के जनदर्शन में संबंधित दिव्यांग महिला ने आवेदन सौंपकर ट्राइसाइकिल और जिंदगी की गाड़ी चलाने के लिए छोटे-मोटे कारोबार के लिए सहायता राशि देने की मांग की.

घर की आर्थिक स्थिति है खराब : महिला की माने तो वो बचपन से दिव्यांग है. लकड़ी के सहारे किसी प्रकार चलती है. फेफड़े की गंभीर बीमारी से ग्रसित होने पर वह हमेशा बीमार रहती है. उसके पिता मजदूरी करते हैं. वहीं मां दूसरों के घरों में चौका बर्तन कर रही है, जिससे किसी प्रकार उसका इलाज और घर चल रहा है. उसने कलेक्टर से मांग की कि यदि उसे बैटरी वाली ट्राइसाइकिल और दुकान के लिए सहायता मिल जाए.

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दिव्यांग प्रमाण पत्र देखकर लौटा रहे अफसर : मीना यादव के दिव्यांग प्रमाण पत्र देखकर शिविर से उसे लौटा दिया जाता है. 80 फीसदी से अधिक दिव्यांग होने पर ही उसे बैटरी से चलने वाली ट्राइसिकल उपलब्ध कराई जाएगी. कलेक्टर जनदर्शन में भी दिव्यांग महिला को निराशा हाथ लगी है. उपस्थित अधिकारियों ने उसे जिला चिकित्सालय बैकुंठपुर में प्रमाण पत्र में संशोधन की सलाह देकर एक बार फिर वापस लौटाया है.MCB NEWS

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