ETV Bharat / state

Delisting issue : आदिवासी खुद को नहीं मानते हिंदू, लेकिन हैं धर्मांतरण के खिलाफ, डिलिस्टिंग के पक्ष में हिंदूवादी धर्मगुरु !

author img

By

Published : Apr 11, 2023, 8:24 PM IST

Updated : Apr 15, 2023, 12:07 PM IST

conversion issue in chhattisgarh
डिलिस्टिंग के समर्थन में आदिवासी समाज

देश में डिलिस्टिंग का मामला जोर-शोर से छाया हुआ है. धर्म बदलने वाले आरक्षित वर्ग के लोगों को आरक्षण और अन्य सुविधाओं से वंचित कर दिए जाने की मांग चल रही है. जबकि ऐसे लोग जो आरक्षित वर्ग से तो आते हैं, लेकिन जिन्होंने अपना धर्म बदल लिया है. वह डिलिस्टिंग का का विरोध कर रहे हैं. हिंदूवादी धर्मगुरु इसे जरूरी बताते हैं, लेकिन इधर आदिवासी अपने आप को हिंदू ही नहीं मानते. इस मसले पर हर वर्ग वैचारिक तौर पर बंटा हुआ है.

डिलिस्टिंग पर मचा घमासान

कोरबा : आदिवासी शक्तिपीठ के संगठन प्रमुख राकेश सिरका मुंडा वर्ग के आदिवासी समुदाय से आते हैं. राकेश कहते हैं कि ''हम आदिवासी प्रकृति पूजक होते हैं. हम अपने पूर्वजों और पेड़, पौधों की पूजा करते हैं. जबकि हिंदुओं में मूर्ति पूजा का रिवाज है. हम इसका विरोध करते हैं. हम किसी भी हाल में हिंदू नहीं हो सकते. ना ही हिंदू धर्म से हमारा कोई वास्ता है. ऐसे आदिवासी जो अपनी संस्कृति को भूलकर, ईसाई, मुस्लिम या अन्य धर्म में परिवर्तित हो गए हैं. उन्हें तो निश्चित तौर पर आदिवासी समुदाय को मिलने वाले लाभ से वंचित कर देना चाहिए".


राजनीतिक षड्यंत्र का हिस्सा है डिलिस्टिंग : धर्म परिवर्तन कर चुके एक शख्स कहते हैं कि "डिलिस्टिंग का मुद्दा बार-बार सामने आता है. यह एक राजनीतिक षड्यंत्र की तरह है. संविधान में इसे तब लागू किया गया था. जब निम्न वर्ग से आने वाले लोग उपेक्षित महसूस करते थे. उन्हें समान नागरिकता प्रदान करने के लिए यह व्यवस्था दी गई थी. लेकिन वर्तमान में अब हम किसी भी क्षेत्र में चले जाएं. सभी वर्ग के लोग आपस में मिल जुल कर रहते हैं. छुआछूत और भेदभाव जैसी मान्यताएं काफी हद तक समाप्त हो चुकी है. ऐसे में डिलिस्टिंग का मुद्दा अनुचित है. इसे समाप्त किया जाना चाहिए. इससे लोगों की योग्यता का हनन होगा. आरक्षण का लाभ उन्हें मिलना चाहिए जो जरूरतमंद है और योग्यता रखते हैं. इसका धर्म से कोई लेना-देना नहीं है."

ये भी पढ़ें- डिलिस्टिंग को लेकर ईसाई समुदाय हुआ एकजुट


"सभी के पूर्वज हिंदू" : पुरी मठ के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती का कहना है कि '' सेवा के नाम पर देश में हिंदुओं का धर्म परिवर्तन किया गया. बल्कि इसे धर्मच्युत कहना चाहिए. हिंदुओं को अल्पसंख्यक बनाकर देश को अपनी मुट्ठी में लेना चाहते हैं. इसलिए इनकी इस इच्छा को विफल करना जरुरी है. रोम में मौजूद ईसा मसीह की मूर्ति पर भी वैष्णव तिलक लगा हुआ है. उनके साथ ही सभी के पूर्वज हिंदू ही थे. तो हिंदू राष्ट्र या हिंदूवाद से किसी को कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए.''

Last Updated :Apr 15, 2023, 12:07 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.