धमतरी में अतिथि शिक्षकों की छुट्टी, स्कूलों की पढ़ाई राम भरोसे

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Published : Sep 19, 2021, 10:28 PM IST

After holiday of guest teachers in Dhamtari

कोरोना काल में नक्सल इलाके में 58 अतिथि शिक्षकों ने पढ़ाई का जिम्मा संभाला था. अब उन अतिथि शिक्षकों की सेवा अब रदद कर दी गई है.

धमतरी: छत्तीसगढ़ में शिक्षकों की कमी को लेकर कभी पालकों को शासन प्रशासन का दरवाजा खटखटना पड़ता है. तो कही स्कूली बच्चों को ही शिक्षकों के लिए सड़क पर आकर प्रदर्शन करना पड़ता है. इन सब के बीच धमतरी जिला प्रशासन ने बच्चे की पढ़ाई प्रभावित न हो इसके लिए वनाचंल क्षेत्रों में अतिथि शिक्षकों की नियुक्तियां की थी. कोरोना काल में नक्सल इलाके में 58 अतिथि शिक्षकों ने पढ़ाई का जिम्मा संभाला था. अब उन अतिथि शिक्षकों की सेवा अब रदद कर दी गई है. शिक्षकों का कहना है कि उन्हे दोबारा नियुक्त किया जाए. लेकिन प्रशासन फंड की कमी का रोना रो रहा है.

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युवाओं ने उठाया था पढ़ाई का जिम्मा

दरअसल साल 2019-20 के दौरान नक्सल प्रभावित सिहावा विधानसभा इलाकों में जिन युवाओं ने स्कूली शिक्षा का बीड़ा उठाया था. आज उन्हीं युवाओं की नियुक्तियों को प्रशासन ने रदद कर दिया है. बताया जा रहा है कि धमतरी में करीब 58 स्कूल ऐसे हैं, जहां इन युवाओं को अतिथि शिक्षकों के तौर पर नियुक्त किया गया था.

धमतरी जिले के नक्सल संवेदनशील इलाके में शिक्षा व्यवस्था का बुरा हाल है. कहीं भवन की कमी है तो कही शिक्षकों की कमी है. ऐसे हालात में शिक्षा प्रभावित न हो, इसके लिए स्कूल शिक्षा विभाग ने डीएमएफ मद से इन इलाकों में स्थानीय युवाओं को योग्यता और मेरिट के आधार पर अतिथि शिक्षकों की नियुक्तियां की थी. अतिथि शिक्षकों ने अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए पढ़ाई का जिम्मा उठाया और बेहत्तर तरीके से पढ़ाई लिखाई सहित स्कूल का संचालन किया.

शिक्षा विभाग के पास फंड का रोना

कोरोना महामारी के बीच भी इन शिक्षकों ने खूब मेहनत की. वॉलिंटियर के तौर पर घर-घर जाकर बच्चों को पढ़ाई भी कराई, लेकिन इनके हटने से शिक्षा व्यवस्था चरमरा गई है. अतिथि शिक्षकों ने बताया कि उनकी नियुक्ति उन विद्यालयों में की गई थी. जहां एकल शिक्षक पदस्थ थे. कई स्कूलों में शिक्षकों का तबादला हो गया है, वहीं शिक्षकों की कमी भी है. ऐसे में इन क्षेत्रों में पुनः उनकी नियुक्ति किए जाने की जरूरत है. ताकि यहां पढ़ाई व्यवस्था प्रभावित न हो. लेकिन जिला प्रशासन का तर्क है कि इनके मेहताना भुगतान के लिए फंड की कमी है. जिसके चलते उन्हे नियुक्त नही किया जा रहा है.

बहरहाल जिन नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में अतिथि शिक्षकों को नियुक्त किया गया था. इन स्कूलों में एक दो ही शिक्षक थे. जिसके बाद अतिथि शिक्षकों के जाने से वहा बच्चों की पढ़ाई में तेजी देखने को मिली थी. लेकिन अब प्रशासन से अतिथि शिक्षकों गुहार लगाने के अलावा और कुछ नही कर पा रहे हैं. अब देखना होगा कि आने वाले दिनों में प्रशासन को अतिथि शिक्षकों की जरूरत महसूस की जाती है या नहीं.

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