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ठंडे बस्ते में बहु प्रतिष्ठित रावघाट रेल परियोजना, रेल मार्ग से बस्तर को रायपुर तक जोड़ने की थी कवायद

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Published : Oct 23, 2021, 7:48 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST

जगदलपुर से रायपुर को जोड़ने के लिए पिछले 4 दशकों से लगातार बस्तर वासी मांग करते आ रहे हैं. लेकिन पहले रावघाट परियोजना में जगदलपुर से काम शुरू हो पाता रेलमार्ग के लिए भूमि अधिग्रहण में करोड़ों रुपए के घोटाले की वजह से इस बहु प्रतिष्ठित योजना पर पूरी तरह से लगाम लग गई.

Rawghat Rail Project
बस्तर रेलवे जोनल कमेटी

जगदलपुर: बस्तर में रेल सुविधाओं के विस्तार के लिए लंबे समय से बस्तरवासी मांग कर रहे हैं. जगदलपुर से राजधानी रायपुर को जोड़ने के लिए पिछले 4 दशकों से लगातार बस्तरवासी मांग करते आ रहे हैं. साल 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) के बस्तर प्रवास के दौरान बकायदा जगदलपुर से रायपुर तक रेल मार्ग निर्माण के लिए चार बड़ी कंपनियों के साथ रावघाट रेल परियोजना (Rawghat Rail Project) पर एमओयू हुआ था. लेकिन पहले रावघाट परियोजना में जगदलपुर से काम शुरू हो पाता रेलमार्ग के लिए भूमि अधिग्रहण में करोड़ों रुपए के घोटाले की वजह से इस बहू प्रतिष्ठित योजना में पूरी तरह से लगाम लग गया.

ठंडे बस्ते में बहु प्रतिष्ठित रावघाट रेल परियोजना

जगदलपुर को रायपुर से जोड़ने का सपना अधूरा?

अब आलम यह है कि यह रेल मार्ग बन पाएगी कि नहीं इस पर प्रश्न चिन्ह लग गया है. वही एक बार फिर से रेल मार्ग के जरिए जगदलपुर को सीधे रायपुर से जोड़ने का सपना अधूरा नजर आ रहा है. हालांकि स्थानीय जनप्रतिनिधि जल्द से जल्द रावघाट रेल परियोजना का काम शुरू करने के लिए रेल प्रशासन को पत्र लिखने की बात कह रहे हैं.

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नई रेल लाइन में बेइंतहा इजाफा

दरअसल 235 किलोमीटर लंबी यह परियोजना 1980 के दशक में मंजूरी हुई थी और निर्माण दो चरणों में पूरा होना था. प्रथम चरण में दल्ली राजहरा से रावघाट तक 95 किलोमीटर तक और दूसरे चरण में जगदलपुर से रावघाट तक 140 किलोमीटर रेल लाइन बिछनी थी. जिस दौरान परियोजना की मंजूरी मिली थी. उस समय इसकी कुल लागत लगभग 1,200 करोड़ आंकी गई थी. लेकिन परियोजना में हुए देरी के कारण अब इसकी लागत 3 गुना बढ़ गई है और नए आंकलन के मुताबिक दल्ली राजहरा से रावघाट तक 95 किलोमीटर नई रेल लाइन (New Rail Line) और स्टेशन निर्माण की लागत 1,140 करोड़ और जगदलपुर से रावघाट तक 140 किलोमीटर के निर्माण की कुल लागत 2,512 करोड़ हो गई है और दोनों मिलाकर लागत 3,653 करोड़ की बताई जा रही है.

पीएम मोदी का दंतेवाड़ा प्रवास

9 मई 2015 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने अपने दंतेवाड़ा प्रवास के दौरान इस रेल मार्ग में लौह अयस्क और माइनिंग के परिवहन को भी देखते हुए देश की चार बड़ी कंपनियां जिसमें एनएमडीसी, सेल, इस्कॉन और छत्तीसगढ़ मिनिरल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (Chhattisgarh Mineral Development Corporation) से इस रेल मार्ग के निर्माण के लिए एमओयू किया था. एमओयू के बाद इस रेल मार्ग का कार्य शुरू भी किया गया.

राजहरा से रावघाट तक रेलवे ट्रैक

वहीं राजहरा से रावघाट तक रेलवे ट्रैक (Railway track from Rajhara to Rawghat) बिछाने का काम शुरू कर दिया गया. लेकिन जगदलपुर से रावघाट तक रेल मार्ग का काम (Rail route work from Jagdalpur to Rawghat) शुरू होने से पहले ही विवादों में आ गया.

बस्तर कलेक्टर अयाज तम्बोली

दरअसल जिला प्रशासन के अधिकारी, रेलवे इस्कॉन के 2 बड़े अधिकारी समेत भू माफियाओं ने रेलवे ट्रैक के लिए भूमि अधिग्रहण के दौरान प्रभावितों को दिए जाने वाले मुआवजा राशि में 100 करोड़ रुपए का घोटाला किया और इस घोटाले की जांच के बाद तत्कालीन बस्तर कलेक्टर अयाज तम्बोली (Bastar Collector Ayaz Tamboli) ने इस मामले में संलिप्त 11 लोगों के खिलाफ आपराधिक षड़यंत्र और धोखाधड़ी के तहत एफआईआर दर्ज कराने के आदेश दिए थे. जिसमें से 11 लोगों मे से एक पूर्व आईएएस अधिकारी, तहसीलदार, डिप्टी कलेक्टर, रेंजर, सहायक रजिस्ट्रार जैसे बड़े अधिकारी और रेलवे इरकॉन के 2 बड़े अधिकारी और भूमाफिया भी शामिल है. फिलहाल इस मामले में अभी भी जांच जारी है और यह मामला हाई कोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है.

Rawghat Rail Project
बस्तर रेलवे जोनल कमेटी

100 करोड़ का घोटाला!

इधर इस '100 करोड़ के घोटाले' में रेलवे इरकॉन के दो अधिकारी भी संलिप्तता होने की वजह से रेल प्रशासन ने इस रेल मार्ग का निर्माण कार्य रोक दिया है. इस मामले के जानकारों का कहना है कि माननीय सर्वोच्च और उच्च न्यायालय से ऐसे कोई भी आदेश प्राप्त नहीं हैं. जिससे इसके निर्माण कार्य पर रोक लग सके. लेकिन रेल प्रशासन, स्थानीय जनप्रतिनिधि और जिला प्रशासन और राज्य सरकार की उदासीनता के चलते रावघाट रेल परियोजना का कार्य पिछले कई सालों से पूरी तरह से ठप है. अब जन समूह का दबाव नहीं होने की वजह से भी अब रावघाट रेल परियोजना शुरू होने में कई सालों का समय लग सकता है.

जनप्रतिनिधियों की उदासीनता और अफसरों की लाल फीताशाही

बस्तर संभाग की आधे से भी अधिक आबादी रेल सुविधाओं से वंचित है. यहां बड़ी संख्या में ऐसे आदिवासी भी हैं. जिन्होंने अपने जीवन काल में रेल देखे तक नहीं है. इस रावघाट रेल परियोजना (Rawghat Rail Project) से उम्मीद जगी थी कि बस्तर के नारायणपुर के मांड़ इलाके के लोग भी इस रेल सुविधा का लाभ उठा सकेंगे. लेकिन जनप्रतिनिधियों की उदासीनता और अफसरों की लाल फीताशाही के चलते यह योजना पूरी तरह से ठंडे बस्ते में चले गई.

बस्तर रेलवे जोनल कमेटी

हालांकि इस मामले में जगदलपुर विधायक (Jagdalpur MLA) और बस्तर रेलवे जोनल कमेटी (Bastar Railway Zonal Committee) के मेंबर और राज्य सरकार के प्रतिनिधि रेखचंद जैन ने कहा कि भू अधिग्रहण में मुआवजे की राशि में हुए करोड़ों रुपए के घोटाले के बाद रावघाट रेल परियोजना के निर्माण कार्य में रोक लगा दी गई. लेकिन उनका कहना है कि वह जल्द ही रेल प्रशासन से रावघाट रेल परियोजना को शुरू किए जाने की मांग लिखित में करेंगे.

काम शुरू करने के लिए शुरू होगी चर्चा

उनका कहना है कि हालांकि इस मामले में जांच जारी है और सर्वोच्च न्यायालय में यह मामला चल रहा है. लेकिन जगदलपुर को राजधानी रायपुर से सीधे जोड़ने के लिए जल्द से जल्द यह निर्माण कार्य शुरू हो, इसके लिए राज्य सरकार के साथ ही रेलवे जोनल कमेटी के मेंबर होने के नाते रेलवे के बड़े अधिकारी से भी चर्चा करेंगे.

Last Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST
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