कोरबा जिले के 19 में से 10 रेत घाट बंद लेकिन खदानों से अवैध उत्खनन धड़ल्ले से जारी

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Published : Nov 27, 2021, 3:36 PM IST

Illegal mining continues indiscriminately from mines

कोरबा जिले में रेत में कुल 19 रेत खादानों में से 10 खादानों का संचालन बंद (Korba district 10 out of 19 sand ghats closed) है. हालांकि अधिकारियों के नाक के नीचे से अवैध उत्खनन धड़ल्ले से जारी (Illegal excavation from sand mines continues) है.

कोरबा: छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले के खनिज विभाग में इन दिनों रेत खदानों को लेकर अजब खेल चल रहा है. दरअसल, शासन स्तर से वैध व स्वीकृत रेत खादानों की संचालन प्रक्रिया किसी कारण बंद हैं.जबकि अवैध उत्खनन बदस्तूर जारी है. खनिज विभाग द्वारा जिले भर में कुल 19 रेत खदानों का संचालन किया जाता है. ये सभी शासन से मान्यता प्राप्त खनिज विभाग के स्वीकृत खाने हैं. 19 में से 10 खदानों का संचालन वर्तमान में दस्तावेज प्रक्रियाओं के अपूर्ण होने के कारण बंद (Korba district 10 out of 19 sand ghats closed) है, लेकिन निर्माण कार्यों में रेत लगातार खपाया जा रहा है.

कोरबा जिले के 19 में से 10 रेत घाट बंद

स्वीकृत रेत खदानों से वैधानिक तौर पर जरूर उत्खनन बंद है, लेकिन अवैध उत्खनन पर कोई नियंत्रण नहीं (Illegal excavation from sand mines continues) है.ऐसे में सवाल यह भी उठता है कि अवैध उत्खनन से लाभ के मद्देनजर, कहीं जानबूझकर तो खदानों का संचालन बंद नहीं किया गया.

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एक रेत ठेकेदार ने दबी जुबान बताया नहीं दे रहे अनुमति

रेत खदानों को अब शराब दुकानों की तर्ज पर नीलाम किया (Sand mines now auctioned on the lines of liquor shops) जाता है. ठेकेदारों द्वारा इसका संचालन किया जा रहा है. हर साल इसके नवीनीकरण और विस्तारण की प्रक्रिया को पूरा करना पड़ता है. ठेकेदार को खनिज विभाग रेत खदान की रजिस्ट्री कर संचालन की अनुमति(Permission to operate the mining department by registering the sand mine) देता है, लेकिन प्रक्रिया समय पर पूरी न हो पाने के कारण कई रेत खदानें बंद है. एक ठेकेदार ने दबी जुबान यह स्वीकार किया कि अफसर अवैध उत्खनन को बढ़ावा देने के लिए जानबूझकर कुछ प्रक्रिया को उलझाकर रखते हैं.समस्त दस्तावेज पूर्ण होने के बावजूद भी वह खदान का संचालन शुरू करने का अंतिम आदेश विधिवत तौर पर जारी नहीं कर रहे हैं.

गेरवा घाट के अस्तित्व पर संकट (Crisis on the existence of Gerwa Ghat)

कोरबा नगर पालिका निगम प्रदेश का सबसे बड़ा नगर पालिक निगम क्षेत्र है. क्षेत्रफल की दृष्टि से तो नगर निगम बड़ा है ही साथ ही विकास कार्यों के लिहाज से भी यहां कई काम चलते हैं. फिर चाहे निजी हो या फिर सरकारी. इन सभी निर्माण कार्यों में रेत की बड़े पैमाने पर आवश्यकता होती है, लेकिन शहर के दोनों ही रेत खदानें वर्तमान में बंद हैं. सर्वेश्वर एनीकट के बनने के बाद गेरवा घाट रेत खदान के अस्तित्व पर संकट पैदा हो गया है. वहां पानी भरा हुआ है, जबकि सीतामढ़ी रेत घाट की संचालन प्रक्रिया किसी कारणों से अटका हुआ है.

यूं धड़ल्ले से जारी है अवैध उत्खनन

विभाग के अधिकारियों की मानें तो जब तक तकनीकी प्रतिवेदन और निरीक्षण की प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती. तब तक इसका संचालन शुरू नहीं किया जा सकता. जिले में जमकर हो रहा अवैध खनन जिले में कुल 19 स्वीकृत रेत खदानें हैं.जिनमें से 10 का संचालन वर्तमान में बंद है, लेकिन रेत की आपूर्ति के लिए लगातार लोग रेत ठेकेदारों से संपर्क करते हैं. रेत की मांग लगातार बढ़ी हुई है.
अब रेत ठेकेदार रेत की आपूर्ति तो कर रहे हैं, लेकिन यह अवैध उत्खनन के जरिए हो रहा है. 19 स्वीकृत रेत खदानों के अलावा भी जिले में कई ऐसी नई रेत खदानों की प्रक्रिया जारी है. जहां से भविष्य में वैधानिक तौर पर उत्खनन की प्रक्रिया शुरू होगी, लेकिन इन्हें वर्तमान में शुरू नहीं किया गया है. ऐसे में रेत खदानों से भी अवैध उत्खनन धड़ल्ले से जारी है.विभाग का भी उस पर कोई नियंत्रण नहीं है. प्रक्रिया अटकी होने के कारण जो रेत खदानें बंद हैं, वहां से भी बिना रॉयल्टी के रेत निकाला जा रहा (Removing sand without royalty) है.

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