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छत्तीसगढ़ में किसानों ने नहीं छोड़ा पंजे का साथ, कृषि बाहुल्य सीटों पर कांग्रेस मजबूत

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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Dec 7, 2023, 9:50 PM IST

Farmers Faith in Congress
छत्तीसगढ़ में किसानों ने नहीं छोड़ा पंजे का साथ

Farmers Faith in Congress छत्तीसगढ़ में भले ही कांग्रेस सत्ता से बाहर हो गई हो,लेकिन ये कहना पूरा गलत होगा कि कांग्रेस की योजनाएं सही नहीं थी.क्योंकि कांग्रेस, जिनके लिए योजनाएं लेकर आई. उन इलाकों में कांग्रेस को भरपूर समर्थन मिला.नरवा गरवा घुरुवा बाड़ी, गोबर खरीदी और कर्जमाफी जैसी स्कीम के कारण ही कांग्रेस ने गांवों में बड़ी लीड बनाई.लेकिन शहरी भाग में पीछे रह गई. Chhattisgarh Election Results 2023

छत्तीसगढ़ में किसानों ने नहीं छोड़ा पंजे का साथ

कोरबा : छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में जो परिणाम सामने आए हैं. उससे यही दिख रहा है कि किसानों ने कांग्रेस का भरपूर साथ दिया. लेकिन किसानों के अलावा महिला सहित अन्य वर्गों ने बीजेपी को चुना. प्रदेश के कृषि प्रधान जिले जहां किसानों की तादाद ज्यादा है. वहां कांग्रेस जीती है. इन इलाकों में कांग्रेस पहले से मजबूत हुई है. वहीं दूसरी तरफ प्रदेश भर के शहरी क्षेत्र में कांग्रेस बुरी तरह से पिछड़ गई. कुछ सीटों को छोड़कर लगभग सभी नगर निगम और शहर वाले इलाकों में बीजेपी ने जीत दर्ज की. फिर चाहे वह रायपुर शहर हो, बिलासपुर, दुर्ग की दो सीट, रायगढ़ या फिर कोरबा शहर की सीट. इन सभी स्थानों पर बीजेपी जीती. जबकि कृषि प्रधान जिला जांजगीर की सभी सीट कांग्रेस के पास गई, रामपुर में ननकीराम कंवर जैसे दिग्गज नेता भी हार गए.

किसानों ने कांग्रेस का साथ तो दिया : वर्तमान चुनाव परिणाम को लेकर वरिष्ठ पत्रकार किशोर शर्मा कहते हैं कि किसानों ने कांग्रेस का साथ दिया है. कृषि आधारित और ग्रामीण क्षेत्रों में कांग्रेस को वोट पड़े हैं. अन्य वर्गों की तुलना में किसानों ने कांग्रेस को ज्यादा वोट दिया है. जबकि किसानों को छोड़ दिया जाए तो अन्य सभी वर्गों ने बीजेपी को चुना, लेकिन इसका मतलब यह भी नहीं है कि 100% किसानों ने कांग्रेस को ही मतदान किया है. कुछ वोट बीजेपी को भी गए हैं.

एक वर्ग को केंद्रित करना पड़ा भारी : 5 साल में भूपेश बघेल ने जिस तरह से सरकार का नेतृत्व किया. जो योजनाएं लांच की, फिर चाहे वह कर्जमाफी की हो, नरवा गरवा या फिर इस तरह की अन्य ग्रामीण आधारित योजनाएं. सभी के केंद्र बिंदु में किसान रहे. कांग्रेस पार्टी ने किसानों की मानसिकता को बदल दिया. जिसका उन्हें फायदा मिला है. लेकिन सभी सिर्फ एक वर्ग पर केंद्रित हो गई. सभी योजनाओं के लाभ सिर्फ और सिर्फ किसानों को मिला. जिसका नुकसान भी उन्हें उठाना पड़ा.



"वन मैन शो चलाया, मंत्रियों ने भी काम नहीं किया" : वरिष्ठ पत्रकार रवि पी सिंह के मुताबिक कांग्रेस की जितनी भी योजनाएं रही हैं. वह किसानों को केंद्र में रखकर ही बनाई गई थी. ज्यादातर योजनाओं का लाभ किसानों को मिला. किसान पूरी तरह से कांग्रेस से आकर्षित रहे. निश्चित रूप से किसानों ने पूरी तरह से कांग्रेस को सहयोग किया. इसे नकारा नहीं जा सकता है. लेकिन कांग्रेस के साथ सबसे बड़ा प्रॉब्लम यह रहा कि उन्होंने सिर्फ एक पक्षीय काम किया. उनका ध्यान केवल नरवा, गरवा, घुरुवा और बाड़ी तक सीमित रह गया. उसकी परिणति हार के रूप में देख सकते हैं.

'' बाकी वर्गों को कांग्रेस ने पूरी तरह से निराश कर दिया. भूपेश बघेल ने पूरी तरह से वन मैन शो चलाया. जिसकी वजह से मंत्रीगण भी ठीक तरह से काम नहीं कर पाए. नाजायज काम चलते रहे और जायज काम भी लंबे समय तक लंबित रह गए.'' - रवि पी सिंह, वरिष्ठ पत्रकार


किन सीटों पर कांग्रेस ने बचाई लाज ?

विधानसभा सीटजीतने वाले प्रत्याशी
खरसिया उमेश पटेल
धरमजयगढ़लालजीत सिंह राठिया
रामपुरफूलसिंह राठिया
कोटाअटल श्रीवास्तव
अकलतराराघवेंद्र कुमार सिंह
जांजगीर-चांपा ब्यास कश्यप
पामगढ़शेषराज हरबंश
सक्तीडॉ चरणदास महंत
धमतरीओंकार साहू
डोंडीलोहाराअनिला भेड़िया

बीजेपी के भी दिग्गज हारे : मौजूदा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के 9 मंत्रियों को शिकस्त मिली है. लेकिन बीजेपी के भी कुछ बड़े चेहरों को हार का मुंह देखना पड़ा है. एंटी इनकंबेंसी के बीच भी कृषि बाहुल्य सीटों पर जनता ने कांग्रेस का साथ नहीं छोड़ा. इन क्षेत्रों में कई बड़े चेहरों को हार का मुंह देखना पड़ा.कोटा में जहां हर बार रेणु जोगी जीतती थी.वहां की जनता से इस बार विधायक बदल दिया. पामगढ़ में जातिगत समीकरण को पलटते हुए कांग्रेस प्रत्याशी जीती. 2018 में इस सीट पर बीएसपी इंदु बंजारे ने जीत हासिल की थी. जांजगीर चांपा से बीजेपी नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल भी चुनाव हार गए. यहां पहली बार चुनाव लड़ रहे ब्यास कश्यप ने उन्हें हराया. ब्यास कश्यप भी किसान संघठन से जुड़े हैं. इसी तरह रामपुर विधानसभा सीट से वरिष्ठ आदिवासी लीडर पूर्व गृहमंत्री ननकीराम कंवर को कांग्रेस के फूल सिंह राठिया ने हराया. फूलसिंह भी पहली बार चुनाव लड़ रहे थे. यह सभी ऐसी सीटें हैं, जहां किसानों की तादाद अधिक है. शहरी के तुलना में ग्रामीण जनसंख्या ज्यादा है.

जहां लाज बची वो सभी कृषि प्रधान वाले ग्रामीण क्षेत्र : कांग्रेस ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के चेहरे पर चुनाव लड़ा. बीजेपी ने काफी मंथन के बाद यहां से अपने सांसद विजय बघेल को मैदान में उतारा था. पाटन दुर्ग संभाग का इलाका जरूर है. लेकिन यह भी कृषि प्रधान है, ज्यादातर इलाके ग्रामीण क्षेत्र में आते हैं. मतदान वाले दिन शुरुआती चरण में भूपेश बघेल पीछे भी गए. लेकिन गिनती पूरी होते-होते वो भी जीत गए.

कांग्रेस के 9 मंत्री हारे,बस तीन ही जीते : कांग्रेस के 9 मंत्री हार गए, तीन मंत्री ही जीते हैं. इनमें से एक उमेश पटेल हैं. जो खरसिया से आते हैं. यहां ग्रामीण आधारित अर्थव्यवस्था है. अनीला भेड़िया जीतीं, जो डौंडीलोहारा विधानसभा से आती हैं. यह भी पूरी तरह से कृषि प्रधान क्षेत्र है. जहां किसानों की संख्या काफी अधिक है. 5 साल मंत्री रहे कवासी लखमा कोंटा से जीते जो की नक्सलगढ़ है. विधानसभा अध्यक्ष डॉ चरण दास महंत जीते, जो सक्ती से आते हैं. धान खरीदी के लिहाज से सक्ती और जांजगीर-चांपा छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा जिला है.


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