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कांकेर: करमरी में लाल आतंक की दहशत, अब तक नहीं हटा नक्सली स्मारक

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Published : Feb 6, 2020, 4:35 PM IST

Updated : Feb 6, 2020, 5:08 PM IST

Naxalites fear among villagers of Antagarh block
ग्रामीणों में नक्सलियों का दहशत

अंतागढ़ ब्लॉक के ग्रामीणों में नक्सलियों का डर आज भी बरकरार है. गांव में 15 साल पुराना नक्सली शहीद स्मारक बना हुआ है. पुलिस भी उस स्मारक को नहीं हटाई है.

कांकेर: अंतागढ़ ब्लॉक के ग्रामीण आज भी नक्सलियों के दहशत में गुजर-बसर करने को मजबूर हैं. इसकी वजह है करमरी गांव में बना नक्सली स्मारक, 15 साल से गांव के बीच में दहशत का पर्याय बना हुआ है. लोगों का कहना है कि पुलिस को इसकी कई बार सूचना दी गई, लेकिन आज तक प्रशासन इस तरफ ध्यान नहीं दिया. इससे इलाके में नक्सली दहशत आज भी बरकरार है.

अब तक नहीं हटा स्मारक

करमरी गांव के लोगों में नक्सलियों का डर कुछ इस कदर हावी है कि ग्रामीण कुछ भी खुलकर बोलने को तैयार नहीं हैं. ग्रामीणों ने कैमरे के पीछे बस इतना ही बताया कि आज से लगभग 15 साल पहले 50 से 60 हथियार बंद नक्सली गांव में आए थे, जिन्होंने गांव के बीच में तकरीबन 30 फीट ऊंचा नक्सली स्मारक बना दिया, जो आज भी वैसे के वैसे खड़ा है. इतना ही नहीं इस क्षेत्र में सुरक्षा बलों की आवाजाही तक नहीं है.

नक्सलियों की दहशत आज भी बरकरार
पुलिस और सुरक्षा बल भले ही गांव-गांव तक पहुंचकर ग्रामीणों को भयमुक्त करने के लिए अभियान चला रहे हैं, पुलिस मितान कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं, जिससे ग्रामीणों तक पहुंचा जा सके, लेकिन करमरी गांव की स्थिति एक दम उसके उलट है. इस इलाके में नक्सलियों का दहशत कायम है.

Intro:कांकेर-जिला मुख्यालय से लगभग 60 किलोमीटर दूर अन्तागढ़ ब्लॉक का करमरी गांव जहा आज भी नक्सलियो के डर में ग्रामीण अपना जीवन बिता रहे है,इस गांव के बीचोबीच नक्सलियो का शहीद स्मारक इस बात का गवाह है कि किस कदर यहां के ग्रामीण नक्सलियो की दहशत में जीने मजबूर है। गांव के बीच लगभग 30 फ़ीट ऊंचा नक्सली स्मारक लगभग 15 सालो से यहां खड़ा है, लेकिन अब तक इसे हटाने पुलिस और सुरक्षाबल के जवान नही पहुचे है, जिससे इलाके में नक्सली दहशत आज भी बरकरार है।


Body:करमरी गांव में नक्सलियो की दहशत कुछ इस कदर है कि ग्रामीण भी खुलकर कुछ बताने तैयार नही हुए , ग्रामीणों ने कैमरे के पीछे बस इतना ही बताया कि आज से लगभग 15 साल पहले 50 से 60 हथियार बन्द नक्सली गांव में आये थे और उन्होंने गांव के बीच 30 फ़ीट ऊंचा स्मारक बना दिया जो आज भी वैसा ही है, इस क्षेत्र में सुरक्षाबलों की आवाजाही भी नही है, क्षेत्र अतिसंवेदनशील है । पुलिस और सुरक्षाबल के द्वारा लाख दावे किए जाते है कि गांव गांव तक पहुचकर ग्रामीणों को भयमुक्त करने अभियान चलाया जा रहा है,पुलिस मितानं कार्यक्रम चलाये जा रहे है, जिससे ग्रामीणों तक पहुचा जा सके उनके मन से नक्सलियो का भय खत्म किया जा सके लेकिन करमरी गांव पहुचने के बात स्तिथि कुछ और ही नज़र आती है।


Conclusion:एक तरफ नक्सलियो को बैकफुट में धकेलने के दावे है तो दूसरी तरफ करमरी जैसे गांव है जहाँ आज भी नक्सलियो की दहशत बरकरार है, अब देखना यह होगा कि कब पुलिस और सुरक्षबल के जवानो की नज़र इस गांव में पड़ती है और इस गांव में नक्सलियो के भय से मुक्त किया जा पाता है।

पीटीसी
Last Updated :Feb 6, 2020, 5:08 PM IST
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