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कबीरधाम जिले में नक्सली फिर सक्रिय, पीएलजीए सप्ताह मनाने के लिए फेंके पर्चे

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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Nov 29, 2023, 12:35 PM IST

Updated : Nov 29, 2023, 1:40 PM IST

Naxalite PLGA Week
नक्सली पीएलजीए सप्ताह

Naxalite Movement In Kabirdham District कवर्धा जिले में एक बार फिर नक्सली मूवमेंट देखने को मिला है. कवर्धा के समनापुर गांव के एक दुकान में पम्पलेट चस्पा कर ग्रामीणों से नक्सलियों ने पीएलजीए सप्ताह मनाने कीअपील की है. नक्सली पर्चा मिलने की सूचना के बाद पुलिस अलर्ट मोड में है. Kawardha News

कवर्धा: कबीरधाम जिले में एक बार फिर नक्सलियों ने अपनी मौजूदगी दर्ज कराई है. नक्सलियों ने जिले के वनांचल ग्राम समनापुर के एक दुकान के पास एमएमसी जोनल कमेटी के नाम से पम्पलेट लगाया है. जिसमें नक्सलियों ने ग्रामीणों से पीएलजीए सप्ताह मनाने अपील की है. ग्रामीणों की सूचना के बाद पुलिस सक्रिय हो गई है. पुलिस ने मामले की जांच के साथ इलाके में सर्चिंग भी तेज कर दी है.

ग्रामीणों से पीएलजीए सप्ताह मनाने की अपील: कवर्धा के एएसपी हरीश राठौर ने बताया, "27 नवंबर की देर शाम झलमला थाना क्षेत्र के ग्राम समनापुर के एक दुकान के पास नक्सली पम्पलेट चस्पा होने की सूचना मिली थी. जिस पर पुलिस की टीम तत्काल मौके पर पहुंची और पम्पलेट जब्त कर मामले की छानबीन कर रही है. पूछताछ में ग्रामीणों ने बताया कि पम्पलेट लगाते किसी को नहीं देखा गया है. ग्रामीणों ने किसी बाहरी व्यक्ति के भी गांव में नहीं आने की बात कही है. जिसके बाद पुलिस पूरे मामले की जांच कर रही."

क्यों मनाते हैं नक्सली पीएलजीए सप्ताह? : पीएजीए का मतलब पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी है. इस संगठन में शामिल नक्सली लड़ाई में माहिर और अत्याधुनिक हथियारों से लैस रहते हैं. इस नक्सली संगठन के सदस्यों के पास बड़ी घटनाओं की जानकारी होती है. ये बड़ी घटनाओं को अंजाम देते हैं. मुठभेड़ में मारे गए साथियों की याद में नक्सली हर साल 02 से 08 दिसंबर तक एक सप्ताह शहीद दिवस के रुप में मनाते हैं. साथ ही पूरे साल का नया लेखा-जोखा शुरु करते हैं. नक्सली पीएलजीए सप्ताह के दौरान साल भर की पूरी प्लानिंग भी करते हैं.

कवर्धा में 2015 से सक्रिय हैं नक्सली: दरअसल कबीरधाम जिले में नक्सली 2015 से सक्रिय हैं. बोड़ला भोरमदेव एरिया कमेटी के सदस्यों की लगातार पुलिस एनकाउंटर में मौत हो रही थी. इसके बाद 06 माह पहले बस्तर से 25 सदस्यों को और बुलाया गया है. लेकिन नया इलाका और अलग भाषा के चलते उन्हें सहयोग नहीं मिल पा रहा है. नक्सलियों की बोली-भाषा अलग होने के चलते ग्रामीण समझ नहीं पाते. यही वजह है कि इतने लंबे समय बाद भी नक्सली जिले में अपनी पैठ बनाने में नाकाम रहे हैं. बावजूद इसके नक्सली जिले में एरिया कमेटी का भी गठन कर चुके हैं. जिसके कई सदस्य पुलिस एनकाउंटर में मारे गए तो कुछ आत्मसमर्पण कर चुके हैं. ऐसे में नक्सली कबीरधाम जिले से लगे मध्यप्रदेश के कान्हा नेशनल पार्क को अपना ठिकाना बनाए हुए हैं. कबीरधाम जिले में सामान लेने आना-जाना करते हैं. ऐसी सूचना समय समय पर मिलती रहती है.

क्या है एमएमसी जोनल कमेटी? : दरअसल, कबीरधाम और राजनांदगांव जिले से लगे जंगल में महाराष्ट्र-मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ राज्य की सीमा को एक साथ जोड़ती है. यह नक्सलियों के लिए एक सुरक्षित स्थान माना जाता है. नक्सली घटना को अंजाम देने के बाद दूसरे राज्य में दाखिल हो जाते हैं. लेकिन पुलिस को दूसरे राज्यों में दाखिल होकर सर्चिंग करने लिए उच्च अधिकारियों की परमिशन लेनी पड़ती है. ऐसे में तब तक नक्सलियों को भागने का समय मिल जाता है. हालांकि इन तीनों राज्यों की पुलिस भी समय समय पर ज्वाइंट ऑपरेशन चलाती है. इससे तरह के ऑपरेशन से कई बार पुलिस को कामयाबी भी मिली है. बावजूद इसके नक्सली इसे सेफ जोन मानते हैं. इसलिए इस क्षेत्र का नाम एमएमसी जोनल कमेटी रखा गया है.

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Last Updated :Nov 29, 2023, 1:40 PM IST
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