जगदलपुर: खौफ के अंधेरे को छांटते हुए छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग में कनेक्टिविटी का जाल बिछेगा. नक्सल प्रभावित इलाके अब पहुंच से दूर नहीं रहेंगे. नक्सलियों की मांद में राज्य और केंद्र सरकार मिलकर 30 नई सड़कें बना रही हैं. ये सड़कें बस्तर संभाग के उन इलाकों में बनाई जा रही हैं, जहां दिन में भी डर का साया रहता है. जहां कई जवानों की शहादत हुई है. जहां रोड बनाने के लिए ठेकेदार तैयार नहीं होते थे और जहां विकास एक-एक पल जान पर खेलकर होता है.
जान हथेली पर लेकर जवान दे रहे सुरक्षा
ये रोड रोड रिक्वॉयरमेंट प्लान (आरआरपी) के तहत बनाई जाएंगी. इसमें राज्य सरकार और केंद्र सरकार की हिस्सेदारी होगी. बस्तर पुलिस ने 2021 में इन सड़कों को पूरा करने का निर्णय लिया है. खासकर जगरगुंडा, किस्टाराम, गोल्लापल्ली से होकर बारसूर और अबूझमाड़ के पल्ली तक स्टेट हाईवे का काम पहले से ही चल रहा है और यह काम पुलिस खुद कर रही है. बस्तर के छिंदनार- बारसूर, नारायणपुर के पदमकोट से होकर कुतुल तक, नारायणपुर से गारपा, ओरछा से अदेर तक, चारगांव से सिलकोड, उमकासा से दुर्गकोंदल तक रोड निर्माण के लिए बजट जारी हो चुका है. इनमें से कई ऐसे इलाके हैं, जहां पहुंचना जान पर खेलने से कम नहीं.
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2021 में सड़क निर्माण पूरा करने का लक्ष्य
बस्तर पुलिस ने 2021 में इन सड़कों को पूरा करने का निर्णय लिया है. खासकर जगरगुंडा, किस्टाराम, गोल्लापल्ली से होकर बारसूर और अबूझमाड़ के पल्ली तक स्टेट हाईवे का काम पहले से ही चल रहा है और यह काम पुलिस खुद कर रही है. पुलिस ने नक्सलियों की लाइफ लाइन कही जाने वाले दोरनापाल से जगरगुंडा मार्ग पर सड़क निर्माण शुरू किया है. 30 किलोमीटर तक सड़क बनाई जा चुकी है. जगरगुंडा तक 25 किलोमीटर का काम पूरा किया जाना है.
'नक्सली बैकफुट पर होंगे, विकास होगा'
बस्तर आईजी सुंदरराज पी ने कहा कि सड़कों का जाल बिछने से ग्रामीणों को सहूलियत होगी. लोगों तक प्रशासन और प्रशासन तक लोगों की पहुंच होगी. नक्सली बैकफुट पर होंगे और विकास का नया सवेरा होगा. बस्तर आईजी ने बताया कि पूरे संभाग में 2000 किलोमीटर सड़कों का जाल बिछाया जाना है. इसमें 1500 किलोमीटर का काम पूरा कर लिया गया है. कुछ ऐसे इलाकों में भी रोड बनाई जा चुकी है, जहां नक्सलियों की मौजूदगी ज्यादा थी. 40 से ज्यादा जवानों ने शहादत हुई थी.
'त्रिवेणी योजना के तहत काम'
आईजी ने बताया कि बस्तर पुलिस त्रिवेणी योजना के तहत काम कर रही है. विकास, विश्वास और सुरक्षा इसे ही लक्ष्य मान नक्सल प्रभावित इलाकों में विकास कार्य हो रहा है. आईजी बताते हैं कि साल 2020 में लगभग 12 से 15 सड़कें ऐसी थीं, जहां नक्सिलयों ने पूरी तरह बारूदी सुरंग लगा रखी थी. बस्तर में तैनात अर्धसैनिक बलों और जिला पुलिस बल के संयुक्त रूप से ऑपरेशन चलाने के बाद इन सड़कों से सावधानीपूर्वक आईडी निकालने के साथ ही पूरी सुरक्षा के बीच सड़कों के कार्य को पूरा किया गया.
आईजी ने बताया कि इस साल भी राज्य सरकार का पूरा ध्यान कनेक्टिविटी पर है. इसके लिए प्रारूप भी तैयार कर लिया गया है. इस साल ऐसे सड़कों का निर्माण कार्य किया जाना है जिससे काफी हद तक बस्तर के ग्रामीण सीधे मुख्यालय से जुड़ सकेंगे.
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इंद्रावती नदी पर बन रहे हैं तीन पुल
सुंदरराज पी ने बताया कि साल 2020 में लगभग 400 किलोमीटर सड़क निर्माण का काम पूरा हो चुका है. पल्ली-बारसूर सड़क, जिसका निर्माण पिछले 30 सालों से नहीं हो पाया था, उसे शुरू किया गया है. इसी तरह कई साल से बंद पड़े अरणपुर-जगरगुंडा मार्ग पर नवंबर 2020 में कमारगुड़ा कैंप स्थापित किया गया. यहं भी सड़क निर्माण का काम चल रहा है. यहां सड़क के बनने से क्षेत्र के ग्रामीणों को अपने जिला और विकासखंड मुख्यालय तक आवा-गमन में सुविधा हो जाएगी. इसके अलावा इंद्रावती नदी पर तीन महत्वपूर्ण पुलों का निर्माण जारी है.
2021 में सड़कें और पुल बनेंगे
2021 में लगभग 500 किलोमीटर के सड़कों का जाल बिछाया जाएगा. संभाग के सातों जिलों में निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया है. आईजी ने बताया कि इस वर्ष बस्तर के कोर इलाकों में सड़क बनाने की तैयारी पुलिस कर रही है. इन सड़कों के साथ-साथ आधा दर्जन से अधिक बड़े पुल का निर्माण भी किया जाएगा.
सीआरपीएफ का बड़ा योगदान
दूरस्थ इलाकों में सड़कों का जाल बिछाने में सीआरपीएफ का बड़ा योगदान है. हर मुश्किल और खौफ का सामना करते सीआरपीएफ जवानों ने यहां विकास के लिए अपनी जान तक न्योछावर कर दी. सीआरपीएफ 80 बटालियन के कमांडेंट नरेंद्र सिंह का कहना है कि बस्तर में शांति ही उनका मुख्य लक्ष्य है. इसके लिए सरकार और राज्य पुलिस के साथ सीआरपीएफ अपना पूरा सहयोग दे रही है. आने वाले समय में ऐसे इलाकों में सुरक्षा देंगे, जिन्हें नक्सलियों का गढ़ कहा जाता है.
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उम्मीदों का नया सवेरा होगा...
गांववाले अब सुविधाओं की मांग लेकर मुखर होने लगे हैं. वे कहते हैं कि रोड बनने के बाद योजनाएं उन तक पहुंच रही हैं. बीमार पड़ने पर इलाज मिल जाता है और नक्सलियों का आना-जाना कम हुआ है. तीन दशकों पहले जिन अंदरूनी क्षेत्र के स्टेट हाईवे में राज्य परिवहन की बसें चलती थी, उन मार्गों को भी बनाने का काम बस्तर पुलिस ने शुरू कर दिया है. आने वाले वक्त में ये सड़कें खौफ के अंधेरे में उम्मीदों का नया सवेरा लेकर आएंगी.