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आपकी लोकसभा: बड़े कठोर फैसले देती है बस्तर सीट, देखिए सफर

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Published : Mar 25, 2019, 3:55 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 7:56 AM IST

पांच बार निर्दलीय, एक बार जनता पार्टी, 4 बार कांग्रेस और 6 बार बीजेपी सांसद देने वाली बस्तर लोकसभा में बीते 20 वर्षों से कमल खिल रहा है. 65 प्रतिशत आदिवासी आबादी वाली बस्तर लोकसभा सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है. जहां 20 फीसदी सामान्य और 15 फीसदी अन्य पिछड़ा वर्ग के लोग रहते हैं.

lok sabha elections

बस्तर: बस्तर लोकसभा देश के पहले आम चुनाव से सुर्खियों में रही है. जब देश की जनता नेहरू और इंदिरा पर भरोसा जता रही थी, तब यहां के आदिवासी दिल्ली में अपनी आवाज बुलंद करने निर्दलीय को भेजा करते थे. पांच बार निर्दलीय, एक बार जनता पार्टी, 4 बार कांग्रेस और 6 बार बीजेपी सांसद देने वाली बस्तर लोकसभा में बीते 20 वर्षों से कमल खिल रहा है. 65 प्रतिशत आदिवासी आबादी वाली बस्तर लोकसभा सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है. जहां 20 फीसदी सामान्य और 15 फीसदी अन्य पिछड़ा वर्ग के लोग रहते हैं.

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8 विधानसभा सीटों में 7 पर कांग्रेस का कब्जा
बस्तर लोकसभा के अंदर 8 विधानसभा सीटें जगदलपुर, बस्तर, चित्रकोट, कोंडागांव, नारायणपुर, सुकमा, बीजापुर और दंतेवाड़ा आती हैं. 6 जिले, 1 नगर निगम, 7 नगर पालिका, 6 जिला पंचायत और 25 ब्लॉक तक फैली बस्तर लोकसभा क्षेत्र को लेकर कहते हैं कि, यहां के शहरी क्षेत्र में जितना विकास हुआ है, ग्रामीण क्षेत्र उतना ही पिछड़ा है. जहां शहरी क्षेत्र में विश्वविद्यालय, मेडिकल कॉलेज, इंजीनियरिंग कॉलेज, कृषि कॉलेज, महिला पॉलिटेक्निक जैसे शिक्षण संस्थान और बेहतरीन सड़कें हैं, वहीं बस्तर के ग्रामीण इलाके आज भी मूलभूत समस्याओं से जूझ रहे हैं. शहरी क्षेत्र जहां व्यवसाय का प्रमुख केंद्र बना है, वहीं ग्रामीण इलाके के लोग कृषि और वनोपज पर जीवन काट रहे हैं.

पहले आम चुनाव में निर्दलीय के खाते में गई थी बस्तर लोकसभा सीट

बस्तर लोकसभा सीट का इतिहास बड़ा दिलचस्प रहा है. आजादी के बाद अविभाजित मध्यप्रदेश और उसके बाद छत्तीसगढ राज्य की इकलौती सीट रही है, जहां से लगातार तीन बार निर्दलीय प्रत्याशी संसद तक पहुंचा है. देश के पहले आम चुनाव 1952 में मुचाकी कोसा को यहां की जनता ने अपना सांसद चुना. इसके बाद 1962 से 1972 तक बस्तर की जनता ने निर्दलीय पर अपना भरोसा जताया. बस्तर की जनता ने मुचाकी कोसा, सुरती किस्टिया, लखमू भवानी, झाडूराम सुंदर, लंबोदर बलियार, डीपी शाह, लक्ष्मण कर्मा और महेन्द्र कर्मा को सांसद बनाया. 1999 से इस सीट पर बीजेपी का दबदबा है.

बस्तर लोकसभा में कुल 13 लाख 27 हजार 127 मतदाता

बस्तर लोकसभा क्षेत्र में कुल 13 लाख 27 हजार 127 मतदाता हैं. जिसमें 7 लाख 12 हजार 261 महिला मतदाताओं की संख्या है, वहीं 6 लाख 59 हजार 824 पुरुष मतदाताओं की संख्या है. इसके अलावा क्षेत्र में 42 थर्ड जेंडर मतदाता भी हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए बस्तर में कुल 1878 मतदान केन्द्र बनाए गये हैं. कोंडागांव में 229, नारायणपुर में 257, बस्तर में 197, जगदलपुर 233, चित्रकोट में 229, दंतेवाड़ा में 273, बीजापुर में 245 और सुकमा में 215 मतदान केन्द्र बनाए गये हैं.

4 लोकसभा चुनाव से भाजपा का दबदबा

बस्तर लोकसभा सीट पर पिछले 4 चुनाव से भाजपा का दबदबा रहा है. 1999 के आम चुनाव में भाजपा प्रत्याशी बलीराम कश्यप ने कांग्रेस के मानकुराम सोढी को हरा यहां बीजेपी का कमल खिलाया था. इसके बाद 2004 लोकसभा चुनाव में भाजपा के बलीराम कश्यप ने कांग्रेस के कद्दावर नेता और बस्तर टाइगर कहे जाने वाले महेन्द्र कर्मा को हरा बीजेपी का झंडा बुलंद किया. 2009 में एक बार फिर भाजपा के बलीराम कश्यप ने मानकुराम सोढी के बेटे को हार का मुंह दिखाया, लेकिन 2011 में सांसद रहते बलीराम कश्यप की तबीयत बिगड़ने से मौत हो गई. जिसके बाद उपचुनाव में बीजेपी ने उनके बेटे दिनेश कश्यप पर अपना किस्मत आजमाई. वहीं कांग्रेस ने कोंटा विधायक कवासी लखमा को मैदान में उतारा, लेकिन दिनेश कश्यप ने कवासी लखमा को 88 हजार वोटों से हरा बड़ी जीत दर्ज की. 2014 में एक बार फिर बीजेपी ने दिनेश कश्यप को चुनावी मैदान में उतारा और 1 लाख वोटों के अंतर से जीत दर्ज की.

बस्तर लोकसभा में लोगों की समस्याएं

नक्सल समस्या
बस्तर लोकसभा क्षेत्र की सबसे बड़ी समस्या नक्सलवाद है. बीते 30 वर्षों में नक्सलियों ने यहां से तेजी से पैर पसारे हैं. नक्सलियों से पीड़ित बस्तर के ग्रामीण क्षेत्र के लोग उद्योग और मूलभूत सुविधाओं से वंचित होने के कारण पलायन करने को मजबूर हो रहे हैं. बेरोजगारी की समस्या क्षेत्र के शहरी इलाकों में भी है. एक अनुमान के मुताबिक 60 फीसदी युवा बेरोजगारी की समस्या से जूझ रहे हैं. इसके अलावा शहर के कई इलाकों में आज तक सड़क, पानी और बिजली नहीं पहुंची है.

स्टील प्लांट का निजीकरण
नगरनार में निर्माणाधीन एनएमडीसी स्टील प्लांट के निजीकरण और दंतेवाड़ा जिले के बैलाडिया डिपॉजिट-13 के निजीकरण को लेकर बीजेपी और कांग्रेस के बीच खींचतान चल रही है. जिसके कारण प्लांट में स्थानीय लोगों को नौकरी नहीं मिल रही है. जिससे यहां के लोगों को रोजगार के लिए पलायन करना पड़ रहा है.

जनता की मांग और चुनावी मुद्दे

पोलावरम बांध और जोरा नाला बांध का विरोध
बस्तर लोकसभा क्षेत्र के भीतर पोलावरम बांध और जोरा नाला बांध दोनों अहम मुद्दे हैं. सुकमा जिले के कोंटा और तेंलगाना बॉर्डर पर बन रहे पोलवारम बांध का कांग्रेस लगातार विरोध करते आई है. कांग्रेस का कहना है कि इस बांध के बनने से छत्तीसगढ़ की दोरला जनजाति पूरी तरह खत्म हो जाएगी. सरकार ने इनके विस्थापित के लिए बिना कोई प्लॉन बनाये और बांध का निर्माण शुरू करवा दिया है. कांग्रेस के विरोध के बाद अब बांध निर्माण का काम अधर में लटका है. जो इस बार का बस्तर का चुनावी मुद्दा बना है.

आवागमन के संसाधनों की कमी
बस्तर में आवागमन के संसाधनों की कमी भी प्रमुख समस्याओं में से एक है. हालांकि पिछले 10 सालों में बस्तर के सांसद दिनेश कश्यप की कोशिशों से रेल सुविधाओं में विस्तार तो हुआ है, लेकिन बस्तर को रेल मंडल बनाये जाने की मांग लगातार उठ रही है. इसके अलावा जगदलपुर से राजधानी रायपुर रावघाट रेल लाइन का काम भी धीमी गति से चलने की वजह से इस बार का यह चुनावी मुद्दा भी बना हुआ है.

                     बस्तर लोकसभा प्रोफाईल                                                                          

Note - बस्तर लोकसभा क्षेत्र केे फाईल शॉट अटैच करके भेजी गई है।  

बस्तर लोकसभा सीट संसदीय क्रमांक -10 मे 8 विधानसभा आते है, व 6 जिले।  

1.जगदलपुर 2.बस्तर 3.चित्रकोट 4.कोण्डागांव 5.नाराय़णपुर 6. सुकमा 7.बीजापुर 8.दंतेवाडा

बस्तर लोकसभा सीट की जानकारी -

अनुसुचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित बस्तर संसदीय क्षेत्र का चुनावी इतिहास कई मायने मे बडा दिलचस्प रहा है। आजादी के बाद अविभाजित मध्यप्रदेश और फिर छत्तीसगढ राज्य की यह सीट इकलौती सीट रही है जिसने एक दो बार नही बल्कि लगातार तीन बार निर्दलीय सांसद दिया है। पहले 1952 मे सांसद बने मुचाकी कोसा और बाद मे 1962 से लेकर 1972 तक तीनो चुनाव मे बस्तर की जनता ने निर्दलिय को अपना सांसद चुना । इन चारो निर्दलीय सांसदो के चुनाव मे बस्तर रियासत के सबसे लोकप्रिय महाराजा रहे प्रवीरचंद भंजदेव की मुख्य भूमिका रही थी, प्रवीर चंद भंजदेव जब तक थे बस्तर संसदीय सीट से जिसे चाहा उसे सांसद बनाया औऱ जब उनकी हत्या हुई उनके नाम की लहर से नेता सांसद बन गये। बस्तर संसदीय सीट आदिवासी वर्ग के लिए सुरक्षित थी इसलिए प्रवीरचंद भंजदेव खुद चुनाव नही लड सकते थे इसलिए उन्होने निर्दलीय प्रत्याशी मुचाकी कोसा को अपना केंडीडेट घोषित किया और वही जीते थे इसके बाद प्रवीरचंद भंजदेव कांग्रेस मे शामिल हो गये । औऱ इसके बाद लगातार  कांग्रेस प्रत्याशी सांसद बने । लेकिन 1999 से लगातार अब तक इस सीट पर भाजपा का दबदबा रहा।

सामान्य जानकारी -

इस लोकसभा सीट का मुख्यालय जगदलपुर है, बस्तर लोकसभा क्षेत्र के अंर्तगत 6 जिले, 1 नगर निगम व 7 नगर पालिका और 6 जिला पंचायत आते है, वही 25 ब्लॉक  इस संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आते है। बस्तर लोकसभा क्षेत्र मे मुलभूत सुविधाओ को लेकर विकास हुआ है। शहरी क्षेत्रो मे विकास हुआ है लेकिन ग्रामीण क्षेत्र मे आज भी ग्रामीण मुलभूत समस्या से जुझ रहे है। इस लोकसभा क्षेत्र के पूर्व मे उडीसा राज्य , पश्चिम और उत्तर मे महाराष्ट्र बोर्डर व दक्षिण मे तेंलगाना राज्य से लगा हुआ है। यंहा ग्रामीण क्षेत्रो की मुख्य आजिविका कृषि व वनोपज है, वही जगदलपुर शहर मुख्यालय व्यवसाय का प्रमुख केन्द्र है। जगदलपुर शहर मे ही विश्वविघालय, मेडीकल कॉलेज, इंजीनियरिंग कॉलेज, कृषि महाविघालय और 8 विधानसभा मे महिला पॉलटेकनिक जैसे शिक्षण संस्थाने है। सबसे विकसित क्षेत्र होने के बावजुद भी अंदरूनी क्षेत्रो के सडको का बूरा हाल है।

लोकसभा क्षेत्र मे कुल मतदाता -

बस्तर संसदीय क्षेत्र मे कुल मतदाता- 13 लाख 27 हजार 127 मतदाता

महिला- 7 लाख 12 हजार 261

पुरूष- 6 लाख 59 हजार 824

थर्ड जेंडर- 42

नये मतदाता- 14681

लोकसभा क्षेत्र मे बनाये गये कुल मतदान केन्द्र-

लोकसभा चुनाव के लिए संसदीय क्षेत्र मे 1630 जगहो पर 1878 मतदान केन्द्र बनाये गये है। जिनमे कोण्डागांव मे 229, नाराय़णपुर मे 257, बस्तर मे 197 , जगदलपुर- 233 ,चित्रकोट मे- 229, दंतेवाडा मे 273 , बीजापुर मे 245 और सुकमा मे 215 मतदान केन्द्र बनाये गये है। 

 

पिछले चार लोकसभा चुनान मे हार जीत की जानकारी -

बस्तर लोकसभा- बस्तर लोकसभा सीट मे पिछले 4 चुनाव से भाजपा का दबदबा रहा है। और 20 सालो से इस सीट भाजपा के सांसद जीतते आ रहे है। सन 1999 मे भाजपा के प्रत्याशी व माटी पूत्र बलिराम कश्यप ने कांग्रेस के कद्दावर नेता मानकुराम सोढी को हराया था, उसके बाद 2004 लोकसभा चुनाव मे भाजपा के बलिराम कश्यप ने कांग्रेस के नेता व बस्तर टाईगर कहे जाने वाले महेन्द्र कर्मा को 54 हजार मतो के अंतर से हराया। और जीत हासिल की थी, जिसके बाद 2009 मे हुए लोकसभा चुनाव मे एक बार फिर भाजपा के बलिराम कश्यप ने मानकुराम सोढी के पुत्र शंकर सोढी को 1 लाख मतो के अंतर से बूरी तरह हराया । लेकिन 2011 मे सांसद रहते बलिराम कश्यप की तबियत बिगडने से उनकी मौत हो गयी, इस तरह बलिराम कश्यप लगातार तीन बार बस्तर लोकसभा के सांसद रहे । और 2011 मे लोकसभा उपचुनाव मे उनके ज्येष्ठ पुत्र दिनेश कश्यप को भाजपा ने टिकट दिया और कांग्रेस से कोंटा विधायक कवासी लखमा उनके प्रतिव्दंदी बने , और दिनेश कश्यप ने कवासी लखमा को 88 हजार मतों के अंतर से हराया, और बस्तर के सांसद बने, जिसके बाद 2014 मे हुए लोकसभा चुनाव मे भाजपा ने एक बार फिर दिनेश कश्यप को चुनावी मैदान मे उतारा और कांग्रेस ने स्व. महेन्द्र कर्मा के पुत्र दीपक कर्मा को टिकट दिया। और इस चुनाव मे भी दिनेश कश्यप ने कांग्रेस के दीपक कर्मा को 1 लाख मतो के अंतर से बूरी तरह पराजित किया। 

राजनीति समीकरण

जगदलपुर- आजादी के बाद से अब तक 16 वीं बार हुए बस्तर लोकसभा चुनाव मे 5 बार निर्दलीय ,6 बार भाजपा व 1 बार जनता पार्टी व 4 बार कांग्रेस ने जीत हासिल की ।  सन 1999 लोकसभा चुनाव के बाद से लगातार भाजपा इस सीट से विजय होती आई है। 1999 से 2011 तक भाजपा के स्व. बलिराम कश्यप तीन बार सांसद बने जिसके बाद उनके देहांत के बाद 2011 मे हुए उप लोकसभा चुनाव उनके पुत्र दिनेश कश्यप सांसद बने और 2014 लोकसभा चुनाव मे भी दिनेश कश्यप ने दोबारा चुनाव जीता और सांसद बने इस प्रकार बीते 20 सालो से इस अनुसूचित जनजाति सीट पर भाजपा के प्रत्याशियों का दबदबा रहा है। 

जातीय समीकरण-

बस्तर लोकसभा संसदीय क्षेत्र 65 प्रतिशत आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है, इस वजह से यह अनुसूचित जनजाति सीट है। 65 प्रतिशत मे सबसे ज्यादा जनसंख्या अनुसूचित जाति (SC) की है, फिर अनुसूचित जनजाति (ST) और इसके बाद 20 प्रतिशत सामान्य व 15 प्रतिशत अन्य पिछडा वर्ग की जनसंख्या है। इनमे सबसे ज्यादा गोंड, हल्बा, भतरा , कुम्हार , ध्रुवा जनजाति व सामान्य मे मारवाडी, क्षत्रिय, ब्राम्हण ,कोष्टा, व कुर्मी एंव साउथ इंडियन के लोग शामिल है।  

स्थानीय मुद्दे-

नक्सलवाद - बस्तर संसदीय क्षेत्र मे सबसे अहम मुद्दा नक्सलवाद का है। पिछले 30 सालो से नक्सलवाद ने बस्तर क्षेत्र मे तेजी से पैर पसारे है। और विकास के लिए बाधा बना हुआ है। केन्द्र मे युपीए सरकार और 2014 मे भाजपा की सरकार आने के बावजुद नक्सलवाद को खत्म कर पाने मे दोनो सरकारें नाकाम ही साबित हुई । हांलाकि बीते कुछ सालो मे नक्सली बैकफूट पर तो नजर आये लेकिन आज भी अपनी मौजुदगी दर्ज कराकर विकास के लिए बाधा बने हुए है । और नक्सलवाद की समस्या से निजात नही मिल सका है।  

पलायन- बस्तर मे पलायन भी अहम मुद्दा है। बस्तर के ग्रामीण अंचलो मे लगातार आदिवासी ग्रामीण दुसरे राज्यो मे काम की तलाश मे पलायन कर रहे है। ग्रामीणो को सही दामों पर रोजगार उपलब्ध कराने मे सरकार नाकामयाब होने की वजह से बस्तर के ग्रामीण अंचलो से लगातार पलायन का दौर जारी है। औऱ पलायन की वजह से कई अप्रिय घटना का शिकार हो रहे है। इस वजह से बीते कई सालो से पलायन बस्तर की मुख्य समस्या है। जिस पर सरकार लगाम लगाने मे नाकामयाब साबित हो रही है।

बेरोजगारी - शहरी क्षेत्र के साथ साथ ग्रामीण क्षेत्रो मे लोगो की सबसे बडी समस्या बेरोजगारी है, 60% युवा बेरोजगारी की समस्या से जुझ रहे राजनैतिक पार्टीया अपने चुनावी मुद्दो मे सबसे अहम बेरोजगारी को दूर करने की बात कहती है, लेकिन उघोग , कॉल सेंटर व किसी तरह की प्राईवेट कंपनी की स्थापना नही होने की वजह से बेरोजगारी यंहा की सबसे बडी समस्या है,

 

मुलभूत सुविधाओ की कमी - संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले ग्रामीण क्षेत्रो मे सडको का न बनना बिजली का अभाव, शुध्द पेयजल की आवश्यकता , लोकसभा क्षेत्र के जिला अस्पतालों मे डॉक्टरो की कमी, संसाधनो की कमी, योजनाओं का सही तरीके क्रियान्वयन नही होने से केन्द्र और राज्य सरकार की योजना से वंचित ग्रामीण

 

स्टील प्लांट का निजीकरण-  नगरनार मे निर्माणाधीन एनएमडीसी स्टील प्लांट के निजीकरण व दंतेवाडा जिले के बैलाडिया डीपॉजिट नंबर 13 के निजीकरण को लेकर भाजपा और कांग्रेस के बीच चल रही खींचतान और प्लांट मे स्थानीय लोगो को नौकरी न मिलना मुख्य मुद्दो मे से एक है।  

पोलावरम बांध और जोरा नाला बने रहे बांध का विरोध- बस्तर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत पोलावरम बांध और जोरा नाला बांध  ये दोनो अहम मुद्दे है। सुकमा जिले के कोण्टा और तेंलगाना बार्डर मे बन रहे पोलवारम बांध का कांग्रेस लगातार विरोध करते आयी है। दरअसल छत्तीसगढ मे तत्कालीन भाजपा सरकार ने तेलंगाना राज्य द्वारा गोदावरी नदी  मे बनाये जा रहे इस पोलवारम बांध के लिए सहमति मांगी थी जिसमे राज्य सरकार सहमति के बाद यंहा बांध का निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया । लेकिन कांग्रेस लगातार इस बांध का विरोध करती रही औऱ इसके लिए कई बार तेलंगाना और कोंटा के प्रभावित ग्रामीणो के साथ इस बांध के विरोध मे आंदोलन भी किया, कांग्रेस का कहना था कि इस बांध के बनने से छत्तीसगढ की दोरला जनताति पूरी तरह से समाप्त हो जायेंगी। सरकार ने इनके विस्थापित के लिए बिना कोई प्लान बनाये स्ट्रक्चर का निर्माण शुरू करवा दिया । फिलहाल अब तक स्ट्रक्चर पूरी तरह से नही बन पाया इस वजह से यह बांध इस लोकसभा चुनाव मे अहम मुद्दा है।

इसी प्रकार उडीसा और छत्तीसगढ के बार्डर पर जोरा नाला मे इंद्रावती नदी मे बने रहे स्ट्रक्चर का कांग्रेस लगातार विरोध करते आ रही  है। कांग्रेसी इस बांध का विरोध लगातार कर रहे है, लेकिन उडीसा सरकार के लगातार दबाव के चलते केन्द्रीय जलसंसाधन विभाग ने इस पर मंजूरी देते हुए इंद्रावति नदी पर डेम बनाने उडीसा सरकार और तत्कालीन भाजपा सरकार को अनुमति दे दी । काग्रेसियो का कहना है कि इस बांध से इंद्रावति नदी का पानी उडीसा की ओर मुड जायेगा और बस्तर अंचल मे जल संकट का खतरा मडंराने लगेगा। जिसका परिणाम बस्तर वासियो को भुगतना पडेगा। हांलाकि इस नदी मे स्ट्रक्चर निर्माण कार्य को तो शुरू कर दिया है लेकिन बस्तर मे कांग्रेस की सीट और केन्द्र मे भी कांग्रेस की सरकार बनती है तो इस स्ट्रक्चर के निर्माण कार्य को कांग्रेस रोक पाती है कि नही यह देखने वाली बात होगी। फिलहाल बस्तर लोकसभा के लिए यह मुद्दा भी अहम मुद्दो मे से एक है।    

आवागमन के संसाधनो की कमी - बस्तर मे आवागमन के संसाधनो की कमी भी प्रमुख समस्या मे से एक है। हांलाकि पिछले 10 सालो मे बस्तर के सांसद दिनेश कश्यप के प्रयासो से रेल सुविधाओं मे विस्तार होते हुए बस्तर मे चार पेसेंजर ट्रेनो की सौगात बस्तरवासियो को मिली,लेकिन रेल्वे स्टेशन के कायाकल्प और बस्तर को रेल मंडल बनाये जाने की मांग लगातार उठती है। और जगदलपुर से राजधानी रायपुर रावघाट रेललाईन का कार्य धीमी गति से चलने की वजह से इस बार चुनाव मे यह मुद्दा भी छाय़ा हुआ है, इसके अलावा बस्तर को  हवाई मार्ग से जोडने के लिए शुरू की गई उडान योजना भी 1 महीने के भीतर ही धरातल पर आ गई, और इसके बाद दोबारा इसे शुरू करने दोनो ही बडी राजनैतिक पार्टीया बस्तर मे इस मुद्दे को भुनाने मे लगे हुए है। 

 

Last Updated : Jul 25, 2023, 7:56 AM IST
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