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बस्तर के दो डॉक्टरों ने कोरोना काल में निशुल्क किया लोगों का इलाज

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Published : Aug 6, 2021, 4:31 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST

कोरोना काल में जहा एक ओर सभी अस्पताल लोगों से मोटी फीस ऐंठने में लगे हुए थे वहीं बस्तर के दो डॉक्टर डॉ.अनूप साहू और महेंद्र प्रसाद लोगों का नि:शुल्क इलाज कर रहे थे. इन डॉक्टरों ने लोगों की परिस्थितियों और परेशानियों को समझते हुए नि:शुल्क इलाज करने का फैसला लिया.

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बस्तर के डॉक्टर

जगदलपुर : बस्तर जिले के दो शासकीय चिकित्सकों ने पूरे प्रदेश में एक मिसाल पेश की है. इन डॉक्टरों ने 1700 लोगों को कोरोना से बचाव के लिए नि:शुल्क परामर्श दिया है. दरअसल एक तरफ कोरोना काल में जहां कोरोना से संक्रमितों को इलाज के नाम पर निजी अस्पताल मनमाना बिल थमाने का काम कर रहे थे, तब डिमरापाल अस्पताल के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ.अनूप साहू और दरभा ब्लॉक में तैनात डॉक्टर महेंद्र प्रसाद लोगों को नि:शुल्क परामर्श देकर उनकी जान बचा रहे थे. इनसे छत्तीसगढ़ के सभी जिलों से लोग परामर्श ले रहे थे. इसके अलावा पड़ोसी राज्य ओडिशा, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक और महाराष्ट्र के लोग भी इनसे संपर्क कर सलाह ले रहे थे. इन दोनों डॉक्टरों से ईटीवी भारत ने खास बातचीत की है.

बस्तर के देवदूत

जिला प्रशासन ने बढ़ते संक्रमित मरीजों की संख्या को देखते हुए होम आइसोलेट हुए मरीजों को परामर्श देने के लिए चिकित्सकों को तैनात किया था, जिनके द्वारा ऑनलाइन परामर्श मरीजों को दी जा रही थी. 10 दिन के परामर्श के लिए ढाई हजार रुपए फीस निर्धारित की गई थी, कई मरीजों ने डॉक्टरी सलाह लेकर अपनी जान भी बचाई और इन डॉक्टरों के द्वारा दवाइयों की भी सही जानकारी दी गई. इस दौरान जिले के 2 डॉक्टर ऐसे थे जिन्होंने बीते 16 माह में करीब 1700 लोगों को परामर्श दिया वह भी पूरी तरह से नि:शुल्क.

शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ अनूप साहू ने 800 लोगों को परामर्श दिया इसके साथ ही उन्होंने संक्रमित पाए गए बच्चों का भी इलाज कर उनकी जान बचाई. डॉ महेंद्र प्रसाद ने 900 लोगों को नि:शुल्क परामर्श दिया जिसमें बस्तर संभाग के अलावा दूसरे राज्यों और विदेशों से भी उनके पास फोन आए और वीडियो कॉलिंग के जरिए उन्होंने मरीजों से बात की. अच्छी बात यह रही कि एक भी मामले में जान का नुकसान किसी को नहीं हुआ. इन्होंने ना केवल कोरोना महामारी को लेकर फैले अफवाह को कोरोना संक्रमित मरीजों के बीच से दूर किया बल्कि उन्हें इलाज के लिए सही दिशा भी दी. डॉ अनूप साहू और डॉ महेंद्र प्रसाद ने बताया कि वह कई मामले में वीडियो कॉल में आकर भी लोगों को परामर्श दे रहे हैं कोरोना का कहर फिलहाल कम हुआ है पर सेवा कार्य अभी भी जारी है.

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नि:शुल्क इलाज करने का लिया फैसला

डॉ अनूप साहू ने बातचीत के दौरान बताया कि, जब करोना के दौरान बस्तर समेत देश में अचानक मरीजों की संख्या बढ़ी तो इससे जुड़े अफवाह भी काफी संख्या में फैलने लगे. इसे देखते हुए जिला प्रशासन ने फीस लेकर भी डॉक्टरों को परामर्श देने के लिए राजी किया. कई डॉक्टर फीस लेकर परामर्श भी देते रहे, लेकिन उन्होंने इस ऑफर को ठुकराते हुए यह काम नि:शुल्क करने का निर्णय लिया. पहली लहर के शुरुआती दिनों में ही अपना मोबाइल नंबर सार्वजनिक कर दिया और सोशल मीडिया के माध्यम से उन्होंने अपने नंबर जरूरतमंदों तक पहुंचाए.

पुत्र के संक्रमित होने पर भी करते रहे लोगों की सेवा

डॉ अनूप साहू ने बताया कि इस दौरान उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा, कई बार काफी क्रिटिकल कंडीशन में भी बच्चों को कोरोना संक्रमित होने के बाद उनके पास लाया गया. उन्होंने बच्चों का इलाज किया और वर्तमान में सभी बच्चे अभी पूरी तरह से स्वस्थ हैं. उन्होंने बताया कि इस दौरान उनके बेटे भी कोरोना संक्रमित हो गए थे बावजूद इसके उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और 24 घंटे लोगों को परामर्श देने के लिए अपना फोन उठाते रहे. वीडियो कॉलिंग के जरिए भी संक्रमित मरीजों को इलाज में हर संभव मदद की. उन्होंने कहा कि उनका उद्देश्य था कि कोरोना काल की वजह से लोगों की आर्थिक स्थिति सही नहीं है ऐसे में परामर्श के नाम पर उनसे फीस लिया जाना उचित नहीं होगा. इसलिए उन्होंने बस्तर कलेक्टर से निवेदन कर नि:शुल्क ही परामर्श देने का निर्णय लिया और अपने 800 मरीजों में सबसे ज्यादा कोरोना से संक्रमित हुए छोटे बच्चों की जान बचाई.

खुद संक्रमित होकर भी किया लोगों का इलाज

डॉ महेंद्र प्रसाद इस कोरोनाकाल के दौरान लगातार सभी ग्रामीण क्षेत्रों से लेकर सीमावर्ती क्षेत्रों तक पहुंचकर लोगों की जांच के लिए काम करते रहे. इस बीच वह भी खुद संक्रमित हुए, लेकिन उन्होंने लोगों की सेवा करनी नहीं छोड़ी. ठीक रहने के दौरान बिना कोई छुट्टी लिए वे लगातार काम में लोगों की जांच में जुटे रहे. वहीं दूसरी तरफ जब वे संक्रमित हुए तो भी उनके पास परामर्श के लिए लगातार फोन आते रहे. उन्होंने बताया कि ऐसा कोई भी दिन नहीं गया जब देर रात उनके पास किसी का फोन नहीं आया हो. लोगों की परेशानियों को समझते हुए कोई कॉल उन्होंने नहीं छोड़ी और कोई कॉल छूट भी गयी तो समय मिलते वापस उन्हें फोन लगाकर परामर्श दिया.

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इस दौरान दो चुनौतियों का सामना करना था सबसे बड़ी चुनौती लोगों में कोरोना को लेकर फैली अफवाह और दूसरी चुनौती जब कोरोना कि लगातार संक्रमित मरीज सामने आ रहे थे. ऐसे में मरीजों को यह समझ में नहीं आ रहा था कि वह किससे परामर्श लें और ऐसे समय वह भ्रमित रहे थे. उन्हें भरोसे में लेना कठिन था लेकिन उन्होंने बताया कि बीते 16 माह में उन्होंने 900 से अधिक मरीजों का परामर्श दिया और कई मरीजों का खुद इलाज भी किया. सभी मरीज स्वस्थ्य हुए और सभी मरीजों ने उन्हें धन्यवाद दिया.

शहर के गणमान्य लोगों ने भी दोनों ही डॉक्टर के इस सराहनीय कार्य की जमकर तारीफ की. जहां दूसरे राज्यों में और प्रदेश के ही कुछ निजी अस्पतालों में कोरोना संक्रमित मरीजों से इलाज के नाम पर बिल थमाकर मरीजों से मनमाना फीस वसूला जा रहा था. कोई डॉक्टर उनसे बात करने के लिए तैयार नहीं था. बस्तर जैसे क्षेत्र में जो कि ग्रामीण अंचल क्षेत्र है यहां दोनों ही डॉक्टरो ने लोगों को नि:शुल्क परामर्श देकर न सिर्फ उनकी जान बचाई बल्कि मानव धर्म की भी मिसाल पेश की.

Last Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST
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