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Effect of Strike on Farmers : सहकारी समिति और पटवारियों की हड़ताल, किसानों के सिर दोहरी मुसीबत

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Published : Jun 14, 2023, 6:08 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST

बस्तर में कुछ दिनों बाद मानसून दस्तक देने को है और मानसून के दस्तक के साथ ही किसान अपनी फसल खेतों में लगाते हैं. लेकिन इस वर्ष छत्तीसगढ़ के बस्तर में किसान बेहद ही चिंतित और परेशान है. क्योंकि सेवा सहकारी समिति और पटवारी संघ अपनी मांगों को लेकर हड़ताल कर रहे हैं. यही कारण है कि किसानों का कामकाज पूरी तरह से ठप है.Patwari strike in bastar

Loss of farmers due to Patwari strike in bastar
सहकारी समिति और पटवारियों की हड़ताल का किसानों पर असर

बस्तर के किसानों पर दोहरी मुसीबत !

बस्तर : फसल लगाने से पहले किसान क्रेडिट कार्ड बनाते हैं . जिसके बाद लेम्प्स से उन्हें फसल बीज और खाद उपलब्ध होता है. इसके साथ ही खेती किसानी करने के लिए किसानों को लोन भी मिलता है. लेकिन बस्तर के अधिकतर किसानों को इस साल, इसका लाभ नहीं मिला. यही वजह है कि उन्नत किसान प्राइवेट दुकानों से फसल बीज और खाद की खरीदी करके फसल लगा रहे हैं. लेकिन छोटे किसान बेहद ही परेशान हैं. क्योंकि प्राइवेट दुकानों में फसल बीज और खाद का मूल्य अधिक है.

नहीं बन पाए किसानों के केसीसी कार्ड : हड़ताल होने की वजह से किसानों का केसीसी कार्ड नहीं बन पाया. कार्ड नहीं बनने के कारण उन्हें लोन नहीं मिला. जिसके कारण किसान इस साल अपने खेत में बुवाई नहीं कर पाए. इससे पहले प्रतिवर्ष लोन मिलने के बाद किसान अपने खेतों में रोपा लगाया करते थे. लेकिन इस साल सोसाइटी में ना ही खाद मिल रहा है और ना ही फसल बीज. प्राइवेट दुकानों का रूख करने पर उन्हें महंगाई का सामना करना पड़ रहा है. यही कारण है कि उन्होंने अपने आधे खेतों में बुवाई तो कर दी. लेकिन आधे खेतों को ऐसे ही छोड़ दिया.

पटवारी संजय राय चौधरी ने बताया कि '' किसान और पटवारी दोनों एक दूसरे के पूरक होते हैं. मई-जून महीना किसानों का सबसे मुख्य महीना होता है. किसान इसी समय KCC कार्ड और सीमांकन का कार्य करके अपने हद की जमीन को देखते हैं. आपसी विवाद को सुलझाना पड़ता है. बंटवारे का काम भी इसी समय किसान करते हैं. लेकिन हड़ताल की वजह से किसानों का सारा काम ठप है. 15 जून के बाद स्थल पर काम पूरी तरह बंद हो जाता है. किसान आए दिन पटवारियों का दरवाजा खटखटाते हैं. लेकिन काम नहीं होने बाद किसान मायूस होकर वापस लौट जाते हैं.''

सहकारी समिति के जिला अध्यक्ष उत्तम सेठिया की माने तो अभी खरीफ का सीजन है. इस समय किसान खेती किसानी करने के लिए खाद-बीज, नगद ऋण वितरण के लिये आते हैं. लेकिन हड़ताल के कारण सभी सोसाइटी में ताला लगा हुआ है. किसान उम्मीद लेकर सोसाइटी तक पहुंचते हैं. हड़ताल की वजह से 85 हजार किसान परिवार प्रभावित हैं. बस्तर में 90 प्रतिशत से अधिक किसान सहकारी समिति से लोन लेते हैं.

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हर हाल में किसानों का ही नुकसान : कुल मिलाकर पटवारियों की मांग पूरी हो या ना हो इससे बहुत ज्यादा फर्क किसानों को तो नहीं पड़ेगा.लेकिन किसानों के लिए ये हड़ताल किसी आफत से कम नहीं है.क्योंकि बारिश से पहले ही उन्हें अपने खेतों का सारा काम पूरा करना है.ताकि अच्छी फसल ले सके.कुछ किसानों ने कर्ज लेकर अपना काम तो चला लिया है.लेकिन यदि फसल खराब हुई तो किसानों के सिर दोहरी मुसीबत टूटेगी. इसका जिम्मेदार कौन होगा.ना तो इसका जवाब पटवारी के पास है और ना ही सरकार के पास.

Last Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST
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