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लाल आतंक को मिलेगा मुंहतोड़ जवाब, कांकेर में 12सौ फाइटर्स तैयार

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Published : Oct 20, 2021, 5:22 PM IST

Updated : Oct 20, 2021, 7:25 PM IST

नक्सलियों से लोहा लेने के लिए जिला व पुलिस-प्रशासन द्वारा 'बस्तर फाइटर्स' (Bastar Fighters) नाम की स्थानीय युवाओं की एक नई टीम को प्रशिक्षण (Training) दिया जा रहा है. बस्तर फाईटर्स बनने और सुदूर नक्सल प्रभावित ग्रामीण अंचल (naxal affected rural area) के प्रतिभागी (Participant) अब सामने आ रहे हैं.

Training of youth to deal with Naxalites in Kanker
कांकेर में नक्सलियों के निपटने के लिए युवाओं का प्रशिक्षण

कांकेरः नक्सलियों से लोहा लेने के लिए जिला व पुलिस-प्रशासन (police-administration) द्वारा 'बस्तर फाइटर्स' (Bastar Fighters) नाम की स्थानीय युवाओं की एक नई टीम को प्रशिक्षण दिया जा रहा है. बस्तर फाईटर्स बनने सुदूर नक्सल प्रभावित ग्रामीण अंचल (naxal affected rural area) के प्रतिभागी (Participant) अब सामने आ रहे हैं.

कांकेर पुलिस विभाग द्वारा बस्तर फाईटर्स आरक्षक भर्ती प्रशिक्षण कार्यक्रम की शुरूआत की गई है. प्रशिक्षण में छत्तीसगढ़ पुलिस भर्ती एवं आगामी प्रतियोगिता परीक्षाओं में भाग लेने के लिए कोचिंग, क्लासेस, पुलिस एवं सेना भर्ती कार्यक्रम में भाग लेने के शारीरिक दक्षता प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रारंभ किया गया.

फोर्स में भर्ती के लिए बुधवार को कांकेर जिले के अंतागढ़ क्षेत्र के ग्राम कोयलीबेड़ा, आमाबेड़ा, रावघाट, ताड़ोकी, सिकसोड़ के कुल 1212 प्रतिभागियों ने अपने आवेदन प्रस्तुत किए थे जिनमें से कुल 300 सुदूर ग्रामीण क्षेत्र के प्रशिक्षार्थीयों को चयन कर उन्हें जिला प्रशासन एवं पुलिस प्रशासन द्वारा रहने एवं भोजन की व्यवस्था कराई गई है.

पुलिस अधीक्षक शलभ कुमार सिन्हा ने बताया कि प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य सुदूर नक्सल प्रभावित ग्रामीण अंचल के प्रतिभागी, जिन्हें उचित मार्गदर्शन देकर छत्तीसगढ़ शासन द्वारा आयोजित आगामी परीक्षाओं में सफल बनाना तथा उनके कौशल का विकास करना है.

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सरकार ने किया था बजट में घोषणा
छत्तीसगढ़ सरकार ने बजट में बस्तर फाइटर्स के लिए घोषणा की थी. इसके तहत बस्तर फाइटर्स में 2800 मूल युवाओं की भर्ती होनी है. सरकार इनके पीछे हर साल 92 करोड़ रुपये खर्च करेगी. बस्तर फाइटर्स की एक खास बात यह है कि इसमें सिर्फ उन्हीं युवाओं की भर्ती की जा रही है, जो बस्तर के ग्रामीण और अंदरूनी क्षेत्र के हैं. उन्हीं युवाओं को इनमें मौका मिलेगा, वे बचपन से जंगलों में शिकार कर रहे हैं और उन्हें जंगल के चप्पे-चप्पे की जानकारी पहले से है.

Last Updated : Oct 20, 2021, 7:25 PM IST
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