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Nagari Dubraj: देश दुनिया में फैलेगी नगरी दुबराज धान की खुशबू, जीआई टैग से धमतरी के किसानों को मिलेगा फायदा

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Published : Mar 27, 2023, 11:00 PM IST

GI tag to Nagari Dubraj
धमतरी का दुबराज

छोटा दाना और खाने में नरम, देशी किस्म के इस दुबराज धान की सुगंध सात समंदर पार के लोग भी ले सकेंगे. जीआई टैग मिलने से केवल धमतरी के लोग ही इसका उत्पादन कर फायदा उठा सकेंगे. जीआई टैगिंग से नगरी दुबराज धान के लिए विदेशी बाजार के द्वार भी खुल गए हैं. अब देश के ही नहीं, बल्कि विदेश के लोग भी छत्तीसगढ़ के इस सुगंधित चावल का जायका चख सकेंगे.

धमतरी: इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय की ओर से पिछले साल भौगोलिक संकेतक यानी ज्योग्राफिकल इंडिकेशन (जीआई) टैग के लिए नगरी दुबराज का प्रस्ताव सरकार के पास भेजा गया था. केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की ट्वीट ने 26 मार्च को अपने ट्वीट में नगरी दुबराज को जीआई टैग मिलने की बात कही. यह सूबे की दूसरी फसल है, जिसे जीआई टैग मिला है. इससे पहले प्रदेश के जीरा फूल को भी जीआई टैग मिल चुका है.

  • मध्यप्रदेश के रीवा का आम, मुरैना की गज़क और धमतरी छत्तीसगढ़ का नगरी दुबराज (चावल की किस्म) को मिला GI Tag.

    अब इनकी भी पहचान होगी देश विदेश में। pic.twitter.com/2nCMtEqEP2

    — Narendra Singh Tomar (@nstomar) March 26, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

140 दिन में पककर तैयार हो जाता है दुबराज धान: धमतरी का दुबराज सुगंधित चावल है. छोटे दानों वालो यह चावल खाने में बहुत ही नरम होता है. पहले इसकी ऊंचाई 5 फीट से ज्यादा हुआ करती थी, जिसकी वजह से उत्पादन कम होता था और किसान इसमें दिलचस्पी नहीं लेते थे. अब इसमें सुधार करते लंबाई को कम कर दिया गया है, जिससे प्रोडक्शन बढ़ा है. आम तौर पर धान की यह किस्म करीब 140 दिन में पककर तैयार हो जाती है.

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रीवा का सुंदरजा आम और मुरैना के गजक को भी टैग: अपनी सुगंध और मिठास के लिए मशहूर रीवा (मध्य प्रदेश) के गोविंदगढ़ के सुंदरजा आम को भी जीआई टैग मिला है. यह आम शुगर मरीजों को लिए भी काफी फायदेमंद है. इसके अलावा कृषि मंत्री ने अपने ट्वीट में एमपी के मरैना में गुड़ और तिल से बनने वाले गजक को भी जीआई टैग मिलने की बात कही है.

कहीं और नहीं हो पाएगा इस नाम का उपयोग: दूसरे राज्य के लोग भी नगरी दुबराज नाम से धान बेचते हैं. जीआई टैग मिलने के बाद अब केवल धमतरी के लोग ही धान की इस किस्म को उगा पाएंगे. दुबराज के नाम पर बाजार में भ्रम नहीं रहेगा और लोगों तक सही उत्पाद पहुंच सकेगा. धमतरी के अलावा कहीं और के किसान या कोई अन्य यदि इस नाम का इस्तेमाल करते हैं तो कानूनी कार्रवाई के दायरे में आ जाएंगे.

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