कोरबा में एक बारिश भी झेल नहीं पाती सड़कें, आखिर कब मिलेगा बेहतर रोड ?

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Published : Sep 25, 2021, 10:03 PM IST

Updated : Sep 26, 2021, 7:09 PM IST

कोरबा में सालों से निर्माणाधीन लंबे आंदोलन और शिकायतों के बाद सर्वमंगला से इमलीछापर चौक और हरदीबाजार से तरदा होते हुए नहर किनारे सर्वमंगला तक बनने वाले सड़क का काम शुरू तो हुआ, लेकिन इस 27 किलोमीटर की सड़क के काम में काफी लेट लतीफी हुई.

कोरबा: शहर के साथ ही जिले भर की सड़कें इतनी गुणवत्ताविहीन हैं कि यह एक बारिश (Rain) भी नहीं झेल पा रही है. मरम्मत और निर्माण पर करोड़ों खर्च (Crores spent on repair and construction) करने के बाद भी जिले में सड़कों का नेटवर्क (Network Of Roads) लगभग ध्वस्त हो चुका है. कुछ महीने पहले ही जिला खनिज न्यास मद (District Mineral Trust Item) से केवल शहर की सड़कों की मरम्मत के लिए 10 करोड़ रूपए खर्च (10 crores spent for repair of roads) किए गए. यह भारी-भरकम राशि भी सड़कों की सूरत नहीं बदल सकी (Could Not Change Face Of Roads ) और बरसात आते ही धुल गई. अब हालात यह है कि, लोग हिचकोले खाते जनप्रतिनिधियों और अफसरों को कोसते हुए सड़कों से आ-जा रहे हैं.

कोरबा में एक बारिश भी झेल नहीं पाती सड़कें

लेटलतीफी और प्रशासनिक उदासीनता के कारण सड़कों का बुरा हाल

सर्वमंगला-इमली छापर मार्ग (Sarvamangala imliChapar Road) सालों से निर्माणाधीन है. लंबे आंदोलन और शिकायतों के बाद सर्वमंगला से इमलीछापर चौक और हरदीबाजार से तरदा होते हुए नहर किनारे सर्वमंगला तक बनने वाले सड़क का काम शुरू तो हुआ, लेकिन इस 27 किलोमीटर की सड़क के काम में काफी लेट लतीफी हुई. 179 करोड़ रुपए की लागत से सड़क का काम शुरू तो है, लेकिन वर्तमान हालात बेहद खराब हैं. निर्माण में देरी और लापरवाही के कारण लोग इसका खामियाजा भुगत रहे हैं. वर्तमान में सड़क की हालत बेहद खराब है.

9 साल बाद भी नहीं बनी अप्रोच रोड

गेवराघाट (Gewra Ghat) में 9 साल पहले 13 करोड़ की लागत से पुल का निर्माण कर दिया गया. लेकिन 900 मीटर की कनेक्टिंग अप्रोच रोड का निर्माण (Connecting approach road construction) आज तक नहीं हो सका है. ठेकेदार को ही रोड बनानी थी. मामला फंस गया विवाद के कारण सड़क अब तक अधूरी है. मामला हाईकोर्ट (High Court) तक भी गया. कोर्ट ने प्रशासन को रोड बनाने की जवाबदेही भी तय कर दी. बावजूद इसके प्रशासनिक उदासीनता के कारण सड़क अभी भी अधूरी है. लोग बड़े-बड़े गड्ढों से हिचकोले खाकर यहां से गुजरते हैं.

दर्री डैम की सड़क खस्ताहाल

दर्री डैम (Darri Dam) से होकर ध्यानचंद चौक (Dhyanchand Chowk) तक पहुंचने वाली सड़क की हालत बेहद खराब बेहद है. यही हाल पश्चिम क्षेत्र के सभी सड़कों का है. यह सड़क सिंचाई विभाग की है. लेकिन सीमित संसाधन हैं. दूसरे विभाग इस पर खर्च नहीं कर सकते. जिसके कारण रोड बेहद खराब है. डैम के ऊपर निर्मित पुल भी अब जर्जर स्थिति में है. लेकिन कोई ठोस समाधान, प्रशासन अब तक नहीं निकल सका. पुल पर लोड करने के लिए हसदेव नदी पर बनाया जा रहा समानांतर पुल भी लगभग 5 साल से अधूरा है.

फोरलेन सड़क में भी आने लगी दरार

दर्री डैम (Darri Dam) के बाद मेजर ध्यानचंद चौक से लेकर सीएसईबी चौक तक 5.5 किलोमीटर के फोरलेन सड़क का निर्माण किया गया था. जिसकी लागत 46 करोड़ रुपये है. रोड का काम लगभग 1 महीने पहले ही पूरा हुआ है. हालांकि कुछ कार्य होने अब भी शेष हैं और कोई वैकल्पिक मार्ग नहीं होने की वजह से जिले के ज्यादातर मार्ग की जर्जर हालत में होने के कारण केवल टू व्हीलर और हल्के फोर व्हीलर के लिए निर्मित सड़क पर भारी वाहन दौड़ रहे हैं. जिससे हाल ही में निर्मित इस सड़क पर भी दरारें आने लगी है. इस सड़क के निर्माण के लिए नो एंट्री लगाया गया लोगों ने परेशानी झेली लेकिन निर्माण के बाद सड़क टूटने लगी है.

रूमगड़ा चौक से बालको तक की सड़क भी खराब

रमगड़ा से लेकर बालको (Ramgda to Balco) तक पहुंचने वाला रिंग रोड भी अब जर्जर हालत में है. भारी वाहनों के आवागमन के लिए वैकल्पिक मार्ग तैयार किया गया था, लेकिन इसकी मरम्मत पर ध्यान नहीं देने की वजह से यह मार्ग लगातार जर्जर हालत में है. रास्ते में बड़े-बड़े गड्ड़े हैं. भारी वाहन यहां से आवागमन करते हैं, औद्योगिक उपक्रम बालकों के अधीन आने वाले इस सड़क की स्थिति भी बेहद खराब है.

कोरबा- चांपा मार्ग में रोज लग रहा जाम

कोरबा से चांपा (Korba to Champa) को जोड़ने वाली मुख्य सड़क पर भी अब रोज जाम लगने लगा है. यहां नेशनल हाईवे प्रस्तावित है निर्माण में देर हो रही है. कई स्थानों पर मुआवजा वितरण से लेकर जमीन अधिग्रहण की प्रतिक्रिया लंबित (Land acquisition response pending) है. सड़क गांव से होकर के भी गुजर रही है, लेकिन जो मुख्य सड़क है, जहां से घनी आबादी आवागमन करती है. वह खस्ताहाल है. मानिकपुर खदान (Manikpur mine) से कोयला लोडिंग के लिए पहुंचने वाले भारी वाहन की एंट्री कोरबा चंपा मार्ग पर भिलाई-खुर्द के पास होती है. जहां प्रतिदिन लगभग 400 भारी वाहन गुजरते हैं, जाम लग जाता है. लोग यहां से सफर करते हैं.

हर साल मानसून में यही हालात

कोरबा जिले में खासतौर पर पश्चिम इलाके की सड़कें बेहद खराब है. बरसात शुरू होते ही सड़कें बुरी तरह से उखड़ जाती हैं. करोड़ों रुपए के फंड से की गई मरम्मत (Repairs done with a fund of crores of rupees) पहली बारिश में ही बह जाती है. सड़कों पर पानी जमा हो जाता है. कीचड़ के साथ ही जरा सी धूप निकलने पर धूल का गुबार उठता है. बारिश के शुरू होते ही जून माह में ही सड़कें खराब हो जाती है. प्रशासन बारिश में मरम्मत नहीं होने की बात कहता है, जिसके बाद किसी तरह सड़कों की मरम्मत बरसात समाप्त होने के बाद नवंबर, दिसंबर तक पूरी होती है.

Last Updated :Sep 26, 2021, 7:09 PM IST
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