कोरबा : कलेक्ट्रेट परिसर में रात भर ईडी की कार्रवाई चलती (ED investigation in Korba Collectorate ) रही. इस दौरान 3 बसों में भरकर लगभग 150 जवान कलेक्ट्रेट के इर्द-गिर्द तैनात रहे. जिसमें सीआरपीएफ और सीएएफ के जवान शामिल हैं. इस पूरी कार्रवाई के बाद काफी हद तक यह कहा जा सकता है कि राज्य भर में चल रही ईडी की इस कार्रवाई के केंद्र में कोयले से जुड़ा कारोबार है. देश की सबसे बड़ी कोयला खदानें कोरबा जिले में ही संचालित हैं. ईडी की जांच अब भी जारी है. जिससे संभावना जताई जा रही है कि उन्हें कोई बड़ी गड़बड़ी मिली है. हालांकि इस तरह की कोई अधिकृत जानकारी अभी तक नहीं दी गई है.ED raid in korba
कलेक्टर दफ्तर में पसरा सन्नाटा : ईडी की कार्रवाई के दूसरे दिन शुक्रवार को खनिज विभाग में अफरा-तफरी का माहौल है. जिला मुख्यालय के अन्य विभागों में लगभग सन्नाटा छाया है. जिसका एक कारण ये भी है कि ED की टीम ने डाटा एंट्री और कंप्यूटर को खंगालने के लिए जिला मुख्यालय के लगभग सभी विभागों के 25 से 30 कंप्यूटर ऑपरेटर्स को काम में लगाया है. जिन्होंने दो शिफ्ट में रात भर काम किया.
किस चीज की हो रही है छानबीन : ईडी की टीम पूरी सुरक्षा में जिले के कंप्यूटर ऑपरेटरों के साथ खनिज विभाग के कार्यालय में कार्यवाई कर रही है.सूत्रों से यह जानकारी मिली है कि '' ईडी का फोकस इस बात पर है कि किस बिल्टी में, खदान से कितने कोयले का परिवहन, किस फर्म को किया गया? बिल्टी वह दस्तावेज होता है. जिसमें खदान से निकले कोयला की मात्रा दर्ज होती है. यह एक तरह से कोयला उत्खनन से लेकर इसके गंतव्य तक पहुंचने वाला एक वैधानिक दस्तावेज है. जिसमें रोड सेल के माध्यम से कोयला परिवहन की पूरी जानकारी होती है. अब एक संभावना यह है कि ईडी की टीम यह पता लगाना चाहती है कि एक निश्चित अवधि में कोरबा जिले से कितने कोयले का परिवहन किस-किस फर्म को किया (Mineral Department of chhattisgarh ) गया?
परियोजना अधिकारी 2 दिन से गायब: जिले का खनिज न्यास विभाग भी अपने अस्तित्व में आने के बाद से ही लगातार सुर्खियों में रहा है. अकेले कोरबा जिले में 300 करोड़ रुपयों का सालाना फंड खनिज न्यास संस्थान को मिलता है. जिस राशि का इस्तेमाल जिले के विकास के लिए ही किया जाता है. 2015 में अपने अस्तित्व में आने के बाद से कोरबा जिले के खनिज न्यास फंड पर आरोप-प्रत्यारोप लगते रहे हैं. कोरबा जिले के खनिज विभाग के तब बतौर उप संचालक एसएस नाग थे. उनसे भी ईडी द्वारा पूछताछ की गयी है. इसके बाद ही टीम कोरबा पहुंची है. जिससे इस बात को बल मिल रहा है, कि क्या ईडी की टीम यह पता लगाना चाहती है, प्रति टन के हिसाब से कितनी राशि की वसूली हुई और वर्तमान में वो कहां है?
क्या है खनिज न्यास : केंद्र सरकार ने 2015 में खान और खनिज विकास अधिनियम(1957) में संशोधन किया. जिसके बाद खनिज संपदाओं के मामले के संपन्न ऐसे प्रत्येक जिले के लिए एक गैर लाभकारी ट्रस्ट खनिज न्यास संस्थान या डिस्ट्रिक्ट फंड(डीएमएफ) का गठन किया गया. जिसे खनन प्रभावित क्षेत्र के लोगों के हित में काम करने के लिए अस्तित्व में लाया गया. इस नियम के तहत जिस क्षेत्र में खनिज पदार्थों का खनन हो रहा है. वहां खनन करने वाले कंपनियों को रॉयल्टी भुगतान के आधार पर एक निर्धारित राशि संबंधित जिले के डीएमएफ ट्रस्ट में जमा करनी होगी. वर्तमान में यह अंशदान 30% भाग है. कोरबा जिले में यह राशि सालाना औसतन 300 करोड़ रुपए है.
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खनिज से राज्य सरकार को कितनी राशि : भारत सरकार के खान मंत्रालय द्वारा खान एवं खनिज (विकास और विनियम) अधिनियम 1957 की धाराओं के तहत, छत्तीसगढ़ जिला खनिज संस्थान नियम, 2015 के अनुसार 28 जिलों में जिला खनिज न्यास का गठन किया गया था. डीएमएफ में अंशदान के तौर पर वित्तीय वर्ष 2021-22 तक 7833 करोड़ रुपए प्राप्त हुए हैं. इसमें अकेले कोयला से 3942 करोड़ रुपए मिले हैं. जबकि नॉन कोल खनिज 3654 करोड़ रुपये तो गौण खनिज से 237 करोड़ रुपए प्राप्त हुए हैं. वर्तमान वित्तीय वर्ष को भी जोड़ने पर कुल अंशदान में लगभग 1100 करोड़ की वृद्धि होगी.