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पहली बार कोरबा स्टेशन पहुंचे जीएम ने असुविधाओं पर नहीं दिया कोई जवाब

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Published : Nov 16, 2019, 9:01 AM IST

दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे जोन के जीएम गौतम बनर्जी पहली बार कोरबा स्टेशन पहुंचे थे. जहां चारों तरफ फैली अव्यवस्थाओं को लेकर उनसे कई सावल पूछे गए, लेकिन जीएम ने सवाल का कोई जवाब नहीं दिया.

कोरबा रेलव स्टेशन पहली बार पहुंचे SECR जीएम

कोरबाः दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे जोन के जीएम गौतम बनर्जी पद संभालने के बाद पहली बार कोरबा पहुंचे थे. उनका यह दौरा कोयला खदानों को बढ़ावा देने के लिए रेलवे की कोल साइडिंग के निरीक्षण पर केंद्रित रहा.

कोरबा से देश भर में कोयला निर्यात किया जाता है. यहां से उत्पादित कोयले से सबसे ज्यादा राजस्व भी मिलता है. इसी कारण दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे पूरे देश में सबसे ज्यादा राजस्व देने वाला रेल मंडल है, लेकिन कई साल से यहां के स्टेशन पर यात्री सुविधाओं का अभाव है. रेलवे के अधिकारियों की ओर से कभी भी इन समस्याओं को सुधारने की कोशिश नहीं की गई है.

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शुक्रवार को भी रेल संघर्ष समिति के सदस्यों के साइडिंग के निरीक्षण में आए जीएम बैनर्जी से यात्री सुविधाओं के बारे में पूछने पर कोई जवाब नहीं दिया गया.

Intro:कोरबा। दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे जोन के जीएम गौतम बनर्जी पद संभालने के बाद पहली बार कोरबा पहुंचे थे। उनका यह दौरा पूरी तरह से कोयला लदान को बढ़ावा देने के लिए रेलवे की कोल साइडिंग के निरीक्षण पर केंद्रित रहा।
कोरबा रेलवे स्टेशन में वह बमुश्किल 2 से 3 मिनट ही रुके। इस दौरान रेल संघर्ष समिति के सदस्यों ने जब उनसे कोरबा जिले में यात्री सुविधाओं की उपेक्षा को लेकर सवाल पूछे। तब जीएम बनर्जी का साफ तौर पर कहना था कि यात्री ट्रेनों या उनसे जुड़ी सुविधाओं के लिए उनके पास समय नहीं है। उनका यह दौरा पूरी तरह से कोल साइडिंग्स की समीक्षा पर केंद्रित है।Body:दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के जीएम गौतम बनर्जी डीआरएम आज राजगोपाला सहित रेलवे अधिकारी शुक्रवार की सुबह लगभग 10:00 बजे कोरबा पहुंचे।
कोरबा पहुचते ही सभी अधिकारी हमेशा की तरह कुसुंडा-गेवरा स्थित रेलवे के कोल साइडिंग की ओर रवाना हो गए।
साइडिंग ही वह स्थान है जहां से खदानों से निकलने वाले कोयले का परिवहन रेलवे द्वारा किया जाता है।
उल्लेखनीय है कि कोरबा जिले से देश भर में कोयला निर्यात किया जाता है। जिले से उत्पादित कोयले ल के दम पर ही दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे को सर्वाधिक राजस्व प्राप्त होता है। दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे देशभर में रेल मंत्रालय को सर्वाधिक राजस्व देने वाला रेल मंडल है। यह कोरबा की खदानों से निकलने वाले कोयले के दम पर ही संभव हो पाता है।
लेकिन जब बात यहां के यात्री सुविधाओं की आती है। तब अधिकारियों को सांप सूंघ जाता है वह यात्री सुविधाओं से जुड़े किसी भी प्रश्न का सामना करने से बचते हुए निकल जाते हैं।
शुक्रवार को भी यही हुआ जब जीएम सहित रेलवे के अधिकारी कोल साइडिंग का निरीक्षण कर वापस लौट गए।
यहां तक कि इस दौरे की सूचना तक किसी को भी नहीं दी गई थी।Conclusion:रेल संघर्ष समिति के सदस्य रामकिशन अग्रवाल, मनोज सिंह और कैलाश यादव सूचना पाकर जीएम से मिलने पहुंचे थे। लेकिन चलते-चलते बमुश्किल 2 या 3 मिनट ही चर्चा हो सकी।

जीएम बनर्जी पूरा दिन कोल साइडिंग्स का निरीक्षण करने के बाद शाम को वापस लौटे। उन्होंने दोपहर का भोजन गेवरा हाउस में किया।कोयला लदान के टारगेट में इजाफा करने के लिए एसईसीएल के अधिकारियों से चर्चा भी की।
लेकिन यात्री सुविधाओं से जुड़ी किसी भी बात पर ना तो कोई जानकारी दी। ना ही किसी अधिकारी को कोई निर्देश दिया।
कोरबा रेलवे स्टेशन के दूसरी तरफ बदहाल सेकेंड एंट्री हो या फिर अधूरी पिट लाइन, कोरबा की ट्रेनों को रद्द करने का मुद्दा।
इनमें से किसी भी मुद्दों पर जीएम की ओर से कोई भी जानकारी जारी नहीं की गई।

विजुअल।
फ़ोटो।
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