बचपन छीनता वीडियो गेम: पैरेंट्स ने सरकार से लगाई ये गुहार

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Published : Sep 25, 2021, 3:36 PM IST

Updated : Sep 25, 2021, 4:14 PM IST

Children lives being lost

कोरोनाकाल (Covid period) के बाद से ही बच्चों को आसानी से मिल रहे मोबाइल और लैपटाप (Mobile and Laptop)आज उनके ही लिए घातक साबित हो रहा है. लगातार बच्चे वीडियो गेम (Video game) खेलते रहते हैं. गेम खेलने के कारण बच्चों की न सिर्फ आंखे खराब हो रही है बल्कि उनकी जान पर भी बन रही है. ऐसे में कई बच्चों के पैरेन्ट्स (Parents) ने वीडियो गेम पर प्रतिबंध (Video game ban) लगाने की मांग कर दी है.

कोरबा: कोरोनाकाल के बाद से ही बच्चों को मोबाइल फोन (Mobile )मुहैया कराया गया है. स्कूल (School) की ओर से सख्त निर्देश दे दिया गया कि बच्चों को फोन और लैपटॉप (Laptop) जरूर दें. वरना उनका नाम स्कूल से काट दिया जाएगा. बस स्कूल द्वारा दिये गए इस इजाजत का खामियाजा बच्चों के माता-पिता(Parents) को भुगतना पड़ रहा है. पहले तो कोरोना (Corona) में नौकरी जाने (Job lost) से लेकर, सैलरी में कटौती की मार. फिर बच्चों को किसी तरह से फोन देने के बाद उनके सेहत (Heath) की चिंता माता-पिता के लिए आम बन चुकी है.

वीडियो गेम से बचपन पर खतरा

दरअसल, कोरोनाकाल (Corona) में ऑनलाइन क्लास (Online class) के बहाने बच्चों को फोन काफी आसानी से उपलब्ध हो गया है. लेकिन बच्चे पढ़ाई से अधिक फोन पर या तो गेम खेलते हैं, या फिर इंटरनेट (Internet) में कई तरह के साइट्स को देख कर खराब आदतों के शिकार हो रहे हैं. इतना ही नहीं इंटरनेट के कारण अधिक समय तक बच्चे फोन और लैपटॉप से जुड़े रहते हैं और इसका सीधा असर उनकी आंखों पर पड़ता है. जिसके कारण कम उम्र में ही उन्हें कई तरह की बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है.

फ्री फायर गेम के कारण गई थी 14 वर्षीय बच्चे की जान

बताया जा रहा है कि 1 दिन पहले ही फ्री फायर गेम के कारण जिले में 14 वर्षीय किशोर की जान चली गई. लोहे के गेट को फांदने के फेर में बच्चे के पेट में सरिया घुस गया. पेट में रोड घुसने से उसकी जान चली गई.

ऐसे गेम्स पर प्रतिबंध लगाने की जरुरत

वहीं, इस मामले में अधिवक्ता श्यामल मलिक कहते हैं कि सरकार को ऐसे वीडियो गेम्स की पहचान करनी चाहिए और तत्काल इन पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए. बच्चे इनसे हिंसक होते हैं. वह इतनी तल्लीनता से वीडियो गेम में घुस जाते हैं कि उन्हें किसी की सुध नहीं होती. इसके साथ ही वो अपराध की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं. वीडियो गेम्स बच्चों को उत्तेजित करते हैं. जो कि उनके लिए नुकसानदेह है. आंखों को भी नुकसान पहुंच रहा है. इतना ही नहीं ये गेम्स सभी समाज के लिए बेहद घातक हैं.

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पैरेंट्स भी परेशान

इस मामले में एक बच्चे के पिता श्याम अग्रवाल कहते हैं कि, वीडियो गेम समाज के लिए घातक होने लगे हैं. चाहते हुए भी बच्चों को रोकना बेहद मुश्किल हो जाता है.
वह वीडियो गेम खेलने की जिद करते हैं. लगातार गेम्स में घुसे रहते हैं. जिससे उनके स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है. आंखों को तो नुकसान होता ही है. साथ ही कई अन्य दुष्प्रभाव भी है. बच्चों को गेम से अलग रख पाना फिलहाल बेहद मुश्किल हो रहा है. कई बार तो यह समझ में नहीं आता कि क्या किया जाए.

समाज के लिए घातक

इस संबंध में जिला साइबर सेल प्रभारी कृष्णा साहू कहते हैं कि, वीडियो गेम्स खेलना कोई अपराध नहीं है, लेकिन यह समाज के लिए घातक है. खासतौर पर लॉकडाउन के बाद यह लत बच्चों में ज्यादा बढ़ी है. शिक्षा भी ऑनलाइन हो गई बच्चे मोबाइल पर क्या करते हैं. कई बार माता-पिता को इसका पता नहीं होता. उन्हें वीडियो गेम्स की लत लग जाती है. वह इस कदर तल्लीनता से वीडियो गेम खेलते हैं कि वह टास्क पूरा करने की जिद पकड़ लेता है. कई बार तो इन गेम्स में पैसों की मांग की जाती है और बच्चे यहां वहां से पैसे भी जुगाड़ कर गेम में लगा देते हैं.

Last Updated :Sep 25, 2021, 4:14 PM IST
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