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धमतरी में शिक्षा का मंदिर बन रहा जानलेवा, नींद में जिम्मेदार !

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Published : Jul 26, 2022, 5:23 PM IST

dilapidated school in dhamtari
धमतरी में जर्जर स्कूल

धमतरी में 40 साल पुराने स्कूल को पुनः निर्माण कराने की स्वीकृति मिल जाने के बावजूद जर्जर स्कूल में पढ़ने को बच्चे मजबूर (Children forced to study in dilapidated schools in Dhamtari) हैं.

धमतरी: छत्तीसगढ़ सरकार ने गरीब बच्चों को भी बेहतर शिक्षा के लिए स्वामी आत्मानंद इंग्लिश मीडियम स्कूल की शुरुआत की है. इन स्कूलों में इन्फ्रास्ट्रक्चर और वातावरण इतना बेहतरीन बनाया गया है कि ये सरकारी स्कूल किसी भी निजी स्कूलों को मात देते नजर आते हैं. लेकिन दूसरी ओर छत्तीसगढ़ में कई स्कूल ऐसे हैं, जिनके पास भवन तक नही हैं. ऐसा ही हाल धमतरी जिले का भी है. जिले के आदिवासी बहुल पंचायत कुकरेल के लोग सालभर से स्कूल भवन की आस लगाए बैठे हैं, लेकिन विभाग की लापरवाही से स्कूल का भवन नहीं बन पा रहा है, जिसके कारण आदिवासी इलाके के बच्चे शिक्षा से दूर हो रहे (Children forced to study in dilapidated school in Dhamtari) हैं.

अव्यवस्था के कारण शिक्षा व्यवस्था बदहाल: दरअसल, सरकार स्वामी आत्मानंद इंग्लिश मीडियम स्कूल के नाम पर खूब वाहवाही बटोर रही है, लेकिन सरकार अन्य सरकारी स्कूलों की सुध नहीं ले रहा. धमतरी जिला मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूर कुकरेल पंचायत के बांसपारा स्थित प्राथमिक स्कूल भवन 40 साल पुराना होने के कारण शासन के आदेश पर तोड़ दिया गया. लेकिन इसके एवज में न ही नया भवन बन पाया और न ही नये भवन की स्वीकृति मिली. भवन न होने के कारण अब यहां के बच्चे एक ही कमरे में पढ़ाई करने को मजबूर हैं. इस अव्यवस्था के कारण शिक्षा व्यवस्था बुरी तरह से प्रभावित हो रही है.

धमतरी में शिक्षा का मंदिर बन रहा जानलेवा !

किराए के मकान में संचालित हो रहा आंगनबाड़ी: बताया जा रहा है कि इस स्कूल में 60 से अधिक बच्चे पढ़ाई करते है, जिनमें 60 फीसद से अधिक बच्चे आदिवासी समाज से आते हैं, लेकिन हैरानी की बात ये है कि स्कूल भवन के लिए शासन की ओर से कोई प्रयास ही नहीं किया गया. कुछ इसी तरह का हाल आंगनबाड़ी का भी है. भवन जर्जर होने के कारण सालभर पहले आंगनबाड़ी भवन को भी तोड़ा गया, लेकिन नये भवन की स्वीकृति नही मिली. नतीजतन आंगनबाड़ी किराए के एक घर में संचालित हो रहा है.

सड़क पर उतर कर करेंगे प्रदर्शन: इस विषय में ग्रामीणों का कहना है कि नया भवन नहीं बनने के कारण यहां शिक्षा व्यवस्था का बुरा हाल है. बच्चे खुले आसमान के नीचे पढ़ने को मजबूर है. बरसात के मौसम में परेशानी और बढ़ जाती है. स्कूल भवन के लिए प्रशासन को कई बार पत्र दिया जा चुका है. लेकिन इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है. शासन-प्रशासन का यही रवैया रहा तो आने वाले दिनों में उन्हें सड़क पर उतरकर आंदोलन करना पड़ेगा.

कई बार सरकार को भेजा गया प्रस्ताव: शिक्षा विभाग के एक आंकड़े के मुताबिक जिले के आदिवासी बहुल इलाके में 1490 स्कूल हैं, जिसमें 877 प्राथमिक स्कूल हैं और 445 मिडिल स्कूल हैं. इसके अलावा 57 हाईस्कूल और 111 हायर सेकण्डरी स्कूल हैं. इनमें से 154 स्कूल जर्जर और अतिजर्जर श्रेणी के हैं. इन स्कूलों की मरम्मत कर वहां कक्षाएं संचालित की जा रही है. इसके अलावा बाकी कुछ स्कूल भवन के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा गया है.

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शिक्षा मंत्री का वादा: इधर छत्तीसगढ़ शिक्षा मंत्री प्रेमसाय सिंह स्वामी आत्मानंद इंग्लिश मीडियम स्कूल को सरकार की अच्छी योजना बताते हुए हर ब्लॉक में इस स्कूल खोलने की बात कहते है. वहीं, पिछड़े और ग्रामीण क्षेत्रों के अन्य सरकारी स्कूलों की स्थिति पर कहते है कि जर्जर स्कूल जो मरम्मत लायक है, उन स्कूलों का मरम्मत कराएंगे. जो पूरी तरह खराब भवन है वहां नया भवन बनाया जाएगा.बहरहाल आदिवासी बहुल इलाके के कई नौनिहाल अक्षर ज्ञान हासिल करने के लिए अभावों में पढ़ने को मजबूर हैं.

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