कांकेर : उत्तर बस्तर कांकेर जिले अंतर्गत दुर्गुकोंदल ब्लाक मुख्यालय में मंगलवार को सर्व आदिवासी समाज ने सैकड़ों की संख्या में एकत्र होकर एक दिवसीय धरना प्रदर्शन कर रैली (PESA law in Kanker) निकाली. ग्रामीणों के विरोध प्रदर्शन का कारण हाल ही में छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा लागू पेसा कानून था. जिसे आदिवासी ग्रामीण आधा-अधूरा बताते हुए इसे रदद् करने की मांग कर रहे थे. ग्रामीणों की मांग थी कि हाल ही में छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा बनाएं गए पेसा कानून को रद्द किया जाए क्योंकि इस कानून में ग्राम सभाओं की शक्तियों को कम कर दिया गया (Villagers anger against PESA law in Kanker ) है.
क्या है प्रदर्शनकारियों की मांग : प्रदर्शन में शामिल लोगों ने बताया कि 08 अगस्त 2022 को छत्तीसगढ़ सरकार ने पेसा नियम लागू किया है. इस पेसा नियम में ग्राम सभाओं के अधिकार को खत्म किया गया है , इसलिए इस नियम को रद्द किया जाये और ग्राम सभाओं को सर्वाधिकार प्रदान किया जाये. ग्रामीणों की दूसरी मांग थी कि माह जून 2022 को केन्द्र सरकार ने वन पर्यावरण काननू लाया. इसमें भी ग्राम सभाओं के अधिकार को खत्म किया गया है. इस कानून से लाखों आदिवासियों की विस्थापन होने की संभावना है.इसलिए इस कानून को रद्द किए जाने की मांग को लेकर एक दिवसीय धरना प्रदर्शन और रैली निकाली गई.
क्या है पेसा कानून : पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों का विस्तार) अधिनियम, 1996 या पेसा, अनुसूचित क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए ग्राम सभाओं (ग्राम विधानसभाओं) के माध्यम से स्वशासन सुनिश्चित करने के लिए केंद्र द्वारा अधिनियमित किया गया था. यह कानूनी रूप से जनजातीय समुदायों, अनुसूचित क्षेत्रों के निवासियों के स्वशासन की अपनी प्रणालियों के माध्यम से खुद को नियंत्रित करने के अधिकार को मान्यता देता है. प्राकृतिक संसाधनों पर उनके पारंपरिक अधिकारों को भी स्वीकार करता है. पेसा ग्राम सभाओं को विकास योजनाओं की मंजूरी देने और सभी सामाजिक क्षेत्रों को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का अधिकार देता है. इसमें नीतियों को लागू करने वाली प्रक्रियाएं और कर्मी, लघु (गैर-लकड़ी) वन संसाधनों, लघु जल निकायों और लघु खनिजों पर नियंत्रण रखने, स्थानीय बाजारों का प्रबंधन, भूमि के अलगाव को रोकने और अन्य चीजों के साथ नशीले पदार्थों को नियंत्रित करना शामिल है.Kanker latest news