बाघ बचाएं या इंसान: उदंती टाइगर प्रोजेक्ट से कोदोमाली गांव के नहीं बदल रहे दिन

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Published : May 9, 2022, 10:39 PM IST

Updated : May 10, 2022, 7:28 AM IST

Kodomali village of Gariaband

no development in Kodomali village of Gariaband: गरियाबंद के कोदोमाली गांव के लोग पड़ोस के गांव में विकास होता देख खून के आंसू पीने को मजबूर हैं. शायद यहीं इनकी नियति बन गई हैं क्योंकि शायद कभी भी इस गांव में ना बिजली आ सकेगी और ना ही सड़क बन सकेगी.

गरियाबंद: अगर आपके पूरे गांव में सरकारी नियमों के चलते सड़क, बिजली ना हो और महज 200 मीटर दूरी पर मोहल्ला रोशनी से जगमगा रहा हो तो पूरे गांव वालों को कैसा लगता होगा. ऐसी ही कुछ पीड़ा सह रहे हैं गरियाबंद जिले के कोदोमाली गांव के लोग. छत्तीसगढ़ और ओडिशा बॉर्डर पर बसे इस गांव में आज भी ना ही बिजली है और ना ही सड़क. जबकि इससे लगे ओडिशा के गांव खडूआमा में सड़क और बिजली दोनों ही हैं. जिससे कोदोमाली के गांव के ग्रामीणों का दर्द और भी गहरा जाता हैं.

गरियाबंद के कोदोमाली गांव में नहीं हुआ विकास

गरियाबंद के कोदोमाली गांव की दुर्दशा: उदंती टाइगर प्रोजेक्ट का कोदोमाली गांव और ओडिशा के खडूआमा गांव के बीच की दूरी 200 मीटर ही है. कोदोमाली में 600 वोटर और करीब कुल 1000 की आबादी खडूआमा में महज 20 घर है और 100 लोग रहते हैं. बावजूद इसके गांव तक ना केवल पक्की सड़क आई है. बल्कि 100 लोगों के लिए नदी पर 4 करोड़ का पुल भी बनाया जा रहा है. गांव में बिजली लाइन है. दूसरी ओर छत्तीसगढ़ के गांव कोदोमालि में टाइगर प्रोजेक्ट के नियमों के चलते गांव तक पहुंचने के लिए ना तो सड़क बनाई गई है और ना ही गांव तक बिजली की लाइन पहुंची है.सौर ऊर्जा लगाई गई हैं लेकिन वो भी खराब ही रहती है.

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उदंती टाइगर प्रोजेक्ट में फंसा गरियाबंद का कोदोमाली गांव: आप भी सोच रहे होंगे कि छत्तीसगढ़ सरकार तो विकास के दावे करती हैं फिर कोदोमाली में विकास क्यों नहीं हो रहा हैं. तो चलिए आपको बताते हैं असल में पूरा मामला क्या है. गरियाबंद जिले का कोदोमाली गांव उदंती सीतानदी टाइगर प्रोजेक्ट के अंदर आता है. जिससे इन इलाकों में ना तो निर्माण कार्य हुआ है और ना ही बिजली की लाइन यहां तक पहुंचाई जा सकी है. सड़क नहीं होने के कारण कोई बीमार भी पड़ जाए तो एंबुलेंस भी नहीं पहुंच पाती है. टाइगर प्रोजेक्ट को लेकर नियम ऐसे है कि गड्ढा खोदने तक की मनाही होती है. कोई भी विभाग क्षेत्र में विकास कार्य नहीं कर सकता है.

टाइगर रिजर्व में विकासकार्य के लिए लेने होता है परमिशन: जो भी काम करना है सिर्फ वन विभाग ही कर सकता है. लेकिन उसके भी नियम काफी कड़े हैं. केंद्र सरकार के कई अलग-अलग मंत्रालयों से परमिशन लानी होगी जो अब तक एक या दो बड़े मामलों में ही हो पाया है. वन विभाग के पास भी फंड उपलब्ध नहीं होने का बहाना होता है और टाइगर प्रोजेक्ट एरिया के गांव अपनी बदहाली पर सालों से आंसू बहाते रहते हैं

क्षेत्र के जिला पंचायत उपाध्यक्ष संजय नेताम दौरे पर जब गांव पहुंचे तो ग्रामीणों ने उन्हें ना केवल अपनी समस्या बताई. बल्कि 200 मीटर दूर ओडिशा का छोटा मोहल्ला भी दिखाया. जो विकास में इस गांव से कई बेहतर था. संजय नेताम ने इनकी परेशानियों को लेकर उच्च अधिकारियों तथा मुख्यमंत्री तक से मिलकर बात करने का आश्वासन दिया.

Last Updated :May 10, 2022, 7:28 AM IST
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