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जशपुर: गौठान में जैविक खाद और कीटनाशक तैयार कर रहीं महिलाएं, रोजगार की ओर बढ़ रहे कदम

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Published : Nov 10, 2020, 7:24 PM IST

Women self-help group earning money
गौठान में महिला समूह

बटईकेला गौठान में महिला समूह गोबर से जैविक खाद, जैविक कीटनाशक जैसे उत्पाद तैयार कर रहीं हैं. जिससे इन्हें रोजगार भी मिल रहा है.

जशपुर: छत्तीसगढ़ शासन की महत्वकांक्षी नरवा, गरवा, घुरवा और बाड़ी योजना के अंतर्गत विकासखंड कांसाबेल के बटईकेला गौठान में गोबर से जैविक खाद निर्माण के साथ ही विभिन्न प्रकार के उत्पाद तैयार किए जा रहे हैं. गौठान से जुड़ी अम्बिका स्व-सहायता समूह की महिलाओं ने गौठान के जरिए रोजगार के अवसर बनाए हैं. गौठान में महिलाएं गोबर से वर्मी कम्पोस्ट तैयार कर रहीं हैं.

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जैविक खाद और कीटनाशक तैयार कर रहीं महिलाएं

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गौठान से जुड़े बलराम सोनवानी ने बताया कि लाॅकडाउन के समय इन महिलाओं के समक्ष रोजगार की विकट समस्या उत्पन्न हो गई थी. ऐसे में जिला प्रशासन गौठानों में रोजगार मूलक और आजीविका संवर्धन जैसी विभिन्न योजनाओं के माध्यम से महिलाओं को रोजगार उपलब्ध कराने के प्रयास कर रहा है. स्व-सहायता समूह की महिलाएं जैविक खाद निर्माण कर रही हैं.

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रोजगार की ओर बढ़ रहे कदम

महिला समूह कर रही गोबर खरीदी

गौठान में 111 पशुपालकों से 773 क्विन्टल गोबर की खरीदी की गई है. अब तक पंजीकृत गोबर विक्रेताओं को 1 लाख से अधिक राशि का भुगतान भी सहकारी समितियों ने सीधे उनके खाते में कर दिया है. उन्होंने बताया कि गौठान में अब तक 8 क्विंटल जैविक खाद का निर्माण किया गया है. जिसका विक्रय सहकारी समितियों के माध्यम से सरकारी संस्थाओं को किया जाएगा. उन्होंने बताया कि गोधन न्याय योजना के प्रारंभ होने से पूर्व लाॅकडाउन के दौरान 12 सदस्यीय अम्बिका समूह की महिलाओं ने गोबर से बने जैविक खाद घन जीवामृत का निर्माण किया है. घन जीवामृत के उपयोग से भूमि की उपजाऊ क्षमता बढ़ती है. लाॅकडाउन से अब तक महिलाओं ने लगभग 5 क्विंटल घन जीवामृत का उत्पादन किया है.

अन्य उत्पादों पर भी ध्यान दे रहा समूह

अम्बिका समूह की महिला विभिन्न प्रकार के जैविक कीटनाशक उत्पाद भी तैयार कर रहीं हैं. जिसके अंतर्गत नीमास्त्र और बेसरम पत्ती की दवाई सहित अन्य उत्पाद शामिल हैं. जैविक कीटनाशक का उपयोग धान और सब्जी के कीट को मारने के लिए किया जाता है. यह कीटनाशी इकोफ्रेंडली होता है. यह केवल फसलों को हानि पहुंचाने वाले कीटों को मारता है. इसका किसी भी प्रकार का हानिकारक प्रभाव फसल, मृदा, जल, वातावरण और मानव शरीर पर नहीं पड़ता है. यह फसलों की अच्छी उत्पादन में भी सहायक है.

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