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इस जंगल में भगवान राम ने वनवासकाल में किया था राक्षस का वध, आज भी पत्थर जैसी हड्डियां है मौजूद

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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jan 7, 2024, 5:03 PM IST

Updated : Jan 7, 2024, 6:59 PM IST

Rakshahada hill of Kanker:कांकेर के रक्शाहाड़ा पहाड़ी पर मौजूद पत्थर से हड्डियों की खुश्बू आती है. कहा जाता है कि इस जंगल में भगवान राम ने वनवासकाल में राक्षस का वध किया था. उसी राक्षस की हड्डियां आज पत्थर बन चुकी है. जिसे जलाने ये घिसने से हड्डियों की खुश्बू आती है.

Rakshahada Hill
रक्शाहाड़ा पहाड़ी

इस जंगल में भगवान राम ने वनवासकाल में किया था राक्षस का वध

कांकेर: छत्तीसगढ़ में भगवान श्री राम ने अपने वनवासकाल का कुछ समय बिताया था. छत्तीसगढ़ में कई जगहों पर आज भी भगवान राम के वहां जाने का प्रमाण मिलता है. ऐसे ही कांकेर के जंगलों का पत्थर भी भगवान राम के वहां जाने की गवाही देता है. इन पत्थरों से आज भी हड्डियों की खुश्बू आती है.

वनवास काल में आए थे भगवान राम: दरअसल, भगवान राम अपने 14 साल के वनवास काल में दंडकारण्य के जंगलो के यात्रा के दौरान उत्तर बस्तर कांकेर के जंगलो में एक दानव का वध किया था. आज भी उसका अवशेष कांकेर जिला मुख्यालय से 80 किलोमीटर दूर ग्राम खडगांव के रक्शाहाड़ा पहाड़ी पर मौजूद है. रक्शाहाड़ा पहाड़ी नाम है. हालांकि इसका हिंदी में नाम रक्षकों की हड्डियां है.

पत्थर को जलाने से आती है हड्डियों की खुश्बू: इन पत्थरों ने बारे में विस्तार से जानने के लिए ईटीवी भारत ने घने जंगलों और पहाड़ी रास्ते के नालों को पार कर रक्शाहाड़ा पहाड़ी पहुंची. यहां पतली सी धार बहती हुई झरने के बीच एक ऐसा पत्थर पाया, जिसको रगड़ने से या आग लगाने से हड्डियों की खुशबू आती है. हड्डी की तरह महकने वाली पत्थर के पीछे का रहस्य जानने के लिए ईटीवी भारत ने स्थानीय लोगों से बातचीत की.

पहले पत्थर से निकलता था खून: स्थानीय शिक्षक प्रदीप सेन ने बताया कि, "अंतागढ़ क्षेत्र में विशालाकाय दानव हुआ करता था, जिसने इस क्षेत्र में दूर-दूर तक के जीवों को हवा से ही खींच कर खा जाता था. इसलिए इस क्षेत्र में किसी प्रकार के जीवों का वास नहीं होता था. इससे तंग आकर ग्रामीण भागने लगे थे. उसी वक्त वनवास में बस्तर में आए भगवान राम को पता चला तो भगवान राम राक्षस को निंद्रा अवस्था में रावघाट की पहाड़ पर चढ़ कर तीर चलाए थे. उस विशालकाय आदम खोर दानव को मारने के बाद वो फिर से जिंदा न हो इस लिए उसके शरीर को टुकड़े-टुकड़े कर दिए थे. सालों पहले यह पत्थर नहीं बल्कि पूरी तरह हड्डी के रूप में दिखता था, जिसे काटने या तोड़ने पर खून की महक भी आती थी. कभी कभी खून भी निकलता था."

भगवान राम ने किया था दानव का वध: वहीं, एक अन्य स्थानीय आधार सिंह दुग्गा ने ईटीवी भारत को बताया कि, "हमने पूर्वजों से सुना है कि यहां एक दानव हुआ करता था, जो सभी को बहुत परेशान किया करता था. यहां का जंगल बड़े-बड़े पहाड़ों और झरनों से घिरा हुआ था. राम भगवान अपने वनवास के दौरान इस क्षेत्र में पहुंचे थे, जहां उन्हें दानव के उत्पात की जानकारी मिली. भगवान राम ने तीर धनुष से दानव का वध कर दिया. यहां हड्डियों जैसा पत्थर आज भी मौजूद है. जिसे रगड़ने या जलाने से हड्डियों की महक आती है."

यहां राम के आने का मिलता है प्रमाण: ग्रामीणों की मानें तो इस पत्थर को लेकर शोध कर्ताओं ने शोध भी किया है. पर आज तक इसकी सच्चाई ग्रामीणों को नहीं बताई गई है. बताया जाता है कि यहां के ग्रामीण इस जंगल में बहुत कम आते हैं. क्योंकि यहां पहाड़ी पूरी तरह घने जंगलों से घिरा हुआ है. बड़े-बड़े चट्टान हैं. इसके अलावा छोटे नाले होने के कारण बहुत कम ग्रामीण यहां आते हैं. पहाड़ी के नीचे के हिस्से में भी कई तरह के हड्डियों वाले पत्थर हैं, जिन तक पहुंच पाना संभव नहीं है. लेकिन कई ग्रामीण वहां तक पहुंचे हैं. कहीं न कहीं शोधकर्ताओं के लिए भी यहां का पत्थर आश्चर्य में डालने वाला है. लेकिन यहां के पत्थर इस बात का साक्षात प्रमाण है कि भगवान राम यहां आए थे.

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Last Updated :Jan 7, 2024, 6:59 PM IST
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