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बुलंद हौसलों से जगदलपुर की राखी दे रही दिव्यांगता को मात, सरकार से मदद की आस

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Published : Sep 6, 2021, 6:03 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST

बस्तर संभाग के जगदलपुर ब्लॉक के नानगुर पोस्ट के बेंगलुरु गांव में रहने वाली राखी 7वीं कक्षा की पढ़ाई कर रही है. राखी बचपन से ही दिव्यांग है. हालांकि राखी शारीरिक रूप से जरूर कमजोर है लेकिन मानसिक रूप से वह बेहद होनहार और सशक्त है.

handicapped rakhi
दिव्यांग राखी

जगदलपुर: कहते हैं जहां चाह होती है वहां राह होती है. आज यह कहावत बस्तर के नक्सल प्रभावित क्षेत्र में रहने वाली 13 साल की राखी के ऊपर चरितार्थ हो रही है. दरअसल राखी उन बच्चों के बीच एक मिसाल है जो शारीरिक रूप से दिव्यांग है लेकिन मानसिक रूप से बेहद सशक्त है. राखी ने अपनी दिव्यांगता को कभी भी बाधा नहीं बनने दिया. राखी पूरे गांव में पढ़ाई में अव्वल और एक होनहार छात्र है.

जगदलपुर की राखी दे रही दिव्यांगता को मात

नहीं मिला कोई लाभ

दरअसल राखी बचपन से दिव्यांग होने की वजह से अपने पैरों से ही सभी काम करती है. चाहे वह स्कूल की पढ़ाई हो, पेंटिंग हो या घर के काम. हाल ही में राखी को एक समाजसेवी की तरफ से टैब दिया गया है और इसके माध्यम से राखी अब ऑनलाइन क्लास (online class) भी पढ़ रही है. वहीं राखी को इस बात का मलाल है कि उसे शासन की उदासीनता के कारण अभी तक ट्राई साइकिल नहीं मिली है. इसके साथ राखी के परिवार को शासन की ओर से किसी भी योजना का लाभ नहीं मिला है. राखी का परिवार एक जर्जर घर में रहकर गुजर बसर कर रहा है.

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दिव्यांग राखी

होनहार है राखी

जगदलपुर ब्लॉक के नानगुर पोस्ट के बेंगलुरु गांव में रहने वाली राखी सातवीं कक्षा में पढ़ रही है. राखी बचपन से ही दिव्यांग है. हालांकि राखी शारीरिक रूप से जरूर कमजोर है लेकिन मानसिक रूप से वह बेहद होनहार और सशक्त है. यही वजह है कि राखी बचपन से ही अपने दोनों पैरों से न सिर्फ लिखती है बल्कि अपनी छोटी बहन की बाल बनाने के साथ ही घर के तमान काम भी करती है.

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दिव्यांग राखी

शारारिक कमजोरी को किया दरकिनार

राखी के परिजनों ने पैदाइश के बाद से ही लगातार उसका इलाज भी करवाया. बावजूद इसके राखी के शारारिक कमजोरी दूर नहीं हो सकी. इसके बाद भी परिवार के लोग हिम्मत नहीं हार रहे हैं. क्योंकि इसके पीछे राखी का हौसला है. राखी ने परिवार का हौसला बढ़ाते हुए पूरे गांव में पढ़ाई के साथ-साथ होनहार बच्ची के रूप में अपनी पहचान बनाई.

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दिव्यांग राखी

लिखना अच्छा लगता है

राखी बताती है कि वह बड़ी होकर डिप्टी कलेक्टर (deputy collector) बनना चाहती है. इस वजह से वह बचपन से ही पढ़ाई में काफी रुचि लेती है. राखी ने बताया कि उसे लिखना बहुत अच्छा लगता है, लेकिन कोरोना की वजह से स्कूल बंद हो गए. घर में भी उन दिनों आर्थिक तंगी थी, जिसकी वजह से परिवार के लोग, राखी के लिये एंड्रॉइड फोन नहीं ले पाए. जिसकी वजह से राखी डेढ़ सालों से ऑनलाइन क्लास अटेंड नहीं कर पाई.

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दिव्यांग राखी

डिप्टी कलेक्टर बनने का चाहती है राखी

लेकिन सौरभ कुमार नाम के एक समाजसेवी ने राखी के लिए कुछ करने की इच्छा जाहिर की. उसने अपने एक अन्य सहयोगी के साथ मिलकर राखी को टेबलेट गिफ्ट किया. अब राखी टेबलेट में ही ऑनलाइन क्लास अटेंड करने के साथ, अपने पैरों से ही खूबसूरत पेंटिंग बनाती है. वहीं राखी ने इच्छा जाहिर की है कि वह आगे खूब पढ़ना चाहती है. राखी का सपना है कि वह आगे चलकर डिप्टी कलेक्टर बनकर परिजनों और गांव का विकास करना चाहती है. राखी उम्मीद करती है कि उनकी मदद के लिए सरकार पढ़ाई में पूरा सहयोग करें.

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दिव्यांग राखी

गैस डिलीवरी का काम करते हैं पिता

राखी की मां का कहना है कि राखी बचपन से ही पढ़ाई में अव्वल है. उनके परिवार में तीन बेटी और एक बेटा है. जिसमें राखी सबसे बड़ी बेटी है. राखी के पिता गैस डिलीवरी का काम करते हैं और उससे केवल उनके दो वक्त की रोटी रोटी का जुगाड़ हो पाता है. राखी की माता चैती नाग ने बताया कि बचपन में राखी के पैदा होने के बाद उसके इलाज के लिए काफी जद्दोजहद करनी पडी.

देसी इलाज के साथ ही बड़े-बड़े अस्पतालों में भी राखी का इलाज करवायाय लेकिन राखी शारीरिक रूप से कमजोर ही रही. उन्होंने बताया कि राखी के दोनों हाथों का विकास नहीं हो पाया है. राखी कमर के बल चलती है और उसके साथ हमेशा एक घर के सदस्य होना जरूरी होता है.

उन्होंने बताया कि शारीरिक कमजोरी को राखी ने अपनी कमजोरी नहीं बनने दिया और बचपन से ही पैरों से राखी सारे काम करने लगी. राखी ना सिर्फ अपने पैरों से लिखती है बल्कि अपनी छोटी बहनों के बाल बनाती है. साथ ही घर में झाड़ू पोछा और अन्य काम करती है.

राखी की मां चाहती है कि राखी आगे चलकर खूब पढ़े और शासन उनकी मदद करें. उनका कहना है कि हालांकि कुछ दिन पहले उनके घर पहुंचे जिला प्रशासन के अधिकारी राखी का ऐडमिशन कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यायल (Kasturba Gandhi Residential School में करवाने की बात कर रहे थे. जहां राखी रहने के साथ ही अपनी आगे की पढ़ाई कर सकेगी.

पीएम आवास का नहीं मिला लाभ

मां का कहना है कि राखी को आसपास कहीं ले जाने के लिए उनके पिता ही उसे गोद में ले जाते हैं. इसके अलावा राखी के मां ने बताया कि उनका घर जर्जर है. उन्हें अभी तक प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ नहीं मिला है. जबकि आवास के लिए वह बहुत बार आवेदन दे चुके हैं. इधर समाज कल्याण विभाग के संयुक्त संचालक ने बताया कि जगदलपुर में साल 2020 और 2021 में बैट्री ट्राई सायकल, 27 ट्राई सायकल 12 और 33 व्हीलचेयर और 200 श्रवण यंत्र की सुविधा मिली है. लेकिन राखी को इन सुविधा का लाभ नहीं मिला है.

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दिव्यांग राखी

विभाग के द्वारा राजीव गांधी शिक्षा मिशन (Rajiv Gandhi Education Mission) के तहत राखी का दाखिला कस्तूरबा आवासीय विद्यालय में कराने की बात कही है. ताकि राखी अपने आगे की शिक्षा इस आवासीय विद्यालय में रहकर कर सके. 13 साल की राखी सातवीं कक्षा में पढ़ाई कर रही है, लेकिन इसे प्रशासन की उदासीनता ही कहेंगे कि पढ़ाई में अव्वल होने के बावजूद निशक्तजनों के लिए शासन प्रशासन द्वारा ने कोई मदद नहीं की.

Last Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST
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