कोरबा: जिले के किडनी चोरी रैकेट के मामले का खुलासा हुआ है. जिसने कोरबा से लेकर रायपुर तक स्वास्थ्य विभाग को हिला कर रख दिया है. शहर के तुलसी नगर निवासी संतोष गुप्ता ने 10 साल पहले सृष्टि मेडिकल कॉलेज में पथरी का ऑपरेशन करवाया (Kidney theft racket busted in CMHO in Korba) था. यहां पदस्थ डॉ. एसएन यादव ने उसका ऑपरेशन किया, जो कि अब फरार बताया जा रहा है. संतोष गुप्ता की शिकायत पर 10 साल बाद मामला दर्ज किया गया है. डॉक्टर की डिग्री फर्जी पाई गई है. उन पर किडनी चोरी का भी आरोप है.
जिस अस्पताल में ऑपरेशन हुआ, उसकी नींव पूर्व गृह मंत्री ननकीराम कंवर ने रखी थी. जो कि अस्पताल के संरक्षक थे.जबकि भाजपा सरकार में ही सहकारी बैंक के तत्कालीन अध्यक्ष देवेंद्र पांडे इस अस्पताल के अध्यक्ष थे. भाजपा की सरकार गई कांग्रेस की सरकार आई तब इस मामले का खुलासा हुआ है. बात यहीं खत्म नहीं हुई. 10 साल तक जांच रिपोर्ट पूर्व सीएमएचओ डॉ. पीआर कुंभकार जिन्होंने रिटायरमेंट 2 साल बाद भी स्वास्थ्य को सेवाएं दी वह हों, या वर्तमान सीएमएचओ बीबी बोडे, इन दोनों ने भी जांच रिपोर्ट को दबा कर रखा था.जिले में जब से कलेक्टर रानू साहू की पदस्थापना हुई, तब से कलेक्टर के निर्देश पर जांच पूरी हुई. डॉक्टर पर फर्जी डिग्री होने का मामला दर्ज किया गया है, जबकि किडनी चोरी का मामला अब पुलिस के लिए जांच का विषय है. जिसमें विवेचना जारी है.
ईटीवी भारत से पीड़ित ने 10 साल के संघर्ष की कहानी बताई
तुलसी नगर निवासी संतोष गुप्ता ने ईटीवी भारत से बातचीत की. इस दौरान उन्होंने बताया कि धोखे से उनकी एक किडनी निकाल दी गई है. संतोष गुप्ता अब 50 वर्ष के अधेड़ चुके हैं. जिनकी दो बेटियां है. एक की शादी हो चुकी है, दूसरी कॉलेज में पढ़ रही है. परिवार के पालन-पोषण की जिम्मेदारी उन पर ही है. संतोष कहते हैं कि जबसे मेरी किडनी निकाली गई है, मेरा स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता. मैं ठेले पर फेरी लगाकर मूंगफली बेचने का काम करता हूं. जिससे बमुश्किल रोज के 200 रुपये की कमाई होती है, जबकि परिवार का खर्च इससे अधिक है. स्वास्थ ठीक नहीं रहने के कारण कई बार काम पर भी नहीं जा पाता. परिवार चलाने में मुश्किल होती है.
साल 2012 में तीन बार हुआ ऑपरेशन
पीड़ित संतोष ने कहा कि डॉक्टर ने साल 2012 में ही मेरा तीन बार ऑपरेशन किया था. मुझे तो पूरी तरह से बेहोश कर दिया गया था. इसके बाद जब सोनोग्राफी कराया तब मुझे पता चला कि मेरी एक किडनी निकाल ली गई है, जिसके बाद मैंने इसकी शिकायत स्वास्थ्य विभाग से लेकर कलेक्टर तक की. तब रमन सिंह मुख्यमंत्री थे. मैं मुख्यमंत्री जनदर्शन में भी गया था और अपनी पीड़ा बताई थी. चूंकि सृष्टि मेडिकल कॉलेज के कर्ताधर्ता पूर्व गृहमंत्री ननकीराम कंवर और देवेंद्र पांडे थे. और प्रदेश में भाजपा की सत्ता थी, सो कार्रवाई नहीं हुई. 10 साल बाद जब जिले में कलेक्टर रानू साहू आई. तब मैं उनसे मिला था. जिसके बाद यह कार्रवाई हुई है. अब मैं अपने लिए इंसाफ चाहता हूं. फर्जी डॉक्टर पर कार्रवाई के साथ ही मुझे जीवन निर्वहन के लिए हर्जाना भी मिलना चाहिए.
सनसनीखेज आरोप भी लगाया
संतोष ने ईटीवी भारत को यह भी बताया कि डॉ. एसएन यादव की कई शिकायतें हैं. ऐसे और भी कई लोग हैं, जिन्होंने मेरी तरह ही शिकायतें की हुई है. लेकिन कार्रवाई नहीं हुई. मैंने इस बात से भी जिले के स्वास्थ्य विभाग को अवगत कराया था. लेकिन 10 सालों में कोई कार्रवाई नहीं हुई. यह पहली बार है जब डॉक्टर पर एफआईआर दर्ज हुआ है. मेरी शिकायत पर सुनवाई हुई है. मैंने 10 साल तक संघर्ष किया है. इस दौरान मानसिक, आर्थिक और शारीरिक तौर पर मैं टूटता चला गया.
फर्जी डॉक्टर ने 250 से अधिक किया है ऑपरेशन
संतोष गुप्ता कहते हैं कि जब पहली बार मैंने इस मामले की शिकायत की थी. तब जिले में डॉ. पीआर कुंभकार सीएमएचओ के तौर पर पदस्थ थे. उन्होंने रिटायरमेंट के बाद भी 2 साल तक स्वास्थ्य विभाग में सेवाएं दी. कोरबा में ही सीएमएचओ के पद पर बने रहे. इसके बाद पिछले लगभग 4 साल से जिले में डॉ. बीबी बोडे सीएमएचए के पद पर बने हुए हैं. पूर्व और वर्तमान दोनों ही सीएमएचओ ने किडनी चोरी जैसे संवेदनशील मामले की फाइल को दबा के रखा हुआ था. इस दौरान फर्जी डॉक्टर एसएन यादव ने 250 ऑपरेशन किया है.
सभी ऑपरेशन जांच के दायरे में
ऐसे में अब ये सभी ऑपरेशन जांच के दायरे में है. संदेह तो है यह भी है कि जिस तरह अंधेरे में रखकर संतोष गुप्ता की किडनी निकाली गई. क्या और भी लोगों की किडनी चोरी की गई है? चर्चा यह भी है कि जिले में मानव अंग के तस्करी का क्या कोई रैकेट काम कर रहा है? फिलहाल इसकी पुष्टि नहीं हुई है. पुलिस इस मामले की जांच कर रही है. सवाल यह भी है कि डिग्री फर्जी पाए जाने पर डॉक्टर पर तो मामला दर्ज कर लिया गया, लेकिन जिस स्वास्थ्य विभाग ने इस मामले की जांच को 10 साल दबाए रखा, क्या उनके अधिकारियों पर भी कोई कार्यवाही होगी?
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अस्पताल की नींव रखने वाले ननकी ने कहा इसकी जानकारी नहीं
सृष्टि मेडिकल इंस्टिट्यूट की नींव गृह मंत्री रहते भाजपा शासनकाल में ननकीराम कंवर ने रखी थी. मंशा थी कि गरीबों का इलाज हो और गरीब के बच्चों को भी मेडिकल की पढ़ाई मिल सके. लेकिन अब यहां फर्जी डॉक्टर और किडनी चोरी जैसे मामले प्रकाश में आया है. मामले में ननकी का कहना है कि वह अस्पताल के संरक्षक जरूर थे, लेकिन प्रबंधन संबंधी कामकाज, समिति के अध्यक्ष देवेंद्र पांडे के हाथ में था. इसलिए इस मामले की उन्हें जानकारी नहीं है. लेकिन यदि कुछ गलत हुआ है तो ठोस कार्रवाई होनी चाहिए. दोषी को दंड मिलना चाहिए.
पांडे ने ननकी पर सब संभालने का लगाया आरोप
इस मामले में जब देवेंद्र पांडे से बात की गई तब उनका कहना था कि वह प्रबंधन जरूर देखते थे. लेकिन इस तरह के सभी निर्णय और अस्पताल के देख-रेख का काम ननकीराम कंवर के हाथों में था. उन्हें डॉक्टर के फर्जी होने या किडनी चोरी जैसे मामलों के कोई जानकारी नहीं थी. अंतिम निर्णय ननकीराम कंवर ही लिया करते थे. देवेंद्र पांडे ने प्रबंधक भोज राम देवांगन का नाम लेते हुए बताया कि प्रबंधन के सारी जिम्मेदारी भोज राम देवांगन की थी. हमने उन्हें नियुक्त किया था. जिन्होंने लगभग 8 साल तक अस्पताल की देख रख की है.
सहमति से निकाली किडनी
यह बात साफ है कि अस्पताल का प्रबंधन देवेंद्र पांडे देखते थे और उन्होंने प्रबंधक के तौर पर भोज राम देवांगन को नियुक्त किया था. मामले में देवांगन का कहना है कि गुप्ता परिवार ने 2012 में इलाज कराया था और उनकी सहमति से किडनी निकाली गई थी. चूंकि इंफेक्शन फैल गया था, जिसके कारण चिकित्सकों ने यह निर्णय लिया. अब प्रबंधन देखने का काम भले ही हमारा हो लेकिन किडनी इन्फेक्शन फैला और इलाज संबंधी निर्णय डॉक्टर लेते हैं. चिकित्सक की नियुक्ति के समय डिग्री की जांच की गई या नहीं इस सवाल का जवाब किसी के पास नहीं है.
सभी एक दूसरे पर लगा रहे आरोप
मामले के उजागर होने के बाद अब सभी एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं.सृष्टि की जमीन और पैसों को लेकर लेकर कभी एक दूसरे के बेहद करीब रहे पूर्व गृहमंत्री ननकीराम कंवर और सहकारी बैंक बिलासपुर के पूर्व अध्यक्ष देवेंद्र पांडे के मध्य लंबा विवाद है. देवेंद्र पांडे पर ननकीराम के पुत्र से मारपीट करने के लिए भी एफआईआर भी दर्ज है. कई मामलों में दोनों के बीच विवाद गहराया हुआ है. ऐसे में किडनी चोरी रैकेट मामला प्रकाश में आने के बाद सब एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं. अस्पताल के प्रबंधक का कहना है कि गुप्ता परिवार इलाज के लिए जरूर आया था. लेकिन किडनी में इंफेक्शन फैलने के कारण परिवार की सहमति से किडनी निकाली गई थी. सच क्या है यह तो जांच के बाद ही स्पष्ट होगा. जांच में सच्चाई सामने आएगी या नहीं इस पर भी संशय बरकरार है. क्योंकि जांच का जिम्मा स्वास्थ्य विभाग के पास है, जिसने स्वयं ही 10 साल तक मामले को दबा कर रखा था.
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स्वास्थ्य विभाग ने साधी चुप्पी
इस मामले में रामपुर टीआई राजीव श्रीवास्तव का कहना है कि फर्जी डिग्री पाए जाने पर डॉक्टर पर एफआईआर दर्ज कर लिया गया है जबकि किडनी चोरी के आरोपों की जांच की जा रही है. इसके बाद ही कुछ कहा जा सकेगा. सीएमएचओ बीबी बोडे से संपर्क करने का प्रयास किया गया, लेकिन उन्होंने ना फोन रिसीव किया ना ही कैमरे के सामने कुछ बताया. स्वास्थ्य विभाग इस मामले में चुप्पी साधे हुए हैं. इस पूरे मामले में स्वास्थ्य विभाग की बड़ी लापरवाही खुलकर सामने आ गई है.