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सरकार को शिक्षक दिखा रहे ठेंगा, कई दिनों से स्कूल पर लटका है ताला

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Published : Nov 1, 2019, 11:25 PM IST

जिला मुख्यालय से तकरीबन 60 किलोमीटर दूर मातला ब गांव के प्राथमिक और माध्यमिक स्कूल में शिक्षकों की लापरवाही से पिछले 3 दिनों से ताला तक ही नहीं खुला है, जिससे छात्र परेशान नजर आ रहे हैं.

सरकार को शिक्षक दिखा रहे ठेंगा

कांकेर: छत्तीसगढ़ में सरकारी तौर से दिवाली की छुट्टी बीते 3 दिन हो गए हैं, लेकिन अंदरूनी इलाकों के शिक्षकों के अंदर से अभी तक छुट्टी का खुमार नहीं उतरा है. इसी कड़ी में जिला मुख्यालय से तकरीबन 60 किलोमीटर दूर मातला ब के प्राथमिक और माध्यमिक स्कूल की इन दिनों ताला ही नहीं खुल रही है, जिससे छात्र स्कूल में ताला देखकर वापस लौट जाते हैं.

सरकार को शिक्षक दिखा रहे ठेंगा

दरअसल मातला ब गांव जिले के अंतिम छोर में मौजूद है. इस गांव से कोंडागांव और नारायणपुर जिले की सीमा लगती है. गांव तक पहुंचने के लिए आज भी पगडंडी वाले रास्ते हैं, जिसका पूरा फायदा इन इलाकों में पदस्थ शिक्षक बखूबी उठाते हैं. शिक्षक इस बात से भलिभांति वाकिफ हैं कि इस इलाके में कोई भी अधिकारी जांच के लिए नहीं पहुंचेगा.

शिक्षक सरकार को दिखा रहे ठेंगा
वहीं लापरवाह शिक्षक यहां के मासूम बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं. पिछले साल तक यहां स्कूल भवन भी नहीं था, जर्जर भवन में स्कूल संचालित हो रहे थे. इस साल ही यहां पोटा केबिन के तहत स्कूल निर्माण कराया गया है, जिससे मासूम बच्चे पढ़ लिखकर अपना भविष्य सवार सके, लेकिन गैर जिम्मेदार शिक्षक सरकार के इस मंशा पर पानी फेर रहे हैं.

शिक्षकों का नाम तक नहीं जानते ग्रामीण
जब ETV भारत की टीम इस गांव में पहुची, तो ग्रामीण शिक्षक का नाम भी नहीं बता पाए. ग्रामीणों ने बताया कि दिवाली के तीन-चार दिन पहले से शिक्षक नहीं आ रहे हैं. वहीं ग्रामीणों से जब शिक्षकों का नाम पूछा गया तो, ग्रामीणों को नाम तक नहीं मालूम है.

लापरवाह शिक्षक कैसे बढ़ाएंगें शिक्षा की स्तर
ऐसे में सबसे बड़ा सवाल ये है कि शासन भले ही लाख योजनाएं ले आए, लेकिन ऐसे लापरवाह शिक्षकों के रहते आखिर इन इलाकों में शिक्षा का स्तर कैसे ऊपर उठ पाएगा, और आखिर कब इन इलाकों के बच्चे अपना भविष्य पढ़ लिखकर संवार सकेंगे.

Intro:कांकेर - दिवाली की छुट्टी खत्म हो चुकी है लेकिन अंदरूनी इलाको के शिक्षको के अंदर से अब तक छुट्टी का खुमार नही उतरा है , जिला मुख्यालय से लगभग 60 किलोमीटर दूर मातला बा के प्राथमिक और माध्यमिक स्कूल का आज ताला तक नही खुला, स्कूल में पदस्थ शिक्षक छुट्टी खत्म होने के बाद भी स्कूल नही पहुचे जिससे यहां के बच्चे स्कूल पहुच कुछ देर रुकने के बाद वापस लौट गए, ग्रामीणों ने जो जानकारी दी उससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि अंदरूनी इलाको में शिक्षा किस बदतर स्तिथि में है , ग्रामीणों के अनुसार दिवाली के तीन चार दिन पहले से शिक्षक नदारद है ।


Body:मातला बा गांव जिले का अंतिम छोर है इस गांव से कोंडागांव और नारायणपुर जिले की सीमा लगती है, इस गांव तक पहुचने आज भी पगडंडी वाले रास्ते है जिसका पुरा फायदा इन इलाकों में पदस्थ शिक्षक उठाते है, शिक्षक इस बात से भलीभांति वाकिफ है कि इस इलाके में कोई भी अधिकारी उनकी जांच के लिए नही पहुचेगा, यह इलाका नक्सलियों का गढ़ है पुलिस का भी इस इलाके में ज्यादा आना जाना नही है । ऐसे में लापरवाह शिक्षक यहां के मासूम बच्चों के भविष्य से जमकर खिलवाड़ कर रहे है । पिछले साल तक यहां स्कूल भवन भी नही था जर्जर भवन में स्कूल संचालित हो रहे थे इस साल ही यहां पोटा केबिन के तहत स्कूल निर्माण कराया गया है ताकि मासूम बच्चे पढ़ लिखकर अपना भविष्य सवार सके लेकिन गैर जिम्मेदार शिक्षक सरकार इस मंशा पर पानी फेर रहे है ।

शिक्षको का नाम तक नही जानते ग्रामीण
इन इलाकों में शिक्षको का नाम तक ग्रामीण नही जानते है, ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि शिक्षको और ग्रामीणों के बीच समन्वय की क्या स्तिथि होगी, जब ईटीवी भारत की टीम इस गांव में पहुची तो ग्रामीण शिक्षक का नाम भी नही बता पाए। ग्रामीणों ने बताया कि दीवाली के तीन चार दिन पहले से शिक्षक नही आ रहे है ।


Conclusion: ऐसे में कैसे उठेगा शिक्षा का स्तर
जो स्तिथि धुर नक्सल प्रभावित मातला बा गांव में नज़र आई उससे सबसे बड़ा सवाल यही है कि शांसन भले ही लाख योजनाए ले आये लेकिन ऐसे लापरवाह शिक्षको के रहते आखिर इन इलाको में शिक्षा का स्तर कैसे ऊपर उठ पाएगा, और आखिर कब इन इलाकों के बच्चे अपना भविष्य पढ़ लिखकर सवार सकेंगे ।

बाइट - लखनलाल मरकाम ग्रामीण
लखमू गावड़े ग्रामीण
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